Tulsi ki kheti | तुलसी की खेती से 100 दिनों में करें लाखों की कमाई

Tulsi ki उन्नत kheti उसकी किस्म बुवाई से लेकर कटाई की जानकारी | फसल को कहा बेचें और कितना फायदा होगा, रोग, कीट और उसकी रोकथाम

किसान भाईयों आज हम खेती-किसानी की अपनी कैटेगरी में आप सभी भाईयों के लिए एक दम फायदे मंद खेती की जानकारी लेकर आए हैं। हमारे देश में तुलसी का धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेक महत्व हैं। लेकिन अभी तक किसान भाई तुलसी के आर्थिक फायदे को नजरअंदाज किए हुए हैं। किसान भाईयों आज हम आपको तुलसी की खेती (Basil Cultivation) से कमाई, तुलसी की खेती Tulsi ki kheti का समय, तुलसी की फसल कहां बेचे और तुलसी की खेती में खरपतवार नाशक दवाई सहित अन्य जानकारी देंगे। अगर आपकोे भी तुलसी की खेती करके भारी मुनाफा कमाना है तो हमारे यह लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

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तुलसी के पौधों (basil plants) में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं। यहीं कारण है कि यह पौधा कई घरों के आंगन में दिखाई पड़ जाता है। यहीं नहीं तुलसी के पौधे की पूजा भी की जाती हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण इसे दैव्य स्वरूप में माना गया हैं। तुलसी का पौधा झाड़ियों की तहर तीन से चार फीट तक लंबा हो सकता हैं। प्राचीन समय से तुलसी का उपयोग आयुर्वेदिक और यूनानी दवाईयों के रूप में किया जाता रहा हैं, आज भी इसके गुणों के कारण इसका उपयोग होता हैं।

इस पौधे की विशेषता यह है कि इसका हर भाग किसी न किसी काम में आ ही जाता हैं। तुलसी के पौधे में मानव शरीर में होने वाले रोगों से लड़ने की क्षमता होती हैं। इसके नियमित उपयोग से सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी सहित श्वांस संबंधी रोगों से छुटकारा मिल जाता हैं। यहीं कारण है कि अब बाजार में तुलसी के पौधे और इसके बीजों से बने उत्पाद की भारी मांग हो रही हैं। अब तुलसी की खेती कर किसान भी बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस लिए आज हम सभी किसान भाईयों को tulsi ki kheti kaise kare in hindi, tulsi ki kheti contract farming और Basil Farming in Hindi की सभी प्रकार की जानकारी देने जा रहे हैं।

तुलसी की खेती के लिए मिट्टी, जलवायु और तापमान कैसा हो?

किसान भाईयों Basil ki kheti के लिए बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती हैं। जहां हम तुलसी की खेती करने की योजना बना रहे हो वहां बारिश के पानी की उचित जल निकासी हो। जिसका यह फायदा होगा की तुलसी का पौधा तेजी से वृद्धि करेंगा। तुलसी की खेती के लिए कृषि भूमि का पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। मुख्य बात यह है कि उष्णकटिबंधीय जलवायु मे तुलसी की खेती भारी मात्रा में की जा सकती हैं। वहीं इसके पौधे बारिश के सीजन में तेजी से विकास करतें हैं। लेकिन सर्दी से इसे बचाने की आवश्यकता होती हैं, क्योंकि सर्दी में पड़ने वाला पाला इसकी पैदावार को नुकसान पहुंचा सकता हैं। तुलसी के पौधे को बढ़ने के लिए किसी भी खात तापमान की आवश्यकता नहीं होती हैं। यह सामान्य तापमान में भी आसानी से बढ़ जाता हैं।

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तुलसी की उन्नत किस्म प्रजाति कौन सी है?

