जानिए धान के पौधों में बौनेपन की समस्या को कैसे पहचाने और कैसे दूर करे
धान के बौनेपन को रोकना: किसानों के लिए एक जरूरी सुझाव

खरीफ सीजन के धान को एक बढ़ते खतरे का सामना करना पड़ रहा है- बौनापन। इससे विकास रुक जाता है और पौधे की सेहत और उपज दोनों पर असर पड़ता है। चिंता न करें किसान भाई, इस समस्या से निपटने के लिए यहाँ एक विस्तृत जानकारी दी गई है।
जानिए बौनेपन की पहचान कैसे करे
पीली पत्तियाँ: शुरुआती लक्षण युवा पौधों में पीली पत्तियाँ दिखाई देते हैं। इसे नजर अंदाज न करें।
कारण:
- वायरस: स्पिनारियोविरिडे समूह वायरस का हाल ही में प्रकोप एक प्रमुख कारण है।
- खरपतवार: अत्यधिक खरपतवार पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे पौधे की वृद्धि बाधित होती है।
- पोषक तत्वों की कमी: आवश्यक पोषक तत्वों की कमी भी बौनेपन में योगदान दे सकती है।
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समाधान:
- प्रारंभिक नर्सरी निगरानी: बौनेपन के किसी भी लक्षण के लिए प्रारंभिक नर्सरी का बारीकी से निरीक्षण करें।
- संक्रमित पौधों को उखाड़ें और नष्ट करें: रोग से प्रभावित पौधों को हटा दें और खेतों से दूर दफना दें।
- सीधी बुवाई: पारंपरिक नर्सरी विधियों की तुलना में सीधी बुवाई पर विचार करें।
- नियमित निराई: पोषक तत्वों की उपलब्धता में सुधार के लिए धान के खेतों को खरपतवार मुक्त रखें।
- चयनात्मक प्रतिस्थापन: यदि केवल कुछ पौधे पीले दिखाई देते हैं, तो उन्हें स्वस्थ पौधों से बदल दें।
- संतुलित उर्वरक: मिट्टी की ज़रूरतों के आधार पर यूरिया, डीएपी और जीवामृत डालें। रसायनों के अत्यधिक उपयोग से बचें।
- हॉपर नियंत्रण: नर्सरी को हॉपर से बचाने के लिए डाइनोटेफ्यूरान 20 एसजी या पाइमेट्रोज़िन 50 डब्ल्यूजी जैसे कीटनाशकों का उपयोग करें।
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सीधी धान बुवाई के लाभ:
- लागत-प्रभावी: पारंपरिक तरीकों की तुलना में श्रम और संसाधनों की बचत होती है।
- अधिक उपज: अध्ययनों से पता चलता है कि सीधी बुवाई से बेहतर उपज हो सकती है।
- कीट और रोग जोखिम में कमी: कुछ कीटों और रोगों की घटनाओं में कमी आ सकती है।
- जल संरक्षण: नर्सरी विधियों की तुलना में सीधी बुवाई में कम पानी की आवश्यकता होती है।
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