सरसों की खेती की समस्या? किसान अपनाएं ये 5 उपाय, होगा बंपर उत्पादन

किसान सरसों की खेती कर रहे हैं, ऐसे में सरसों की खेती में रोग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे किसानों की पैदावार प्रभावित होती है। सरसों की खेती को रोग से कैसे बचाएं? जानिए उपाय

सरसों की खेती: ठण्ड का मौसम चल रहा है। सुबह–शाम की सर्दी होने लगी है, लेकिन दोपहर में तेज धूप का सीधा असर सरसों की खेती पर दिखाई दे रहा है। इन दिनों सर्दी के मौसम में अधिक तापमान सरसों की फसल को प्रभावित कर रहा है। यदि बात करें राजस्थान की, तो यहां इस बार अधिक तापमान के कारण सरसों की खेती कम हुई है। वहीं जहां पर बुवाई हुई है वहां पर अधिक तापमान का असर सरसों के अंकुरण पर देखा जा रहा है। अधिक तापमान से सरसों के पौधों में बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि इस बार यूपी, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में भी सरसों की बुवाई प्रभावित हुई है जिससे पिछले साल के मुकाबले इस बार कुल क्षेत्रफल में 10% की कमी आ सकती है।

इसका मुख्य कारण अक्टूबर और नवंबर में उच्च तापमान था

राजस्थान में इस बार अक्टूबर और नवंबर में तापमान सामान्य से अधिक रहा जो सरसों की फसल के लिए अच्छा नहीं था। कई स्थानों पर जल्दी बोई गई फसलें अंकुरित नहीं हो पाईं। ऐसे में किसानों को दूसरी फसलें उगाने पर मजबूर होना पड़ा। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में पिछले कुछ हफ्तों में प्रमुख सरसों उत्पादक जिलों में अधिकतम तापमान में सामान्य से 2 से 7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी गई। वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में 21 नवंबर तक 30 लाख हैक्टेयर भूमि पर सरसों की बुवाई की गई है जो पिछले साल की तुलना में 7.2% कम है।

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उच्च तापमान का सरसों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

सरसों की फसल पर तापमान का असर सीधा दिखाई दे रहा है। तापमान की अधिकता से बोई गई सरसों की फसल में समस्याएं दिखाई दे रही हैं। अधिक तापमान से सरसों की फसल में अंकुरण नहीं हो पा रहा है या फिर अकुंरण होने के तुरंत बाद फसल मुरझा रही है।

सरसों की फसल को अधिक तापमान से कैसे बचाएं?

जिन किसानों ने इस साल सरसों की देरी से बुवाई की है। उन किसानों को सरसों की फसल को बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि नुकसान में कमी की जा सके। सरसों को अधिक तापमान से बचाने के लिए खेती के जानकारों के अनुसार जो उपाय किए जा सकते हैं, उनमें से प्रमुख 5 उपाय अपनाकर किसान अपनी सरसों की फसलों को संभावित नुकसान से बचा सकते हैं।

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सरसों की फसल को कैसे बचाएं?

जिन किसानों ने इस साल सरसों की देरी से बुवाई की है। उन किसानों को सरसों की फसल को बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि नुकसान में कमी की जा सके।

  • इस समय रात में तापमान कम और दिन में तापमान अधिक होने से सरसों में गलन की समस्या हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए पेंटोनाइड सल्फर (Pentonide Sulfur) का डेढ से दो किलोग्राम प्रति बीघा के हिसाब से खेत में भुकराव करना चाहिए।
  • सरसों के पौधों की जड़ में गलन की समस्या होने पर मेटालैक्सिल (Metalaxyl) का आधा ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से फसल पर छिड़काव करना चाहिए।
  • अगर रोग शुरुआती अवस्था में है तो ऐसी स्थिति में कार्बेंडाजिम दवा (Carbendazim) का 0.2% का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
  • बीमारी के साथ बैक्टीरिया संक्रमण की समस्या हो तो ऐसे में 15 लीटर पानी में 3 ग्राम स्टेप्टोसाइक्लीन (steptocycline) और 30 ग्राम कार्बेंडाजिम (Carbendazim) मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
  • सरसों की फसल में तना सड़न रोग की समस्या हो तो इसके उपचार के लिए रोगग्रसित फसल अवशेषों को जलाकर गाड़ देना चाहिए, इससे बीमारी फैलने का खतरा कम होता है। खेत को खरतपवार से मुक्त रखना चाहिए और फसल की आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से बचना चाहिए। इसके अलावा कार्बेन्डाजिम (बविस्टीन) दवा की 1 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

नोट: किसी भी दवा का प्रयोग करने से पहले किसान को अपने जिला कृषि विभाग से सलाह लेनी चाहिए और उसके बाद ही दवा का प्रयोग फसल पर करना चाहिए।


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