Tulsi ki kheti | तुलसी की खेती से 100 दिनों में करें लाखों की कमाई

  • कर्पूर तुलसी

कर्पूर तुलसी मुख्य रूप से अमेरिकन प्रजाति/किस्म की तुलसी हैं। जिसे अमेरिका में उगाया जाता हैं। इससे निकलने वाली पत्तियों का उपयोग चाय को खुशबूदार करने के लिए किया जाता हैं। इसके पौधे का उपयोग कपूर बनाने में भी किया जाता हैं। कर्पूर तुलसी के पौधों की लंबाई दो से तीन फीट तक हो जाती हैं। इसकी पत्तियों का रंग हरा और फूल बैंगनी रंग के होतें हैं।

  • श्याम या कृष्ण तुलसी

श्याम या कृष्ण तुलसी की इस प्रजाति को काली तुलसी भी कहा जाता हैं। श्याम तुलसी के पौधों (basil plants) की पत्तियों का रंग हल्का जामुनी और फूल हल्के बैंगनी रंग के होते हैं। श्याम तुलसी के पौधों की लंबाई तीन फीट या इससे अधिक होती हैं। इसका उपयोग कफ और खांसी की बीमारी के लिए किया जाता हैं।

  • रामा तुलसी

रामा तुलसी मुख्य रूप से किसी भी गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में आसानी से उगाई जा सकती हैं। यहीं कारण है कि देश के दक्षिण में इसको बड़ी मात्रा में उगाया जाता हैं। रामा तुलसी के पौधों की लंबाई दो से तीन फीट तक हो जाती हैं। जबकि इसकी पत्तियों का रंग हल्का हरा और फूल बिल्कुल सफेद होतें हैं। रामा तुलसी के पौधों में बहुत कम खुशबु होती हैं। इसका उपयोग औषधियों को बनाने में किया जाता हैं।

  • अमृता तुलसी

अमृता तुलसी की किस्म पूरे भारत में पाई जाती हैं। इसके पौधों की कई शाखाएं निकलती हैं। जिससे इसका फैलाव अधिक होता हैं। इस पौधे की पत्तियों का रंग जामुनी होता हैं। अमृता तुलसी का उपयोग डायबिटीज/मधुमेह, दिल की बीमारी, कैंसर और गठिया आदि रोग के इलाज के लिए किया जाता हैं। इसके महत्वपूर्ण औषयी गुणों के कारण ही इसे अमृता तुलसी नाम दिया गया हैं।

  • बाबई तुलसी

बाबई किस्म की तुलसी का उपयोग कुछ राज्यों में सब्जियों को खुशबूदार बनाने में किया जाता हैं। इसके पौधे केवल दो फीट तक लंबे होते हैं। बाबई तुलसी की पत्तियों का आकार सामान्य होता हैं। इस तुलसी की खेती अधिकांश रूप से बंगाल और बिहार में बड़ी संख्या में की जाती हैं। इसकी खेती से किसान भारी मुनाफा भी कमा रहे हैं।

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तुलसी की खेती (Tulsi Farming) की तैयारी कैसे करें?

तुलसी के पौधों की विशेषता यह होती हैं कि एक बार पौधा पूर्ण विकसित हो जाए तो यह लगातार तीन साल तक पैदावार देता रहता हैं। तुलसी की खेती के पहले खेत की गहरी जुताई कर देनी चाहिए। जुताई होने के बाद कुछ समय तक खेत को धूप में छोड़ देना चाहिए। खेत में गोबर की खाद डालकर उस पर एक बार फिर रोटावेटर से जुताई करें। जिसके प्रयोग से गोबर खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाएगा। इसके बाद खेत में पानी छोड़कर पलेव करें। खेत की मिट्टी की उपरी सतह जब सूखी दिखाई देने लगे तब रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना दें।

यह काम होने के बाद उसमें पाटा लगाकर खेत को समतल बना दें। गौरतलब है कि खेत में गोबर की खाद के स्थान पर कम्पोस्ट खाद का भी उपयोग कर सकते हैं। वहीं रासायनिक खाद का उपयोग करना चाहते है तो इसके लिए आपको एक बोरी एनपीके NPK की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में डालना होगी। वहीं तुलसी के पौधों के अंकुरण के समय 20KG नाइट्रोजन की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना होगा।

तुलसी का पौधा तैयार कैसें करें?

