मानसून के आगमन के पश्चात ही करे सोयाबीन की फसल की बुवाई, जाने महत्वपूर्ण सुझाव

अच्छे उत्पादकता के लिए किसानों के लिए कुछ प्रारंभिक कदमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण

सोयाबीन की फसल की बुवाई का समय नजदीक आ रहा है। अच्छे उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए किसानों के लिए कुछ प्रारंभिक कदमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है।

  • सोयाबीन की बोवनी के लिए जून माह के दूसरे सप्ताह से जुलाई माह के प्रथम सप्ताह का समय सबसे उचित होता है, मानसून के आगमन के पश्चात ही, न्यूनतम 10 सेमी वर्षा होने की स्थिति में सोयाबीन की बोवनी करें।
  • सोयाबीन के उत्पादन में स्थिरता की दृष्टि से 2 से 3 वर्ष में एक बार अपने खेत की गहरी जुताई करना लाभकारी होता है। अतः ऐसे किसान जिन्होंने इस पद्धति को नहीं अपनाया है, कृपया इस समय अपने खेत की गहरी जुताई करें। उसके पश्चात विपरीत दिशा में कल्टीवेटर एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार करें। सामान्य वर्षों में विपरीत दिशा में दो बार कल्टीवेटर एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार करें।
  • अंतिम बखरनी से पूर्व गोबर की खाद (10 टन/हे) या मुर्गी की खाद (2.5 टन/हे) को खेत में फैलाकर अच्छी तरह मिला दें। इससे भूमि की गुणवत्ता एवं पोषक तत्वों में वृद्धि होगी।

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  • उपलब्धता अनुसार अपने खेत में विपरीत दिशाओं में 10 मीटर के अंतराल पर सब- सोइलर नामक यंत्र को चलाएं जिससे भूमि की जल धारण क्षमता में वृद्धि होगी, एवं सूखे की अनपेक्षित स्थिति में फसल को अधिक दिन तक बचाने में सहायता मिलेगी।
  • सोयाबीन की बोवनी के लिए बी.बी.एफ (चौड़ी क्यारी प्रणाली) या रिज -फरो पद्धति (कुड-मेड- प्रणाली)का चयन करें तथा संबंधित यंत्र या उपकरणों का प्रबंध करें।
  • अपने जलवायु क्षेत्र के लिए अनुशंसित, विभिन्न समयावधि में पकने वाली 2-3 सोयाबीन की किस्मों का चयन करें तथा बीज की उपलब्धता एवं गुणवत्ता (बीज का अंकुरण न्यूनतम 70%) सुनिश्चित करें।

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  • बीज के साथ किसी भी प्रकार के रासायनिक उर्वरको का प्रयोग न करें।
  • गहरी काली भूमि तथा अधिक वर्षा क्षेत्रों में रिजर सीडर प्लांटर द्वारा कूड (नाली) मेड़ पद्धति या रेज्ड बेड प्लांटर या ब्राड बेड फरो पद्धति से बुआई करें।
  • पोषक तत्वों की कमी, रोग, या कीट संक्रमण के संकेतों के लिए नियमित रूप से अपनी फसल की निगरानी करें।

सोयाबीन की खेती के लिए आवश्यक आदान (बीज, खाद-उवर्रक, फफूंदनाशक, कीटनाशक, खरपतवारनाशक , जैविक कल्चर) का क्रय एवं उपलब्धता सुनिश्चित करें।


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