बरसात में गन्ने की फसल में करें ये काम, बढ़ेगी पैदावार

जानिए, बरसात में गन्ने की फसल से बेहतर पैदावार पाने के टिप्स

गन्ने की फसल: गन्ना एक नकदी फसल है जिसका व्यापारिक दृष्टि से बहुत महत्व है। ऐसे में इसकी बेहतर पैदावार के लिए किसानों को समय-समय पर इसकी फसल की देखभाल करना भी जरूरी है। देश में सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन यूपी में होता है। इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक में भी बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती की जाती है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा में इसकी खेती होती है।

ऐसे में यहां के किसानों को मानसून सीजन में गन्ने की फसल के नुकसान की चिंता सताने लगती है, क्योंकि बरसात के मौसम में गन्ने की फसल में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं, जिससे नुकसान की संभावना ज्यादा रहती है। किसानों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए बारिस में गन्ने की फसल को नुकसान से बचाने के लिए जरूरी सलाह दी है।

बरसात से गन्ने की फसल को किस तरह नुकसान पहुंचता है?

वैसे तो बरसात को गन्ने की फसल के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन अधिक बरसात गन्ने की फसल को फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकती है। कई बार अधिक बरसात या बाढ़ से खेत में पानी भर जाता है, जिससे पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं और फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसे में खेत में पानी की निकासी का उचित प्रबंध करना चाहिए। वहीं बरसात के कारण गन्ने की फसल में कई तरह के कीट रोगों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। इससे गन्ने की फसल को काफी नुकसान होता है। अगर समय रहते इनकी रोकथाम न की जाए तो पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसे में गन्ने की खेती करने वाले किसानों को मानसून के मौसम में गन्ने में लगने वाले कीटों से फसल को बचाने के उपाय करने चाहिए।

यह भी पढ़ें- Subsidy on Horticulture Crops: फलों और सब्जियों की खेती करने पर सरकार दे रही है 50% तक सब्सिडी, जानें कैसे उठाएं लाभ

गन्ने को नुकसान से बचाने के लिए बरसात के मौसम में करें ये काम

बरसात के मौसम में गन्ने की फसल को नुकसान की संभावना अधिक रहती है। इस मौसम में कीट रोगों का प्रकोप भी अधिक होता है। ऐसे में अगर इस महीने गन्ने की फसल में कुछ जरूरी काम कर लिए जाएं तो संभावित नुकसान से बचा जा सकता है। जुलाई में किसान गन्ने की फसल में निम्न काम कर सकते हैं।

  • बसंतकालीन गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए गन्ने की टॉप ड्रेसिंग करें।
  • बरसात के बाद गन्ने की फसल में बुआई के बाद बची यूरिया की आधी मात्रा डालें।
  • खड़ी फसल में टॉप ड्रेसिंग के लिए यूरिया की मात्रा 40 से 45 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से रखी जाती है।
  • दूसरी ओर, जिन किसानों ने यूरिया की टॉप ड्रेसिंग की है, वे पानी में घुलनशील उर्वरक जैसे नाइट्रोजन (एन), फास्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) को 18:18:18 के अनुपात में 2 किलोग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर गन्ने की फसल में छिड़काव कर सकते हैं।

गन्ने की फसल में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें।

  • गन्ने की फसल में मिट्टी चढ़ाने का काम भी इसी महीने में करना चाहिए, क्योंकि इस समय मिट्टी नरम रहती है, जिससे यह काम आसानी से किया जा सकता है। गन्ने की मजबूती के लिए मिट्टी चढ़ाना जरूरी है।
  • गन्ने की फसल को बांधने का काम भी इसी समय किया जा सकता है। कमजोर गन्ने के पौधों को बांधने से वे तेज हवा या आंधी में गिरते नहीं हैं।

फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए ये उपाय करें

बरसात के मौसम में गन्ने में कीटों और बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है। ऐसे में इनकी रोकथाम करना बहुत जरूरी हो जाता है। गन्ने में अधिक प्रकोप वाले कीटों और बीमारियों की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।

तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए ये उपाय करें

  • गन्ने में तना छेदक कीट के प्रकोप को रोकने के लिए जुलाई से अक्टूबर तक प्रति एकड़ की दर से 10 दिन के अंतराल पर 4 से 6 बार ट्राइकोग्रामा सिलोनिस का प्रयोग करना चाहिए।
  • लिटिल पैरासाइट कार्ड, कोटेपेसिया प्लेवीपस का प्रयोग जुलाई से अक्टूबर तक 7 दिन के अंतराल पर 200 प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए।
  • यदि गन्ने की फसल तना छेदक रोग से संक्रमित है तो ऐसी स्थिति में कीट का प्रकोप दिखाई देने पर प्रोफेनोफॉस 40 प्रतिशत के साथ साइपरमेथ्रिन 4 प्रतिशत ईसी या ट्राइजोफॉस 35 डेल्टामेशिन एक प्रतिशत का घोल एक मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए।

यह भी पढ़ें- Dragon Fruit Development Scheme (2024-25): बिहार में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सहायता, अभी करें आवेदन

प्लासी बोरर कीट से बचाव के लिए क्या उपाय करें?

  • गन्ने की फसल में प्लासी बोरर कीट से बचाव के लिए गन्ने के खेत के पास लाइट ट्रैप लगाएं।
  • यदि प्लासी कीट का प्रकोप अधिक दिखाई दे तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल दवा एक मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर इस घोल का छिड़काव फसल पर करें।

पोक्कहा बोइंग रोग से बचाव के लिए ऐसा करें

गन्ने की फसल में पोक्कहा बोइंग रोग तेजी से फैलता है। ऐसे में बरसात से ही इसके नियंत्रण के उपाय शुरू कर देने चाहिए। इसमें छोटी-छोटी मुलायम पत्तियां काली होकर मुरझा जाती हैं और पत्ती का ऊपरी हिस्सा गिर जाता है। पत्ती फसल के पास सिकुड़न के साथ पत्तियों के ऊपरी और निचले हिस्से पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। यदि पौधे में ऐसे लक्षण दिखाई दें तो इसकी रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर दो से तीन बार छिड़काव करना चाहिए।


जुड़िये KrishiBiz से – ऐसे ही कृषि उपयोगी ज्ञानवर्धक, उपयोगी, आधुनिक तकनीक और कृषि योजनाओं आदि कृषि सम्बंधित जानकारियों के अपडेट सबसे पहले पाने के लिए हमारे WhatsApp Group या हमारे Telegram ग्रुप ज्वाइन करें हमारे को Facebook पेज को like करें और अपने साथियो-मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

KrishiBiz Team

KrishiBiz में आपका स्वागत हैं, हमारी टीम में एग्रीकल्चर एक्सपर्ट, तकीनीकी एवं पशुपालन विशेषज्ञ एवं योजनाओ के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। जय हिन्द! जय किसान!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button