अब खाद का संकट Urea or DAP की कमी से किसान परेशान

Urea or DAP crisis से खरीफ फसल को हो सकता है नुकसान, टोकन के जरिए बांटनी पड़ रही है खाद

मध्य प्रदेश में इस खरीफ सीजन में भी खाद की कमी Urea or DAP crisis का सामना करना पड़ रहा है। कई स्थानों पर किसानों भाइयों को एक बोरी यूरिया और डीएपी के लिए काफी संघर्ष Fertilizer Crisis करना पड़ रहा है। हालही में डिंडोरी जिले में किसानों को बहुत अधिक समस्या का सामना करना पड़ा। यह पर टोकन के जरिए खाद बांटनी पड़ रही है।

किसानों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी। पहले टोकन लीजिए फिर खाद लेने के लिए लाइन में लगिए। केंद्र सरकार ने दावा किया था कि खरीफ सीजन के लिए पर्याप्त खाद का इंतजाम है। किसानों को कोई दिक्कत नहीं होगी।

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यूरिया और DAP का संकट

खरीफ सीजन की शुरुआत में ही मध्य प्रदेश में खाद के लिए किसानों के संघर्ष करने वाले इस दावे की पोल खोलकर रख दी है। सहकारी समितियों पर पर्याप्त खाद नहीं है इसलिए किसानों को जरूरत की पूरी खाद नहीं मिल पा रही है।

खाद की कमी से जिले में Kharif Crops प्रभावित हो सकती है। डिंडोरी जिला मुख्यालय के खाद गोदाम में सोमवार की सुबह से ही किसानों की भीड़ लग गई थी।

मंडला बस स्टैंड स्थित खाद गोदाम में पहुंचे किसानों ने बताया कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं उपलब्ध करवाई जा रही है। जिसकी वजह से उनकी खेती प्रभावित हो रही है।

हालत यह हो गए थे की खाद गोदाम के बाहर हजारों किसानों की भीड़ के चलते टोकन बांटना पड़ा। समय पर खाद और बीज उपलब्ध न होने के कारण किसान ( Farmers ) को खेती में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

खाद गोदाम पहुंचे किसानों ने व्यवस्थित ढंग से खाद उपलब्ध कराए जाने की मांग की है ताकि खरीफ की बुवाई प्रभावित न हो।

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किसानों को नहीं मिल रही जरूरत की खाद

बताया गया है कि आसपास की सहकारी समितियों पर खाद की कमी है। इसलिए किसानों को बार-बार इसके लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है। ज्यादातर किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है।

किसानों का कहना है कि उन्हें अगर 10 बोरी की जरूरत है तो 8 बोरी ही खाद दी जा रही है। ऐसे में काम कैसे चलेगा। उन्होंने प्रशासन से सहकारी समितियों पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराने की मांग की है।

सरकार दावा कर रही है थी कि इस बार रबी सीजन जैसी खाद की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। लेकिन हालात वैसे ही बन रहे हैं। सवाल ये है कि क्या खाद की कालाबाजारी शुरू हो गई है?

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कब खत्म होगा खाद का संकट

किसानों का कहना है कि धान की बुआई के समय डीएपी तथा यूरिया ( DAP-Urea ) की किल्लत उठानी पड़ रही है। जबकि इन दोनों खादों की सख्त जरूरत होती है। इसके बिना फसल उत्पादन कैसे होगा।

धान में रोपाई के वक्त ही खाद डाली जाती है। लेकिन जब किसानों को मिलेगी ही नहीं तो फिर वे बिना खाद के ही रोपाई करेंगे। दूसरा क्या चारा है।

खाद की Urea or DAP किल्लत शुरू हो चुकी है लेकिन राज्य सरकार का अब इस तरफ ध्यान नहीं गया है। किसानों का कहना है कि हर साल वो खेती के सीजन में खाद की किल्लत से परेशान होते हैं। जिससे खेती का समय चूक जाता है और फसल को पकने में लंबा समय लगने लगता है।

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