Farming Tips किसानों के लिए बेहद ही खास है जून

Farming Tips किसानों के लिए जून का महिना कृषि से अच्छी उपज लेने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं

किसानों के लिए बेहद ही खास है जून का महीना, उड़द-मूंग की कटाई और गन्ने की सिंचाई के लिए जरूरी है। जून महीने का पखवाड़े (पंद्रह दिन) उड़द-मूंग जैसी फसलों के साथ ही गन्ने व धान की आगामी फसल के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान किसानों की तरफ से उठाए गए उपाय उनके उत्पादन को बढ़ावा दे सकते हैं। आईए जानते हैं कि जी.बी. पंत कृषि विश्वविद्यालय ने जून के पहले पखवाड़े (पंद्रह दिन) के लिए क्या Farming Tips जारी की है। 

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Farming Tips 1

जून माह में उड़द-मूंग की कटाई करें, गन्ने की सिंचाई करे 

जी.बी. पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने जून के पहले 15 दिनों में मैदानी क्षेत्र में फसल के प्रमुख कृषि कार्यों को लेकर Farming Tips जारी की है. जिसके अनुसार विश्वविद्यालय ने किसानों से कहा है कि अगर उनकी उड़द और मूंग की फसल परिपवक्व हो गई है, तो वह उसकी कटाई कर लें। 

साथ ही विश्वविद्यालय ने शरदकालीन व बसन्तकालीन गन्ने की फसल की आवश्यकतानुसार उर्वरक की शेष मात्रा जून माह में अवश्य पूर्ण कर लें। गुड़ाई पूर्ण करने के पश्चात मिट्‌टी चढ़ाई का कार्य अवश्य करें। इस समय Pyrilla, Agola borer and Stem borer जैसे कीटों से बचाव के लिए कीटनाशी रसायनों का छिड़काव करने की सलाह भी दी है 

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Farming Tips 2

यह समय धान की नर्सरी तैयार करने और अरहर की बुवाई के लिए उपयुक्त है

यह समय खरीफ सीजन के अनुसार धान की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय बेहद ही खास है। जी.बी. पंत कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की तरफ से जारी adviser के अनुसार जून के पहले और दूसरे सप्ताह धान की नर्सरी तैयार करने के लिए उपयुक्त है जो जल्दी और मध्यम समय में तैयार हो जाएगी।

इस समय किसान उचित तरीके अपनाकर स्वस्थ नर्सरी तैयार करें एवं सीधे बोये जाने वाले धान की बुवाई करें. वहीं जो किसान इस खरीफ सीजन दलहन की बुवाई करना चाहते हैं वह अरहर-फसल की अगेती किस्मों (पंत अरहर 6, पूसा 992, पंत अरहर 291) की बुवाई जून के दूसरे सप्ताह तक कर लें. वहीं मक्का-मक्का की संस्तुत प्रजातियों का प्रयोग करते हुए बुवाई करें। 

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Farming Tips 3

खरपतवार पर नियंत्रण करना हैं बेहद जरूरी  

जून का महीना किसानों के लिए खरपतवार नियंत्रण के उद्देश्य से भी महत्वपूर्ण है। इस समय किसान खरपतवार नियंत्रण के लिए पेण्डीमिथेलीन 30 ईसी का 3.3 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. वहींं एट्राजिन 50 डब्लूपी 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर की छिड़काव बुवाई के दो से तीन दिन के अन्दर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर भी किया जा सकता। 

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धान की फसल में मुख्यत: सभी प्रकार के खरपतवार (जैसे घास कुल, मोथा कुल एवं चौड़ी पत्ती वाले) पाये जाते है। इसलिए एक ही शाकनाशी का लगातार प्रयोग करते रहने से कुछ विशेष प्रकार के ही खरपतवारों की रोकथाम हो पाती है तथा दूसरे प्रकार के खरपतवारों की संख्या में लगातार वृद्धि होती रहती है।

कुछ समय बाद यही दूसरी प्रकार के खरपतवार मुख्य खरपतवार के रूप में उभर आते है। ऐसी परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार के शाकनाशियों का मिश्रण करके छिड़काव करने से खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है।

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शाकनाशक, शाकनाशी या खरपतवारनाशक या अपतृणनाशी (Herbicide) ऐसे रसायन होते हैं, जिनका प्रयोग कृषि क्षेत्र में अवांछित खरपतवारों को नष्ट करने के लिये किया जाता है। विशेष शाकनाशक से सिर्फ चुने हुए खरपतवार ही नष्ट होते हैं जबकि शेष फसल को कोई नुकसान नहीं होता।


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