Onion Cultivation: इस मौसम में प्याज लगाने के बाद तुरंत करे सिंचाई,
अगर इस मौसम में पौधों को पर्याप्त पानी न मिले तो पौधे पानी की कमी के कारण मर भी सकते हैं।
प्याज की खेती Onion cultivation: खरीफ सीजन के प्याज की रोपाई का मौसम चल रहा है, जिसकी किसान तैयारी कर रहे हैं। प्याज ठंडे मौसम की फसल है, लेकिन इसे खरीफ में भी उगाया जा सकता है।
प्याज एक ऐसी सब्जी है जो हर घर की रसोई में मौजूद होती है। प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी और मसाला फसल है, इसके बिना कई चीजों का स्वाद अच्छा नहीं लगता। भारत में प्याज की खेती कई राज्यों में की जाती है, महाराष्ट्र देश का पहला एक ऐसा राज्य है जो प्याज की खेती के लिए जाना जाता है और दूसरा मध्य प्रदेश सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है। दोनों ही राज्यों में बड़े पैमाने पर प्याज की खेती की जाती है।
इस समय इसकी कीमत 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। इसलिए किसानों के लिए प्याज की खेती बहुत जरूरी हो गई है। इस समय अच्छा दाम मिल रहा है इसलिए इसकी खेती में लापरवाही करना बड़ा आर्थिक नुकसान कर जाएगा। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मौसम में प्याज रोपने के बाद तुरंत सिंचाई कर दें, क्योंकि अगर पानी नहीं मिला तो गर्मी में पौधे मर सकते हैं।
आईए जानते हैं कि इसकी खेती के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
कैसी होनी चाहिए जलवायु
हालांकि प्याज ठण्डे मौसम की फसल हैं, लेकिन इसे खरीफ में भी उगाया जा सकता हैं। कंद निर्माण के पूर्व प्याज की फसल के लिए लगभग 210से. ग्रे. तापक्रम उपयुक्त माना जाता है, जबकि शल्क कंदों में विकास के लिए 150 से. ग्रे. से 250 से. ग्रे. का तापक्रम उत्तम रहता हैं।
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मिट्टी
प्याज की खेती कई तरह की मिट्टी में की जा सकती है। प्याज की खेती के लिए उपजाऊ दोमट और बलुई दोमट मिट्टी जिसमें उचित जल निकासी और कार्बनिक पदार्थ हों और जिसका pH मान 6.5-7.5 के बीच हो, सबसे अच्छी होती है। प्याज को अत्यधिक क्षारीय या दलदली मिट्टी में नहीं उगाना चाहिए।
उन्नत किस्में
- एग्री फाउण्ड डार्क रेड: यह किस्म भारत में सभी क्षैत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। इसके शल्क कन्द गोलाकार, 4-6 सेमी. आकार वाले, परिपक्वता अवधि 95-110, औसत उपज 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। यह किस्म खरीफ प्याज उगाने के लिए अनुसंशित है।
- 2. एन-53: भारत के सभी क्षेत्रों में उगाया जा सकता है, इसकी परिपक्वता अवधि 140 दिन, औसत उपज 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, इसे खरीफ प्याज (वर्षातकी प्याज) उगाने हेतु अनुसंशित किस्म हैं।
- भीमा सुपर: यह किस्म भी खरीफ एवं पिछेती खरीफ के लिये उपयुक्त है। यह किस्म 110-115 दिन में तैयार हो जाती है तथा प्रति हेक्टेयर 250-300 किवंटल तक उपज देती है।
भूमि की तैयार
प्याज के सफल उत्पादन में भूमि की तैयारी का विशेष महत्व हैं। खेत की प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करना चाहिए, इसके बाद 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर या हैरा से करें, प्रत्येक जुताई के पश्चात् पाटा अवश्य लगाऐं जिससे नमी सुरक्षित रहें तथा साथ ही मिट्टी भुर-भुरी हो जाये। भूमि को सतह से 15 से.मी. उंचाई पर 1.2 मीटर चैड़ी पट्टी पर रोपाई की जाती है अतः खेत को रेज्ड-बेड सिस्टम से तैयार किया जाना चाहिए।
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बुवाई और रोपाई का समय
खरीफ सीजन के लिए बीजों को 1 से 15 जून के बीच नर्सरी बेड पर पंक्तियों में बोना चाहिए। पौधे को 45 दिन की उम्र में रोपना सबसे अच्छा माना जाता है। पौधों का रोपण ट्रेंच बेड विधि से तैयार किये गये खेत में करना चाहिए, जिसमें 1.2 मीटर चौड़ी क्यारी एवं लगभग 30 सेमी. चौड़ी नाली तैयार की जाती है।
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