Cultivation of Rajma: राजमा की अच्छी फसल चाहिए? जानिए बुवाई का सही समय और तरीका

राजमा की अच्छी पैदावार के लिए जानें बुवाई का सही समय, मौसम, मिट्टी की तैयारी और देखभाल के आसान टिप्स। बेहतर उपज पाएं हर बार!

Cultivation of Rajma: राजमा भारतीय रसोई में खूब पसंद की जाने वाली दाल है, जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है। अगर आप किसान हैं या घर में राजमा उगाना चाहते हैं, तो अच्छी पैदावार के लिए सही बुवाई का समय और तरीका जानना जरूरी है। किसान भाइयों इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि कब, कैसे और किन बातों का ध्यान रखकर राजमा की खेती करें।

राजमा को कैसी जलवायु चाहिए?

राजमा को हल्की गर्म और ठंडी के बीच की जलवायु सबसे ज़्यादा पसंद है। बहुत ज्यादा ठंडी या पाले वाली जगहों पर इसकी फसल अच्छी नहीं होती। इसलिए बुवाई से पहले अपने इलाके के मौसम को जरूर समझें। गर्मी शुरू होते वक्त जब मौसम ज्यादा ठंडा न हो, तभी बीज बोना सही रहता है।

बसंत का मौसम है सबसे बढ़िया

राजमा की बुवाई के लिए बसंत (फरवरी-मार्च) का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय मौसम न ज्यादा गर्म होता है और न ज्यादा ठंडा। ऐसे में बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और पौधा अच्छी तरह बढ़ता है।

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मिट्टी का तापमान और नमी जरूरी है

राजमा बोने से पहले मिट्टी का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। अगर मिट्टी बहुत ठंडी है तो बीज अंकुरित नहीं होंगे, और अगर ज्यादा गर्म हुई तो जड़ें खराब हो सकती हैं। साथ ही, मिट्टी में थोड़ी नमी होनी चाहिए, ताकि बीज अच्छे से उग सकें।

बीज की गहराई और दूरी कैसे रखें?

राजमा के बीज 2 से 4 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं। दो बीजों के बीच 20-25 सेंटीमीटर और पंक्तियों के बीच 45-60 सेंटीमीटर की दूरी रखें। इससे पौधों को सही मात्रा में हवा, धूप और पोषण मिलेगा।

सीधी बुवाई बेहतर या रोपाई?

राजमा के बीज सीधे खेत में बोना आसान और असरदार तरीका है। लेकिन अगर आपके क्षेत्र में गर्मी का मौसम छोटा है, तो आप बीजों को पहले घर के अंदर गमले में बोकर पौधे तैयार कर सकते हैं और बाद में खेत में लगाएं।

हर साल फसल बदलें, मिट्टी बचाएं

अगर आप हर साल एक ही जगह राजमा उगाएंगे, तो मिट्टी की ताकत कम हो जाएगी और बीमारियां भी बढ़ेंगी। इसलिए फसल चक्र अपनाएं। एक साल राजमा बोएं, फिर अगली बार मक्का, टमाटर या कोई और फसल लगाएं।

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पानी और देखभाल का रखें संतुलन

राजमा को बहुत ज्यादा पानी या सूखा दोनों पसंद नहीं। हफ्ते में मिट्टी में 2 से 3 सेंटीमीटर तक नमी बनी रहे, इतना पानी देना ठीक है। ज्यादा बारिश हो तो पानी कम कर दें। पौधों के आसपास सूखी पत्तियां या घास बिछा देने से नमी बनी रहती है और खरपतवार भी कम होते हैं। साथ ही, समय-समय पर कीटों और बीमारियों की जांच जरूर करें।


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