Goat Vaccination: बरसात-बाढ़ के बाद बकरियों में बीमारियों का खतरा, ऐसे बचाएं अपनी बकरियां
बरसात और बाढ़ के बाद बकरियों में खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सही समय पर टीकाकरण (Goat Vaccination) करवाकर पशुपालक अपने झुंड को सुरक्षित रख सकते हैं।

Goat Vaccination: बरसात और बाढ़ के बाद बकरियों में कई तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के अनुसार इस समय बकरियों में खुरपका, बकरी चेचक, गलघोंटू और बकरी प्लेग जैसी बीमारियां फैलने की संभावना ज्यादा रहती है। इसके साथ ही पैरासाइट (कीड़े, कुकड़िया रोग) और ब्रुसेलोसिस जैसी जानलेवा बीमारियों का भी खतरा रहता है। अगर एक बकरी बीमार हो जाए तो पूरी झुंड में बीमारी फैल सकती है। इसलिए पशुपालकों के लिए समय पर टीकाकरण (Vaccination) करवाना सबसे जरूरी उपाय है।
क्यों जरूरी है बाढ़ और बरसात में Goat Vaccination?
बरसात और बाढ़ का पानी जब उतरता है तो नमी और गंदगी की वजह से संक्रमण तेजी से फैलता है।
बीमारियां कई बार जानलेवा साबित होती हैं।
समय पर टीका लगवाने से संक्रमण को रोका जा सकता है।
इससे बकरियों की मौत और आर्थिक नुकसान दोनों से बचाव होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अभी तक टीका नहीं लगवाया है, तो तुरंत लगवा लें।
कौन सा टीका कब लगवाना चाहिए? (Goat Vaccination Schedule)
खुरपका (FMD Vaccine)
पहली खुराक: 3 से 4 महीने की उम्र पर
बूस्टर डोज: पहली खुराक के 3–4 हफ्ते बाद
उसके बाद: हर 6 महीने पर
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बकरी चेचक (Goat Pox Vaccine)
पहली खुराक: 3 से 5 महीने की उम्र पर
बूस्टर डोज: 1 महीने बाद
उसके बाद: हर साल
गलघोंटू (Hemorrhagic Septicemia Vaccine)
पहली खुराक: 3 महीने की उम्र पर
बूस्टर डोज: 23 से 30 दिन बाद
पैरासाइट और कीड़े (Parasite & Worm Control)
कुकड़िया रोग: 2–3 महीने पर दवा पिलाएं, 3–5 दिन तक। फिर 6 महीने पर दोबारा।
डिवार्मिंग: 3 महीने की उम्र पर, बरसात की शुरुआत और अंत में दवा दें।
डिपिंग: सभी उम्र पर किया जा सकता है। सर्दियों की शुरुआत और अंत में सभी बकरियों को एक साथ दवा के पानी से नहलाएं।
रेग्यूलर जांच (Regular Check-Up)
ब्रुसेलोसिस: 6 और 12 महीने की उम्र पर जांच। संक्रमित पशु को गहरे गड्ढे में दफना दें।
जोहनीज (JD): 6 और 12 महीने पर जांच। संक्रमित पशु को झुंड से अलग करें।
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अन्य जरूरी टीके
PPR (Goat Plague): 3 महीने की उम्र पर। बूस्टर की जरूरत नहीं। 3 साल की उम्र पर दोबारा।
इंटेरोटोक्सिमिया: 3–4 महीने पर पहला टीका। बूस्टर 3–4 हफ्ते बाद। हर साल 2 बार।
बरसात और बाढ़ के मौसम में बकरियों को संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है। लेकिन समय पर Goat Vaccination करवाकर पशुपालक अपने झुंड को सुरक्षित रख सकते हैं। यह न केवल बकरियों की सेहत के लिए जरूरी है बल्कि किसानों और पशुपालकों की आय को भी सुरक्षित करता है।
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