पीएम मत्स्य संपदा योजना रंगीन मछली पालकर लाखों रूपए कमा रही ग्रामीण महिलाएं -जानिए योजना के बारे में

पीएम मत्स्य संपदा योजना खेती के साथ करे रंगीन मछली का पालन होगी बम्पर कमाई

पीएम मत्स्य संपदा योजना भारत एक कृषि प्रधान देश यह रहने वाले अधिकांश किसानों का जीवन केवल कृषि पर ही आश्रित है। कृषि को लाभ का धंधा बनने के साथ किसानों को अतिरिक्त आय दिलाने के लिए सरकार कई प्रयास करती है। जिसमें एक कार्य मछली पालन भी शामिल है। जिसके जरिये किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे है।

किसानों को मछली पालन के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए PM Matsya Sampada Yojana के तहत किसानों को सहायता प्रदान की जाती है। झारखंड के किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। इसमें विशेषकर ग्रामीण महिलाएं मत्स्य पालन के क्षेत्र में अच्छा मुनाफा कमा रही हैं जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है।

रंगीन मछली पालन कैसे करें

नमस्कार किसान भाइयों आज हम आप सभी को रंगीन मछली पालन कैसे करें के बारे में पूरी जानकारी देने जा रह है। किसान भी किस तरह से रंगीन मछली पालन कर अपनी आय को बढ़ा सकते है। रंगीन मछली पालन में केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही आपकी सहायता करेगी। मछली पालन से पहले आपको कुछ दिनों का प्रशिक्षण भी लेना होगा। इसके बाद आपको प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का पूरा लाभ भी मिलेगा

रंगीन मछली पालकर हो रही लाखों की कमाई

मछली किसान जो पहले से ही देशी मछली पालन कर रहे हैं, वे भी बिना अधिक लागत के रंगीन मछली पालन कर सकते हैं। जानकारी के अनुसार रंग-बिरंगी मछली पालन से उत्पादन में सुधार कर दो से ढाई लाख रुपये की वार्षिक आय अर्जित की जा सकती है। इधर रांची जिले के कुर्गी गांव की महिला किसान रीता कुजूर रंग-बिरंगी मछलियों की खेती कर हर महीने हजारों रुपये कमा रही हैं।

रीता कुजूर के मुताबिक वह साल 2015-16 से रंगारंग मछली पालन कर रही हैं। पहले वह एक संस्था से जुड़कर पोल्ट्री फार्मिंग में लगी थीं। इसके बाद उसके पिता ने उससे रंगीन मछली रखने के बारे में पूछा। रीता ने बताया कि उस समय उन्हें रंगीन मछलियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। हालाँकि, उन्होंने अपना मन बना लिया और रंगीन मछलियों के पालन का प्रशिक्षण लिया।

प्रशिक्षण लेकर शुरू किया मछली पालन

रीता ने धुरवा के शालीमार प्रशिक्षण केंद्र में रंगीन मछली पालन का पांच दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त किया। ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने घर पर रंग-बिरंगी मछलियों को पालना शुरू कर दिया। रीता के मुताबिक शुरुआत में उन्हें रंग-बिरंगी मछलियों के साथ-साथ ट्रेनिंग भी दी जाती थी।

हालांकि शुरुआत में जानकारी के अभाव में उनकी मछली की मौत हो गई, लेकिन इससे उन्हें नुकसान हुआ और वे काफी निराश भी हुए। इसके बाद उन्होंने फिर से प्रशिक्षण लिया और लगातार दो-तीन बार प्रशिक्षण लेने के बाद उन्हें रंगीन मछली पालन में सफलता मिली। इतना ही नहीं रीता ने अपने साथ अपनी बेटी को रंगीन मछली पालन का प्रशिक्षण भी दिलवाया। इससे उन्हें बड़ी राहत मिली है।

कैसे होता है रंगीन मछलियों का प्रजनन

रीता ने मीडिया को बताया कि उन्हें प्रशिक्षण के दौरान रंग-बिरंगी मछलियों के प्रजनन की भी जानकारी दी गई। तब से उन्होंने उन्हें ब्रूडर मछली भी दी है। जिसके माध्यम से वह रंग-बिरंगी मछलियों को खुद पालने के लिए स्पॉन तैयार करती है और उन्हें उगाकर बेच भी देती है।

वह बाजार के अलावा इन मछलियों को अपनी दुकान और अपने संपर्कों के जरिए बेचती हैं। उसे विभाग द्वारा सरकारी योजना के लाभ के तहत एक दुकान मिली है जहाँ वह एक्वेरियम बेचती है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि उनके काम में उनका पूरा परिवार सहयोग करता है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लाभ (पीएम मत्स्य संपदा योजना)

उन्हें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का भी लाभ मिला है, जिसके तहत रंगीन मछली पालन के लिए एक बड़ा टैंक बनाया जाएगा, जहां वह अधिक संख्या में रंगीन मछलियों को पाल सकेंगी। उनके पास डेढ़ से दो लाख रंगीन मछलियों का भंडार होगा। इसके साथ ही वह ब्रूडर मछली भी बेच सकेगी।

