8 साल बाद मिलेगा 3000 किसानों Fasal Bima, राज्य उपभोक्ता आयोग ने दिया आदेश

3000 किसानों को 8 साल पहले नष्ट हुई सोयाबीन की Fasal Bima लम्बी क़ानूनी लड़ाई की बाद मिलने आदेश दिए गए है। दरअसल, राज्य उपभोक्ता आयोग ने किसानों को National Agriculture Insurance Scheme के तहत नष्ट हुई सोयाबीन की फसल के लिए सर्वमान्य रूप से स्वीकृत फार्मूले के अनुसार मुआवजा देने का आदेश दिया है.

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मामले की सुनवाई की अध्यक्षता आयोग की पीठ न्यायमूर्ति शांतनु एस केमकर, सदस्य श्यामसुंदर बंसल और डॉ. श्रीकांत पांडेय ने की. उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग के तत्कालीन निर्णय को अपरिवर्तित रखते हुए कंपनी को तीन हजार किसानों को चार माह के भीतर मुआवजा देने का आदेश दिया है.

Fasal Bima कंपनी ने किसानों के दावे को खारिज किया

किसानों ने Fasal Bima कंपनी से अत्यधिक बारिश से नष्ट हुई सोयाबीन की फसल के मुआवजे की मांग की थी। इस मामले में कंपनी ने किसानों के दावे को खारिज कर दिया था। कंपनी ने कहा कि किसानों से बीमा प्रीमियम नहीं मिला है, जबकि इसकी जिम्मेदारी बैंक और सहकारी समिति की थी. किसानों को मुआवजा नहीं मिलने पर अधिवक्ता रणधीर सिंह ठाकुर ने वर्ष 2013-14 में जिला उपभोक्ता फोरम में तीन हजार किसानों की ओर से याचिका दायर की थी.

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राज्य उपभोक्ता आयोग में की अपील

इस मामले में तत्कालीन उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष आलोक अवस्थी और सदस्य सुनील श्रीवास्तव ने बैरसिया तहसील के ग्राम नजीराबाद, धामन टोडी, बड़बेली गांव के 3 हजार किसानों को Fasal Bima का मुआवजा देने का आदेश दिया था. इस मामले में फोरम के आदेश को न मानते हुए सेवा सहकारी समिति और सहकारी बैंक ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की.

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बुवाई के लिए लिया था कर्ज

दरअसल, किसानों ने 2013-14 में बुवाई के लिए कर्ज लिया था, लेकिन अत्यधिक बारिश के कारण उनकी सोयाबीन की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई। राष्ट्रीय फसल बीमा योजना के तहत ऋणी किसानों का अनिवार्य रूप से दाता बैंक द्वारा बीमा किया जाता है। बीमा प्रीमियम नज़ीराबाद सेवा सहकारी समिति द्वारा नहीं काटा गया था।

जिससे किसान Fasal Bima के लाभ से वंचित रह गए। फोरम ने इस मामले में बैंक और सहकारी समिति को जिम्मेदार ठहराया था। फोरम ने राहत देते हुए बीमा कंपनी को सभी किसानों को मौजूदा नियमों के तहत बीमा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है.


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