अब सिंधु नदी का पानी भारत के खेतों में – किसानों के लिए बड़ी राहत
सरकार का बड़ा फैसला – सिंधु नदी का पानी अब सिंचाई और बिजली के लिए भारत में होगा इस्तेमाल

देश के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। अब सिंधु नदी का पानी भारत के खेतों में सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब पाकिस्तान को सिंधु नदी का पानी नहीं मिलेगा। यह फैसला किसानों की भलाई और देश की जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
इससे खेती में पानी की कमी दूर होगी और फसलों की पैदावार बढ़ेगी। साथ ही इस पानी का इस्तेमाल बिजली बनाने में भी किया जाएगा।
क्या है सिंधु जल संधि?
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था, जिसे सिंधु जल संधि कहते हैं। इस संधि के तहत:
पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी दिया गया था।
भारत को सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का हक मिला था।
समय-समय पर पाकिस्तान ने इस संधि के नियमों का उल्लंघन किया। अब भारत सरकार ने इस संधि को खत्म करने का फैसला लिया है।
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कृषि मंत्री ने क्या कहा?
कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि यह संधि देश के साथ अन्याय थी। पहले भारत का 80% पानी पाकिस्तान को दिया जा रहा था और साथ ही पैसे भी दिए गए थे। उन्होंने कहा, “अब हम अपने किसानों का हक किसी और को नहीं देंगे। यह पानी अब देश और किसानों की सेवा में लगेगा।”
किन राज्यों को मिलेगा सिंधु का पानी?
अब जिन राज्यों को सिंधु नदी के पानी से फायदा मिलेगा, वे हैं:
पंजाब
हरियाणा
राजस्थान
मध्य प्रदेश
हिमाचल प्रदेश
जम्मू-कश्मीर
इन राज्यों में खेती करने वाले किसानों को सिंचाई के लिए और बेहतर पानी मिलेगा।
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किसानों की राय क्या है?
देशभर के किसान संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि पाकिस्तान ने कई बार संधि का उल्लंघन किया और अब यह फैसला बिल्कुल सही है। किसान नेताओं ने कहा कि भारत के किसान मेहनती हैं और अन्याय बर्दाश्त नहीं करते।
सिंधु जल संधि – एक नजर में:
बिंदु | जानकारी |
---|---|
साल | 1960 |
मध्यस्थ | विश्व बैंक |
भारत को मिली नदियां | सतलुज, ब्यास, रावी |
पाकिस्तान को मिली नदियां | सिंधु, झेलम, चिनाब |
अब क्या बदला? | भारत सिंधु का पानी खुद इस्तेमाल करेगा |
सिंधु नदी को भारत के नाम की जननी माना जाता है।
यह सिंधु घाटी सभ्यता की मुख्य नदी रही है।
यह भारत से होकर गुजरने वाली सबसे लंबी नदियों में से एक है।
अब तक इसका ज्यादातर पानी पाकिस्तान जाता था, लेकिन अब भारत में ही उपयोग होगा।
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