खेत की जमीन तैयार होने के बाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 750 ग्राम से 1 किलो बीज पर्याप्त होता हैं। बीज की बुवाई 1:10 के अनुपात में रेत या बालू मिलकर 8-10 से. मी. की दूरी पर लाईन में करनी चाहिए। यह ध्यान रखे की बीज की गहराई अधिक न हो। जमाव के 15-20 दिन बाद 20 किलो प्रति हेक्टयर के हिसाब से नत्राजन डालना जरूरी हैं। पांच से छह सप्ताह में पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। अगर पौधे तैयार करने में किसी भी प्रकार की परेशानी आ रही है तो किसान भाई किसी भी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से तुलसी के पौधे खरीद सकते हैं।

तुलसी की खेती की रोपाई कैसे करें?

किसान भाईयों को यह ध्यान रखना है कि तुलसी के पौधों की रोपाई समतल और मेड़ दोनों ही स्थान पर की जा सकती हैं। अगर आप मेड़ पर तुलसी के पौधों को रोपना चाहते हैं तो इसके लिए पहले खेत में एक-एक फीट की दूरी पर मेड़ को अच्छे से तैयार कर लें। मेड़ तैयार होने के बाद मशीन के माध्यम से तुलसी के पौधों को सवा-सवा फीट की दूरी पर रोप सकतें हैं।

वहीं दूसरी ओर अगर आप समतल भूमि पर पौधों की रोपाई करना चाहत हैं तो इसके लिए खेत को लाइन के हिसाब से तैयार करना होगा। इन लाइन को डेढ़ से दो फीट की दूरी में तैयार किया जाता हैं। इसमें पौधे लगाते समय इस बात का ध्यान रखें की पौधों की आपस में 40 सीएम की दूरी हो। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार तुलसी के पौधे की रोपाई का समय अप्रैल में सबसे अच्छा मना गया हैं।

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Tulsi ki kheti की सिंचाई कैसें करें?

किसान भाईयों से निवेदन है कि अगर आपको तुलसी की खेती से जुडा हमारा यह लेख पंसद आए तो इसे अन्य किसान भाईयों को भी शेयर करें। जिससे की उनको भी तुलसी की खेती से मुनाफा कमाने का मौका मिले। तो हम बात कर रहे थे, तुलसी के पौधों की सिंचाई की जैसा की आपको पता है कि तुलसी के पौधों की रोपाई सूखी भूमि में की जाती हैं। यहीं कारण है कि पौधों की रोपाई के बाद उसकी पहली सिंचाई आवश्क हैं। तुलसी के खेत में नमी बनाए रखने के लिए खेत में हर 4-5 दिन में सिंचाई करना चाहिए। अगर बारिश का सीजन है तो तुलसी के पौधों की सिंचाई 15 से 20 दिन के अंतराल में या फिर बारिश के अनुसार की जा सकती हैं।

तुलसी के पौधों में खरपतवार नियंत्रण कैसें करें?

तुलसी के पौधों में खरपतवार नियंत्रण से पहले हमें इस बात का विशेष से ध्यान रखना चाहिए की तुलसी की खेती से प्राप्त होने वाली उपज का उपयोग औषधीय के रूप में होगा। इसलिए खरपतवार का नियंत्रण करने के लिए रासायनिक विधि का उपयोग नहीं करना हैं। खरपतवार के नियंत्रण के लिए निराई-गुडाई विधि का ही उपयोग करना अच्छा होगा। इसकी पहली गुडाई तुलसी के पौधों की रोपाई के डेढ़ महीने बाद की जाती हैं। जबकि पहली गुड़ाई के एक महीने के अंतराल में पौधों की दूसरी तथा तीसरी गुड़ाई भी कर देनी चाहिए।

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तुलसी की खेती में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम कैसे करें?

1- जड़ गलन रोग

खेत में जल भराव के कारण तुलसी की खेती में जड़ गलन रोग होता हैं। खेत में जल भराव के कारण तुलसी के पौधों की जड़े गलने लग जाती हैं। जड़ गलने के साथ ही पौधे की पत्तियां भी पीली पड़ जाती हैं। इस रोग से बचने का सबसे अच्छा उपाए तो यह है कि हमें खेत में जलभराव नहीं होने देना चाहिए। उसके बाद भी अगर रोग के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं तो बाविस्टिन की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों की जड़ों पर किया जा सकता हैं।

