सरसों की खेती: सरसों की फसल में तेल उत्पादन बढ़ाने की सरल तकनीकें, जानिए

सरसों की फसल में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए उर्वरक प्रबंधन की जानकारी होना आवश्यक है। सल्फर यानी गंधक युक्त उर्वरकों के प्रयोग से सरसों के दानों में तेल की मात्रा बढ़ाई जा सकती है। 

सरसों की खेती आमतौर पर गेहूं के बाद की जाती है। सरसों की खेती की सफलता इसके बीजों से मिलने वाले तेल की पैदावार पर निर्भर करती है। उच्च तेल सामग्री एक अनुकूल बाजार मूल्य में योगदान करती है, जबकि खराब गुणवत्ता या कम उपज के परिणामस्वरूप बाजार मूल्य कम हो जाता है।

सरसों की खेती (Mustard cultivation) करने वाले किसानों को अपनी उपज की गुणवत्ता को प्राथमिकता देनी चाहिए। सरसों की फसल में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए उर्वरक प्रबंधन की जानकारी होना आवश्यक है। सल्फर यानी गंधक युक्त उर्वरकों के प्रयोग से सरसों के दानों में तेल की मात्रा बढ़ाई जा सकती है।

सरसों में तेल बढ़ाने के लिए पोषक तत्व का उपयोग

सरसों की फसल में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरक का उपयोग जरूरी होता है। इसी के साथ सरसों में सल्फर जिसे गंधक कहा जाता है उसके प्रयोग से किसान सरसों के दानों में तेल की मात्रा बढ़ा सकते हैं। इसके लिए किसानों को चाहिए कि किसान सरसों में गंधक युक्त उर्वरक का प्रयोग करे, ताकि दोनों में तेल की मात्रा अधिक मिले और पैदावार में भी बढ़ोतरी हो सके। किसान सरसों की खेती के लिए खेत की तैयार करते समय गंधक युक्त उर्वरक में किसान जिप्सम, सिंगल सुपर फॉस्फेट, अमोनिया सल्फेट जैसे पोषक तत्वों से युक्त उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं।

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सरसों में सल्फर कितना डालना चाहिए?

तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ 8 से 10 किलोग्राम सल्फर मिलाएं। यह अभ्यास सरसों के बीज में तेल के स्तर को बढ़ाने में सिद्ध हुआ है। इसके अतिरिक्त, तेल उत्पादन को और बढ़ाने के लिए बुआई से पहले प्रति एकड़ 4 किलोग्राम बोरेक्स और 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट जोड़ने पर विचार करें। सल्फर का प्रयोग करने से सरसों का दाना चमकदार एवं मोटा बनता है तथा तेल की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होती है। फसल को सर्दी से बचाने में भी सल्फर लाभप्रद है। इसलिए सिंचाई के समय सरसों में 5 किलो प्रति बीघा की दर से सल्फर का प्रयोग करना चाहिए।

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बेहतर उत्पादन के लिए किसान क्या करे?

सरसों की बेहतर पैदावार और तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए किसानों को सरसो की खेती के समय इन बातो का रखे ध्यान

  • उच्च तेल सामग्री के लिए जानी जाने वाली सरसों की किस्मों को चुनें।
  • बेहतर उपज के लिए पहली सिंचाई फूल आने के समय शुरू करें।
  • दूसरी सिंचाई फली बनते समय करें।
  • पानी की कमी वाले क्षेत्रों में, फूल आने के दौरान एक सिंचाई करें।
  • सरसों की फसल में दो निराई-गुड़ाई करें, पहली निराई-गुड़ाई बुआई के 21 दिन बाद और दूसरी 35 दिन बाद।

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