Sugarcane cultivation: गन्ना किसानों की बड़ी राहत, 1400 करोड़ रुपये का बकाया जल्द मिलेगा

सरकार ने कसी सख्ती, चीनी स्टॉक की नीलामी से होगी वसूली

Sugarcane cultivation: गन्ना किसानों के लिए अच्छी खबर है। अभी तक देशभर की चीनी मिलों पर किसानों के लगभग 1400 करोड़ रुपये बकाया हैं। अब सरकार ने यह पैसा जल्द दिलवाने के लिए एक सख्त योजना बनाई है। चीनी आयुक्त कार्यालय ने बकाया चुकाने में लापरवाह मिलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। जरूरत पड़ने पर इन मिलों के चीनी स्टॉक की नीलामी करके भी पैसा वसूला जाएगा, ताकि किसानों को समय पर भुगतान मिल सके।

पेराई सत्र खत्म, फिर भी बकाया बाकी

महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में गन्ना पेराई का काम पूरा हो चुका है, लेकिन किसानों को उनका पूरा पैसा अभी तक नहीं मिला है।

1 अप्रैल 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, किसानों को एफआरपी (न्यूनतम गारंटीड रेट) के रूप में कुल 28,231 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन अब तक 26,799 करोड़ रुपये ही मिल पाए हैं।
इसका मतलब है कि अब भी 1432 करोड़ रुपये का बकाया बाकी है।

कैसे होगी वसूली?

  • नियम के अनुसार, गन्ना खरीदी के 14 दिन के अंदर किसानों को भुगतान करना जरूरी है।

  • समय पर भुगतान न करने पर राजस्व वसूली प्रमाण–पत्र (RRC) जारी किया जाता है।

  • इसके बाद, सरकार चीनी स्टॉक की नीलामी कर सकती है ताकि किसानों का पैसा चुकाया जा सके।

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कितनी मिलें दे चुकी हैं पूरा भुगतान?

राज्य की कुल 200 चीनी मिलों में से:

  • 105 मिलों ने किसानों को 100% भुगतान कर दिया है।

  • 50 मिलों ने 80% से 99.99% तक भुगतान किया है।

  • 30 मिलों ने 60% से 79.99% भुगतान किया है।

  • लेकिन 14 मिलें ऐसी भी हैं जिन्होंने 40% से कम ही भुगतान किया है। इन पर सरकार की सख्त नजर है।

नया सीजन और निर्यात को लेकर अनिश्चितता

अगले गन्ना सीजन (2025–26) की शुरुआत को लेकर उत्पादन के सही आंकड़े अभी स्पष्ट नहीं हैं

  • कुछ संस्थाएं 44 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगा रही हैं,

  • तो कुछ 54 लाख टन बता रही हैं।
    इस बीच, केंद्र सरकार ने 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है, जिसमें से 6 लाख टन का व्यापार हो चुका है।

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मिलें क्यों नहीं कर पा रही भुगतान?

विशेषज्ञों के अनुसार, मिलों के पास पैसे की कमी के कई कारण हैं:

  • चीनी स्टॉक को गिरवी रखकर मिलें बैंक से कर्ज लेती हैं, लेकिन उन्हें पूरी रकम नहीं मिलती।

  • बैंक सुरक्षा राशि काट लेते हैं, जिससे एफआरपी चुकाने लायक पैसे नहीं बचते।

  • कई मिलें पुराने कर्ज भी चुका रही हैं, जिससे उनकी आर्थिक हालत और बिगड़ रही है।

किसान संगठन भी हुए सक्रिय

कई किसान संगठनों ने चीनी आयुक्त से मिलकर बकाया भुगतान की मांग की है।
अगर जल्द भुगतान नहीं हुआ, तो आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।


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