Pumpkin Farming: किसान कद्दू की खेती से ऐसे करें मोटी कमाई, सिर्फ 90 से 100 दिनों में लाखों का मुनाफा
देश में किसान अब कम वक्त में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों की खेती को ज्यादा प्रधानता देने लगे हैं। कद्दू भी इसी तरह की एक फसल है, इसकी खेती कर किसान सिर्फ 3 महीने के अंतराल में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
Pumpkin Farming: देश में किसान अब कम वक्त में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों की खेती को ज्यादा प्रधानता देने लगे हैं। कद्दू भी इसी तरह की एक फसल है, इसकी खेती कर किसान सिर्फ 3 महीने के अंतराल में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। बढ़िया मात्रा में प्रोटीन होने की वजह से कद्दू की सब्जी से लेकर बीज तक की बाजार में अक्सर डिमांड बनी रहती है। कद्दू एक ऐसी सब्जी है जिसे फल और सब्जी दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। इसके जायके कारण इससे व्यंजनों से लेकर कई मिठाईयां भी बनाई जाती है। भारतीय किसानों के बीच भी कद्दू बहुत फेमस है, क्योंकि यह फसल बहुत जल्दी तैयार हो जाती है और इसे कच्चा और पका दोनों तरीके से प्रयोग किया जाता है।
कद्दू की खेती
Pumpkin Farming: कद्दू की खेती गर्म और ठंडी दोनों जलवायु में की जा सकती है, लेकिन तेज धूप और पाला पड़ने पर इसकी कुछ किस्मों में नुकसान भी हो जाता है। दोमट मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती के लिये सबसे उपयुक्त रहती है। कद्दू की फसल साल में दो बार लगाई जाती है, जिसमें पहली फसल फरवरी से मार्च और दूसरी खेती जून से अगस्त के बीच होती है। मौसम के अनुसार ही इसकी अलग-अलग किस्मों को लगाया जाता है, जिसमें प्रबंधन कार्य करके अच्छी आमदनी ले सकते हैं।
सिर्फ 3 महीने में मोटी कमाई
कद्दू के पौधे 90 से 100 दिनों के अंदर पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसका फल फल ऊपर से पीले सफ़ेद रंग के दिखाई दे तो इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए। इसके हरे फलों को 70 से 80 दिन बाद तोड़ा जा सकता है। एक हेक्टेयर के खेत में कद्दू की 300 से 400 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है।
भूमि का चयन
कद्दू की खेती के लिए बेहतर जल निकासी वाली भूमि का चयन करें। पौधों के विकास के लिए जमीन का PH 5 से 7 के बीच होना चाहिए। बरसात के मौसम में इसकी खेती करना सबसे ज्यादा फायदेमंद है। 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में इसके पौधे अच्छे विकास करते हैं। इन बातों का रखें ध्यान कद्दू की खेती करने के लिए उचित जल निकासी वाली जगह का चुनाव करना बेहद अहम हो जाता है। कद्दू की बेहतर खेती के लिए जमीन का PH 5 से 7 के बीच होना चाहिए। बरसात का मौसम इसकी खेती के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। तकरीबन 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में इसके पौधे अच्छे से विकास करते हैं।
ठंड के मौसम में कद्दू की खेती को न करने की सलाह दी जाती है
सर्दियों में इसकी फसल को पाला लगने की संभावनाएं बढ़ जाती है। यही वजह है कि ठंड के मौसम में इसकी खेती को न करने की सलाह दी जाती है। ऐसे करें खेती कद्दू की फसल लगाने के लिए खेतों को पहले अच्छे तरीके से तैयार कर लें। सबसे पहले ठीक तरीके से खेतों की जुताई कर लें। फिर खेतों में खाद डाल कर कद्दू की बीजों को लगाने के लिए क्यारियों को तैयार कर लें। इसके बीजों की रोपाई ज्यादातर हाथ से ही करने की सलाह दी जाती है। सामान्यतः इसके फसल को सिंचाई की ज्यादा आवश्यकता पड़ती है। लेकिन अगर खेतों में जलभराव जैसी स्थिति आती है तो फसल को नुकसान हो सकता है।
सेहत के लिए भी फायदेमंद
कद्दू बरसात के मौसम में उगाई जाने वाली फसल है। भारत हलवा कद्दू के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। यहाँ के किसान बड़े पैमाने पर कद्दू की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे है। देशवाशियो की एक लोकप्रिय सब्जी है कद्दू उपयोग खाना पकाने और मिठाइयां आदि बनाने में किया जाता है। साथ ही इसमें विटामिन ए और पोटाश का अच्छा स्रोत पाया जाता है। हलवा कद्दू का उपयोग आंखों की रोशनी बढ़ाने, निम्न रक्तचाप के लिए किया जाता है और यह एक एंटीऑक्सीडेंट है।
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