देश में मछली पालन का प्रशिक्षण देने वाले प्रमुख इंस्टीटूट्स

  • मत्स्य प्रशिक्षण एवं प्रसार केंद्र, मीठापुर पटना
  • आई.सी.ए.आर. पटना केंद्र
  • कॉलेज ऑफ़ फिशरीज, ढोली मुजफ्फरपुर
  • कॉलेज ऑफ़ फिशरीज किशनगंज
  • केंद्रीय मत्स्यिकी शिक्षा संस्थान, काकीनाडा
  • केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान साल्टेक, कोलकाता
  • सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टिट्यूट बैरकपुर, कोलकाता
  • केन्द्रीय मात्सियकी शिक्षा संस्थान, पावरखेडा
  • कॉलेज ऑफ़ फिशरीज पंतनगर
  • केन्द्रीय मिठाजल जीवनयापन अनुसंधान संस्थान कौशल्यागंगा (भुवनेश्वर)

मछली पालन का प्रशिक्षण देने वाले संस्थान

मुंबई के अलावा, केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान कई अन्य क्षेत्रीय केंद्रों से भी मत्स्य पालन शिक्षा प्रदान करता है। संस्थान के आगरा और हैदराबाद केंद्रों में अंतर्देशीय जलकृषि में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसका एक क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ (चिनहट) में स्थित है जहाँ अंतर-रेगिस्तानी मत्स्य पालन में सहयोग के विषय में नौ महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है।

इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में इसका एक क्षेत्रीय केंद्र है, काकीपारा मत्स्य केंद्र, इस केंद्र द्वारा मत्स्य विज्ञान विस्तार विधि और तकनीक दी गई है। मत्स्य पालन शिक्षा का एक और एक वर्षीय पाठ्यक्रम बैरकपुर (पश्चिम बंगाल) में केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान की देखरेख में संचालित किया जाता है। इस संस्थान द्वारा हर साल पचास छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। विज्ञान विषय के साथ 12वीं पास होना अनिवार्य शर्त मानी जाती है।

मात्स्यिकी शिक्षा पर विभिन्न पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले संस्थान

मत्स्य पालन शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित करने वाले कुछ प्रमुख संस्थानों, कॉलेजों के नाम इस प्रकार हैं।

  • कर्नाटक क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज, सुरखल – फिश हार्बर इंजीनियरिंग
  • अन्नामलाई विश्वविद्यालय, पोर्टनोवो (सामुदायिक जीवविज्ञान)
  • मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई (समुद्री तटीय जलीय कृषि)
  • केरल विश्वविद्यालय, तिरुवनंतपुरम (मत्स्य पालन और जलीय जीव विज्ञान)
  • टाटा फंडामेंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, मुंबई पोस्ट ग्रेजुएट (डॉक एंड हार्बर इंजीनियरिंग)
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई स्नातकोत्तर (सामुदायिक भू-रसायन विज्ञान)
  • कोचीन विश्वविद्यालय, कोचीन – मास्टर डिग्री (औद्योगिक मत्स्य पालन)
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर-बी टेक (नेवल आर्किटेक्ट एंड मरिन इंजीनियरिंग)

उपरोक्त संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए विज्ञान विषय में स्नातक होना आवश्यक है। इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य देश में मत्स्य विकास परियोजनाओं के लिए कुशल मत्स्य विशेषज्ञ तैयार करना है। खास बात यह है कि इस संस्थान में हर साल केवल तीस छात्रों का ही दाखिला होता है। इसलिए प्रतियोगिता की दृष्टि से ज्ञान को आवश्यक माना गया है। पीएम मत्स्य संपदा योजना का लाभ उठाकर कई किसानों ने अतिरिक्त आय अर्जित करना शुरू कर दी है। आप भी जल्दी करें और योजना का लाभ ले।

ये भीं जरूर पढ़े –

Kadaknath Poultry Farming | कड़कनाथ पोल्ट्री फार्मिंग यानि 100 गुना फायदे वाला बिजनेस

Dairy Industry Technology 2022 जो भारतीय डेयरी उद्योग को बदल देगी

जुड़िये KrishiBiz से – ऐसे ही कृषि उपयोगी ज्ञानवर्धक, उपयोगी, आधुनिक तकनीक और कृषि योजनाओं आदि कृषि सम्बंधित जानकारियों के अपडेट सबसे पहले पाने के लिए हमारे WhatsApp Group को या हमारे Telegram ग्रुप ज्वाइन करें हमारे को Facebook पेज को like करें और अपने साथियो-मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

KrishiBiz Team

KrishiBiz में आपका स्वागत हैं, हमारी टीम में एग्रीकल्चर एक्सपर्ट, तकीनीकी एवं पशुपालन विशेषज्ञ एवं योजनाओ के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। जय हिन्द! जय किसान!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button