जानिए प्याज, लहसुन और गेंहू के भाव क्या होंगे, होल्ड करें या बेच दे

प्याज और लहसुन के भाव कौन सी करवट लेंगे और क्या गेंहू के भाव ओर बढ़ेंगे, सबसे बड़ा सवाल हैं अभी रुके या उपज बेच दे। जानिए बाजार का पूर्वानुमान

दरसल प्याज के भाव ने कुछ समय के लिए उछाल मारा और अब निचे लुढ़क गया। लहसुन के भाव भी पहले के मुकाबले आधे दाम पर बिक रहा। इस साल प्याज और लहसुन की खेती करने वाले किसान भाइयों का चिंता का विषय हैं, पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष मंडियों में प्याज और लहसुन की पैदावार बम्पर हुई हैं लेकिन भाव बहुत काम मिल रहे हैं। सभी का एक ही सवाल हैं की आगे स्थिति क्या रहेगी, क्या हैं भाव का गणित, बेंच दे या होल्ड करें। आने वाले सप्ताह में क्या रहेगी मंडियों की स्थिति पढ़िए पूरी पोस्ट में।

पैदावार बम्पर, परन्तु दाम मिल रहे आधे से भी कम

इस साल प्याज और लहसुन की बम्पर आवक ने पिछले कुछ वर्षों के रिकार्ड को तोड़ दिया हैं। लेकिन उपज के क्या दाम मिलेंगे अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हैं। बम्पर आवक और उपज के भाव की स्थिति, अस्थिरता के कारण मध्य प्रदेश की मंडियों में प्याज एवं लहसुन के भाव में अकाल्पनिक गिरावट देखने को मिल रही हैं। किसानों के लिए चिंता का विषय हैं, सरकार भी स्पष्ट नहीं कर रही हैं की आगे क्या स्थिति रहेगी और भाव कम होंगे या भाव अच्छे मिलेंगे। ये आपके सारे सवाल के जवाब मिलेंगे, हम आपको सब बताएँगे आप पूरी पोस्ट को अंत तक पढ़िए।

अमूमन मध्य प्रदेश में उपजाऊ काली मिटटी, अनुकूल जलवायु, वातावरण और पानी की तासीर होने की वजह से गेंहू, सोयाबीन के लिए उपयुक्त हैं, यहाँ का गेंहू की विदेशों में जबरजस्त डिमांड हैं, इसलिए मध्य प्रदेश के सबसे बड़े रकबे में गेंहू की खेती होती हैं।

इसके बाद दूसरे नंबर पर प्याज और लहसुन का स्थान आता हैं। आसान शब्दों में एक तरह से कह सकते हैं की मध्य प्रदेश गेंहू, सोयाबीन, प्याज और लहसुन का गढ़ हैं। बहुतायत में किसान प्याज और लहसुन की खेती करते हैं। प्याज और लहसुन की फसल उन्नत हुई हैं और पैदावार भी बम्पर हैं लेकिन पिछले साल की अपेक्षा इस साल भाव कम मिल रहे हैं इस वजह से किसानो को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा हैं। इसके कारण किसान के मन को निराशा और नुकसान की आशंका घेर रही हैं।

ऐसे में महंगी दरों में बीज खरीदकर बोवनी करने वाले किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। बुआई, निंदाई, गुढ़ाई से लेकर अब मजदूरी की दरें भी बढ़ी हैं। इससे किसानों के लिए ये दोनों तरह की फसलें नुकसान का सौदा साबित हुई हैं।

प्याज और लहसुन के क्या भाव मिल रहे हैं

  • कृषि उपज मंडी मंदसौर – लहसुन 350 से 8500 रुपए प्रति क्विंटल
  • जबलपुर कृषि उपज मंडी – प्याज के दाम प्याज 800 से 1,200 रुपए प्रति क्विंटल
  • कृषि उपज मंडी इंदौर- प्याज 593-910 एवं लहसुन 400-2167 प्रति क्विंटल

मध्यप्रदेश की की 3 बड़ी प्रमुख मंडियों में प्याज एवं लहसुन के भाव देखकर अनुमान हो जाता हैं कि किसानों को किस प्रकार से प्याज एवं लहसुन की खेती के दौरान इस वर्ष घाटा उठाना पड़ रहा है।

