Sugarcane Cultivation: गन्ने की नई वेरायटी और तकनीक से पाएं बंपर पैदावार और ज्यादा कमाई
हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे गन्ने की खास किस्में और तकनीक, जो देंगी बंपर पैदावार

Sugarcane Cultivation: बसंतकालीन गन्ने की बुवाई का ये अच्छा समय है। आमतौर पर गन्ने की बुवाई का दो मौसम होता है। पहला एक फरवरी से 31 मार्च तक और दूसरा 15 सितंबर से 31 अक्तूबर तक। हालांकि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर किसान 15 अप्रैल से 31 मई के बीच भी गन्ने की बुवाई करते हैं। ये देरी से बोई जाने वाली फसल होती है। खासतौर पर किसान गेहूं की कटाई के बाद इसकी बुवाई करते हैं। हम आपको गन्ने की उन खास किस्मों और आधुनिक तकनीकों के बारे में बताएंगे, जिनकी मदद से आप अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं। सही किस्म का चयन और उन्नत कृषि पद्धतियों का इस्तेमाल करने से किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर लाभ मिल सकता है।
गन्ने की बुवाई में इन जरूरी बातों का रखें ध्यान
- सही किस्म चुनें: कम लागत में ज्यादा उत्पादन के लिए उपयुक्त किस्म का चयन करें।
- खेत की तैयारी: जुताई और बुवाई के सही तरीकों का पालन करें।
- रोग प्रतिरोधक किस्में: लाल सड़न जैसी बीमारियों से बचने के लिए रोगरोधी किस्में उगाएं।
- प्रतिबंधित किस्मों से बचें: हाल ही में प्रतिबंधित को-0238 किस्म की बुवाई न करें।
गन्ने की बेहतरीन किस्में, ज्यादा पैदावार का फायदा
- अगर आप गन्ने की खेती से ज्यादा मुनाफा चाहते हैं, तो सही किस्म का चयन बेहद जरूरी है। यहां शीघ्र और मध्य देर से तैयार होने वाली कुछ उन्नत किस्में दी गई हैं, जो बेहतर उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं।
- शीघ्र तैयार होने वाली किस्में:
कोलख 94184, कोलख 9709, कोशा 03251, यूपी 05125, को 0238, को 98014, कोशा 8436, कोसे 95422, को 05009 आदि। - मध्य देर से तैयार होने वाली किस्में:
कोशा 08279, को 05011, कोशा 96275, यूपी 0097, को 0233, कोशा 99259, कोशा 12232, कोसे 11453 आदि।
इन उन्नत किस्मों की खेती कर किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
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बेहतर पैदावार के लिए अपनाएं सही विधि
- ऊसर जमीन में गन्ने की खेती: अगर आपकी जमीन ऊसर है, तो हर किस्म वहां उपयुक्त नहीं होती। इसके लिए यूपी 14234 और को.शा. 14233 जैसी किस्में सबसे बेहतर मानी जाती हैं, जो कम उपजाऊ मिट्टी में भी अच्छा उत्पादन देती हैं।
- ट्रेंच विधि अपनाएं: गन्ने की खेती में ट्रेंच विधि सबसे प्रभावी मानी जाती है।बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरी बना लें। ट्रेंच डिगर से 1 फीट चौड़ी और 20-25 सेमी गहरी नालियां तैयार करें। इनमें एक से दो आंख वाले टुकड़ों की बुवाई करें। इस विधि से नमी बनाए रखने में मदद मिलती है और पैदावार भी बेहतर होती है।
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