नीम के कीटनाशक से किसानों को होगा डबल मुनाफा

किसान फसलों में Neem Insecticides का उपयोग कर खेती के खर्च को बहुत काम कर सकते है

खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन के पौधे पनप चुके है। ऐसे में किसान भाइयों को सबसे ज्यादा परेशान तब होते हैं, जब उनकी फसलों में कीट या कोई रोग लग जाते हैं। ऐसे में किसान भाई रासायनिक कीटनाशकों (chemical pesticides) का उपयोग करते हैं।

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है की किसान अपनी फसल में नीम के कीटनाशक (Neem Insecticides) का उपयोग करें। जिससे उनको डबल मुनाफा होगा।

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रासायनिक कीटनाशक से होने वाली हानि

रासायनिक कीटनाशक किसानों को फसलों से कीट या रोग खत्म करने में थोड़ी बहुत मदद करती है, लेकिन ये कीटनाशक खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कमजोर कर देते हैं। ये खेतों और किसान भाइयों के लिए लंबे समय के लिए सही नहीं होता है, क्योंकि मिट्टी से उर्वरक क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है।

जिसके कारण जमीन के बंजर होने की सम्भावना बढ़ जाती है। बंजर जमीन में किसानों के लिए खेती करना बेहद मुश्किल का काम होता है।इतना ही नहीं, रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग से अनाज, सब्जी और फल इंसान की सेहत पर भी बहुत बुरा असर डालते हैं।

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जैविक कीटनाशकों को सरकार दे रही बढ़ावा

इस संबंध में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को अपनी फसलों में जैविक कीटनाशकों (organic pesticides) का उपयोग करना चाहिए। इसलिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार भी किसानों को अपने-अपने स्तर पर फसल के दौरान जैविक कीटनाशकों के उपयोग के लिए जागरूक कर रही है। कुछ राज्यों में सरकार द्वारा अभ्यं चलाया जा रहा है।

नीम से बने कीटनाशकों का करें उपयोग

जैविक कीटनाशकों के उपयोग के के विषय में कृषि विशेषज्ञ का कहना है की किसानों को अपने खेत में नीम के पत्ते, नीम की खल्ली और नीम के तेल से बने कीटनाशकों Neem Insecticides का प्रयोग करने की सलाह देते हैं। इसके उपयोग से फसलों में कीट और रोग नहीं लगेंगे, जिससे फसलों का उत्पादन कई गुना ज्यादा और शुद्ध होगा, ये शुद्ध अनाज इंसान की सेहत के लिए बहुत लाभकारी होगा।

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नीम से कीटनाशक बनाने की विधि

Neem Insecticides बनाने के लिए सबसे पहले किसानों को नीम के पत्ते को ठंड जगह में सूखाकर रात भर पानी में डूबाकर रखना होगा। इस पानी को आप पौधों पर छिड़क दें। किसान चाहें, तो इस पानी के घोल को एक बार बनाकर इसका बार-बार भी उपयोग कर सकते हैं।

इसके लिए किसान भाईयों को बड़े बर्तन में पानी के साथ नीम की ढेर सारी पत्ती, निंबोली और छाछ मिलाकर तब तक रखना होगा, जब तक इसका रंग बदल नहीं जाता है।फिर इसका उपयोग किसान अपने फसलों में कर सकते हैं। किसान और बेहतर परिणाम के लिए इस घोल में कुछ मात्रा में गोमूत्र और पीसा लहसुन भी मिला सकते हैं।

इन कीटों से भी बचायेगा नीम

इसके अलावा बैंगन जैसे पौधों पर तना छेदक कीट बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में बैंगन के पौधों पर नीम के तेल का स्प्रे कर देना चाहिए। इससे कीटों का प्रकोप कम हो जाता है। इसी तरह आम के पौधों में मंजर को मधवा कीट हानि पहुंचाते हैं, इसलिए 8 से 10 गज के बीच में 2 फॉर फेरोमेन ट्रैप को रख दें, ताकि उसमें मधवा कीट आकर्षित होकर फंस जाए और मर जाए।

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किसानों को होगा आर्थिक लाभ

एक अनुमान के मुताबिक, अगर किसान Neem Insecticides तैयार करते हैं, तो उन्हें काफी लाभ मिलेगा। बता दें कि अगर किसान 1 हेक्टेयर खेत में रासायनिक कीटनाशक का छिड़काव करते हैं,तो उनका कम से कम एक हजार रुपये खर्च होता है।

अगर वो खुद घर में नीम के इस्तेमाल से कीटनाशक तैयार करते हैं तो इसका खर्च कम आयेगा, क्योंकि नीम आसानी से मिल जाता है। इसके इस्तेमाल से फसल का स्वास्थ्य भी खराब नहीं होगा। ऐसे में फसलों से उत्पादन का डबल होगा तय है।

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