मूंग की खेती के लिए गर्मी का समय बेहतर, अच्छे उत्पादन के लिए बीजोपचार के बाद ही बुआई करें
दलहनी फसलों में मूंग एक महत्वपूर्ण फसल है। गर्मी में मूंग की खेती किसानों के लिए वरदान है। गर्मी में मूंग की खेती किसानों के लिए वरदान है। मूंग विभिन्न दलहनी फसलों में एक विशेष स्थान रखती है
मूंग की खेती: गर्मी में मूंग की खेती किसानों के लिए वरदान है। इस बीच, मूंग विभिन्न दलहनी फसलों में एक विशेष स्थान रखती है और कृषि विभाग अतिरिक्त आय, खेतों का खाली समय में अधिकतम उपयोग, मिट्टी की उर्वरता और दक्षता में वृद्धि जैसे कई लाभों पर जोर देकर किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
किस्मों का चयन
- पूसा बैसाखी (टाइप 44): सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त यह किस्म 65 दिनों में पक जाती है, प्रति एकड़ ढाई से साढ़े तीन क्विंटल उपज देती है।
- मुस्कान (एमएच96-1): गर्मी और खरीफ दोनों मौसमों के लिए उपयुक्त, इसकी फलियाँ गर्मियों में एक साथ पकती हैं। उपज चार क्विंटल प्रति एकड़ है।
- (एसएमएल-668): धान और गेहूं के सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त पंजाब किस्म, जिसमें मोटे, चमकदार, हरे दाने होते हैं। फलियाँ एक साथ पकती हैं, जिससे 65-70 दिनों में प्रति एकड़ चार क्विंटल उपज मिलती है।
- (के 851): बहुमुखी और उचित सिंचाई वाली किसी भी मिट्टी के लिए उपयुक्त, इस किस्म में मध्यम ऊंचाई के पौधे, मध्यम आकार के चमकीले हरे दाने और एक साथ पकने की सुविधा है। प्रति एकड़ तीन से चार क्विंटल पैदावार होती है।
बुआई का समय:
बुआई का सर्वोत्तम समय मार्च है, लेकिन मूंग एसएमएल-668 की बुआई गेहूं की कटाई के बाद 15 से 20 अप्रैल तक भी की जा सकती है।
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बीज की मात्रा एवं अंतर:
गर्मियों के लिए प्रति एकड़ 10-12 किलोग्राम बीज 20-25 सेमी के अंतर पर बोएं। बुआई संघनन में सहायता करती है।
बीज उपचार:
प्रति किलोग्राम बीज पर दो ग्राम कार्बेन्डाजिम (बाविस्टिन) डालकर मूंग के बीजों को जड़ सड़न रोग से बचाएं। इसके अतिरिक्त, इष्टतम विकास के लिए बीजों को राइजोबियम वैक्सीन से उपचारित करें।
खाद की मात्रा:
ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई के समय प्रति एकड़ 6 से 8 किलोग्राम शुद्ध नाइट्रोजन तथा 16 किलोग्राम शुद्ध फास्फोरस का प्रयोग करें। मूंग के पौधे बाद में वातावरण से नाइट्रोजन प्राप्त करते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि और खेत में नाइट्रोजन जमाव में सहायता मिलती है।
निराई और सिंचाई:
फसल की आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई एवं सिंचाई का प्रबंधन करें।
कब करें कटाई
जब मूंग की 50 प्रतिशत फलियां पक कर तैयार हो जाएं, तो फसल की पहली तोड़ाई कर लेनी चाहिए। इसके बाद दूसरी बार फलियों के पकने पर फसल की कटाई करें। फलियां तोड़ने के बाद फसल को खेत में दबाने से फसल हरी खाद का काम करती है और खेत को मजबूती मिलती है।
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कितनी मिल सकती है उपज
मूंग की फसल से 5- 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है।
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