प्याज और लहसुन भाव बढ़ेंगे या और भी कम होंगे

मई माह में अधिकांशतः प्याज निकाला जा चुका है किसान इसकी मंडी कर रहे हैं ऐसे में मंडियों में आवक बढ़ने लगी है। इंदौर में प्याज के न्यूनतम भाव ₹4 प्रति किलो हो गए वहीं जबलपुर में 8 रुपए, कृषि बाजार के विशेषज्ञ बताते हैं कि प्याज एवं लहसुन में गिरावट रहेगी।

देश के कई राज्यो मे लहसुन सामान्य भावों के साथ बिकता दिखाई दे रहे है, पिछले साल के अंतिम दिनों मे देश के कई क्षेत्रों मे बारिश-बाढ़ पर प्रकोप रहा, जिससे कई फसले खराब रही लेकिन लहसुन के रेट स्थिरता के साथ बने हुए है | भाव कमजोर होने के कारण लहसुन उत्पादक किसानों मे उदासी है और भाव बढ़ने की आस-उम्मीद है।

प्याज के भाव 4 एवं 5 रुपए प्रति किलो पर अटक सकते हैं एवं ऊपर में 10 से 11 रुपए रहने की संभावना व्यापारियों द्वारा जताई जा रही है। यह गिरावट आगामी सप्ताह में बने रहने की आशंका बात व्यापारी बता रहे हैं। मतलब आने वाले सप्ताह में प्याज एवं लहसुन की खेती करने वाले किसानों को निराशा ही हाथ लगेगी।

एक बीघा में लहसुन

लागत – बुआई के दौरान 70 रुपए किलो से बीज खरीदकर साफ कराई बुआई कराने में 1200 रुपए का खर्च आता है। ढाई क्विंटल लहसुन बोया जाता है (करीब 17500 रुपए), निंदाई-गुढ़ाई सहित अन्य के लिए 1000 रुपए, 2000 रुपए का खाद, दवाइयां 5000 रुपए, कटाई के 4000 और सफाई के साथ घर तक लाने में 4000 खर्च होते हैं। कुल 33 हजार 500 रुपए का औसतन खर्च रहता है। इसके अलावा संबंधित किसानों की मेहनत अलग है।

आमदनी – एक बीघा में औसतन 15 से 18 क्विंटल लहसुन का उत्पादन होता है। वर्तमान भाव 5 से 15 रुपए किलो के हिसाब से अधिकतम 15 रुपए किलो के हिसाब से भी 22 हजार 500 रुपए का लहसुन एक बीघा में निकल रहा, जो कि अपने लागत मूल्य 33 हजार 500 रुपए से भी कम है।

एक बीघा में प्याज

लागत – एक बीघा के लिए सबसे पहले रोप तैयार किए जाते हैं, जिसमें करीब 4000 रुपए का खर्च, बुआई और तैयार करने में 6000 रुपए, खाद-बीज और दवाई 5000 रुपए, निकालना 3000, सफाई और शिफ्टिंग 3000, रखने के लिए पर्याप्त संसाधन और सामग्री 3000 रुपए। कुल औसत खर्च 24 हजार रुपए का आता है।

आमदनी -प्याज का औसत उत्पादन प्रति बीघा में 70 से 80 क्विंटल का है। इसमें वर्तमान भाव 5 से 7 रुपए किलो के हिसाब से 35 हजार रुपए का हो रहा है। जिसमें खुद की मेहनत और ट्रैक्टर का किराया सहित रख-रखाव का खर्च अलग रहता है।

गेहूं उत्पादक किसानों की रहेंगे फायदे में

रूस उक्रेन युद्ध और विदेशों में गेंहू और दूसरे अनाज की पैदावार हुई हैं। साथ ही भारत में ख़राब मौसम बारिश और दूसरे अन्य कारणों से गेंहू का उत्पादन भी प्रभावित हुआ हैं। जिस वजह से गेंहू के दाम खुले बाज़ार में MSP से ज्यादा बाजार में मिल रही हैं।

देश में इस वर्ष गेहूं उत्पादक किसानों की बल्ले-बल्ले हो रही है, गेहूं के भाव लगातार बढ़ रहे हैं इसकी बड़ी वजह गेहूं का निर्यात बढ़ना है। विदेशों में भी बेहद डिमांड आ रही हैं हमारे देश में अनाज की किल्लत न हो जाये इसलिए केंद्र सरकार ने गेहू निर्यात पर बैन लगा दिया हैं। अब किसानों के पास गेहूं बहुत कम मात्रा में बचा है, इसके अलावा अब व्यापारी वर्ग अपना स्टॉक निकालने लगा है। आगे भी गेहूं के भाव तेजी में रहेंगे ऐसी संभावना व्यापारी जता रहे हैं।


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