2- कीट रोग

तुलसी की खेती में कीट रोग लगने से इसकी पैदावार पर बहुत ही बुरा असर पड़ सकता हैं। इसमें पनपने वाले कीट पौधों पर रहकर उसे बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। कीट रोग से ग्रस्ति होने पर पौधों की पत्तियां पीले रंग की हो जाती हैं। इसके बाद मुरझाकर नष्ट हो जाती हैं। कीट रोग दिखाई देने पर तत्काल एजाडिरेक्टिन की उचित मात्रा का छिड़काव किया जाना चाहिए।

3- पत्ती झुलसा

अधिक गर्मी होने पर तुलसी की खेती में पत्ती झुलसा हो जाता हैं। इस रोग के कारण तुलसी के पौधों की पत्तियों पर जले हुए धब्बे हो जाते हैं। फाईटो सैनिटरी विधि का उपयोग कर इस रोग को रोका जा सकता हैं।

तुलसी की खेती (Basil ki kheti) कहां और किसे बेचे?

तुलसी की खेती बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश और बिहार के कई हिस्सों में की जा रही है। खेती करने से पहले ही कई किसानों के पास कई निजी कंपनियां अनुबंध करने पहुंच रही हैं। हालांकि अगर आपको भी तुलसी की खेती की उपज को बेचना है तो ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से इसे बेचा जा सकता हैं। इसके अलावा तुलसी की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करवाने वाली दवा कंपनियां या एजेंसियों कई आयुर्वेदिक कंपनियां जैसे पतंजलि, हिमालया, डाबर, वैद्यनाथ और झंडु जैसी कंपनी को बेच सकते हैं।

तुलसी की खेती की पैदावार और कटाई

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तुलसी का पौधा कितने दिन में उगता है – तुलसी के पौधों की कटाई पौधों की रोपाई के लगभग तीन महीने के बाद कर ली जाती हैं। तुलसी के पौधों पर जब पूर्ण रूप से फूल आ जाये तथा नीचे के पत्ते सूखे दिखाई दे तब इसकी कटाई की जाती हैं। काटे गए पौधों से तेल निकाला जाता हैं। भूमि से 20 से 25 सीएम की उंचाई से पौधों की कटाई की जाती हैं।

तुलसी की खेती से होने वाला लाभ

किसान भाईयों हम आशा करते है कि अभी तक आपने तुलसी की खेती से जुडे हुए हर पहलू को अच्छे से पढ़ा होगा। अब हम अंत में बात करते है आपके फायदे की। क्योंकि अभी तक तो हमने तुलसी की खेती कैसें करे और कैसे उत्पादन करें, रोग और उसके निदान के बारे में पढ़ा। किसान भाईयों आपको यह बताना जरूरी है कि अगर आप तुलसी की खेती करते है तो प्रति हेक्टेयर तुलसी के खेत से 20 से 25 टन पैदावार मिलेगी। जिसमें से 80 से 100 KG तेल प्राप्त होता हैं। इसके तेल का बाजार में भाव 450 से 500 रुपए प्रति किलो हैं। किसान भाईयों को एक बार की फसल में अच्छा मुनाफ हो जाएगा।

तुलसी की खेती से जुड़े प्रश्न/उत्तर (FAQs)

प्रश्न 1- तुलसी की खेती किसी महीने में की जानी चाहिए।
उत्तर- तुलसी की खेती के पौधों की रोपाई के लिए अप्रैल माह उपयुक्त हैं।

प्रश्न 2- तुलसी की खेती से कितने दिनों मे उत्पादन होता हैं।
उत्तर- तुलसी की खेती से तकरीबन 100 दिनों में उत्पादन हो जाता हैं।

प्रश्न 3- तुलसी के पौधे कितने किस्म में होते हैं।
उत्तर- तुलसी के पौधों कि 5 किस्म मुख्य रूप से होती हैं।

प्रश्न 4- तुलसी की खेती किस वातावरण में की जानी चाहिए।
उत्तर- तुलसी की खेती सभी प्रकार के वातावरण में हो सकती हैं।

प्रश्न 5- तुलसी की खेती सबसे अधिक कहा पर होती हैं।
उत्तर- तुलसी की खेती उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे अधिक होती हैं।


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