किसान ताड़गोला की खेती करें और पाए 10 फसलों जितना मुनाफा
छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है ताड़गोला की खेती होगा बड़ा मुनाफा, जानिये पूरी जानकारी
ताड़गोला एक अनोखा फल है, जिसके बारे में बहुत कम लोग को इसके बारे में जानकारी है। लेकिन ये बात पक्की है की जो लोग इस फायदेमंद फल को खाते हैं, वे इसका स्वाद कभी नहीं भूलते हैं। ताड़गोला को अंग्रेजी में Ice Apple के नाम से भी जाना जाता है।
पिछले कुछ दिनों से ताड़गोला सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा है। ताड़गोला की खेती करके किसान लाखों रूपए की कमाई कर सकते है। अगर आप भी Ice Apple Farming, विशेषता, लाभ और हानि के बारे में जानना चाहते है तो हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े।
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ताड़गोला की खेती और उसकी विशेषताएं
ताड़गोला फल बहुत कुछ नारियल जैसा दिखाई देता है। ताड़गोला फल को गोवा, कोंकण, चेन्नई सहित दक्षिण भारत में उगाया जाता है। खासकर उड़ीसा और तमिलनाडु के किसान इसकी खपत को देखते हुए बड़े पैमाने पर व्यावसायिक खेती करते हैं, जिससे उन्हें भारी मुनाफा होता है।
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, एक ताड़ का पेड़ 250 ताड़गोला लगते है। लगभग 5000 लोगों की आजीविका का एकमात्र और मुख्य स्रोत है। इसे स्थानीय भाषा में तलसाजा और नुंगू भी कहते हैं। आपको बता दें कि ताड़गोला सफेद जेली की तरह दिखता है, जो खाने में थोड़ा मीठा होता है।
इसमें पोषक तत्वों के साथ-साथ पानी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, इसलिए इसे गर्मियों में ज्यादा खाया जाता है, जिससे शरीर हाइड्रेट रहता है। साथ ही यह आपके इम्यून सिस्टम को भी स्वस्थ रखता है।
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ताड़गोला में पोषक तत्व और खनिज
ताड़गोला फल में कैलोरी, फैट, सोडियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, शुगर, प्रोटीन, पोटैशियम, कॉपर, विटामिन बी6 और जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यही कारण है की कई लोग इसे बहुत पसंद करते है।
ताड़गोला की खेती के लिए जलवायु की आवश्यकता
ताड़गोला एक आर्द्र उष्णकटिबंधीय फसल है और उन क्षेत्रों में सबसे अच्छी बढ़ती है जहां तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से 24 डिग्री सेल्सियस और 20 डिग्री सेल्सियस से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। इस फसल को हर महीने 2500 से 4000 मिमी या 150 से 150 मिमी वर्षा की आवश्यकता होती है।
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तड़गोला की खेती के लिए मिट्टी की आवश्यकता
Ice Apple Farming आमतौर पर विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है, लेकिन यह अच्छी तरह से जल निकासी वाली गहरी दोमट और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर जलोढ़ मिट्टी में सबसे अच्छी होती है।
इन पेड़ों को कम से कम 1 मीटर मिट्टी की गहराई की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए किसानों को अत्यधिक खारा, अत्यधिक क्षारीय, तटीय रेतीली और पानी की स्थिर मिट्टी से बचना चाहिए।
ताड़गोला की खेती में भूमि की तैयारी, दूरी और रोपण
- ताड़गोला की खेती के लिए जमीन को खरपतवार रहित बनाना चाहिए और दो बार जुताई करके मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा बनाना चाहिए।
- मिट्टी को समृद्ध क्षेत्र बनाने के लिए खेत को अच्छे कार्बनिक पदार्थों से भर दें।
- त्रिकोणीय रोपण विधि के अनुसार इसे 9 मीटर x 9 मीटर x 9 मीटर की दूरी पर लगाया जाना चाहिए।
- साथ ही 1 हेक्टेयर भूमि में 143 से 145 खजूर के पेड़ लगाए जा सकते हैं।
- 60 सेमी x 60 सेमी x 60 सेमी के आकार के गड्ढों में रोपण करना चाहिए।
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Ice Apple Farming में कीट, रोग और निदान
ताड़गोला की खेती में पाए जाने वाले सामान्य कीटों और रोगों में पेस्टलोटाइप्सिस लीफ स्पॉट, गैनोडर्मा बट रोट, बैक्टीरियल बड रोट, पाम विल्ट, गैंडा बीटल और मीली बग शामिल हैं। इन कीटों और रोगों के लिए निकटतम कृषि विभाग से संपर्क करके उचित नियंत्रण उपाय किए जाने चाहिए।
ताड़गोला के औषधीय गुण
आपको जानकर हैरानी होगी कि इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं। ताड़गोला आपके पित्त को बाहर निकालता है और वीर्य की संख्या को बढ़ाता है। साथ ही यह खून को साफ रख सकता है और इससे जुड़ी समस्याओं को दूर कर सकता है।
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ताड़गोला के अन्य लाभ
- खाना नहीं पचा पाने के कारण लोगों को अक्सर डकार आने की समस्या हो जाती है। इस फल के पानी से लोगों में डकार की समस्या दूर हो जाती है। इसके साथ ही यह जी मिचलाना और उल्टी जैसी समस्याओं को भी कुछ हद तक कम करता है।
- पेट के रोगों को दूर रखने में भी तड़गोला मददगार होता है। इसे दिन में दो बार गुड़ के साथ खाने से पेट के रोग दूर होते हैं और पाचन क्रिया अच्छी रहती है। ध्यान रहे कि आप भी इसका सेवन सही मात्रा में करें, क्योंकि ज्यादा सेवन आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है।
- इसके पत्तों का रस सूजन को कम करने में औषधि का एक बहुत अच्छा विकल्प माना जाता है। इसके अलावा आप इसके जूस का सेवन सूजन में भी कर सकते हैं जिससे आपको आंतरिक लाभ भी मिलेगा।
- आइस एप्पल में कुछ अनोखे औषधीय गुण होते हैं, जो मानसिक समस्याओं को कम कर सकते हैं। इसके जूस का सेवन करने से आप डिप्रेशन और बेहोशी जैसी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
- यह टाइफाइड जैसे गंभीर बुखार को कम करने में बहुत मदद करता है। दिन में दो बार इसका सेवन करने से बुखार का तापमान नियंत्रित रहता है।
ताड़गोला के नुकसान
- अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में दर्द और ऐंठन हो सकती है।
- स्तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- जिन लोगों की पाचन शक्ति कमजोर होती है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- जिन लोगों को इस फल के सेवन से एलर्जी की समस्या होती है, उन्हें इनसे बचना चाहिए।
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ताड़गोला पेड़ की ताड़ी जूस
ताड़गोला के पेड़ से प्राप्त रस को ताड़ी और नीरा के नाम से भी जाना जाता है। यह गर्मियों का पेय है जो मधुमेह, लीवर, किडनी या दिल की समस्याओं को ठीक कर सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नीरा सुबह-सुबह पेड़ के रस से एकत्रित एक पेय है, जिसे सूर्योदय के समय ही पिया जाता है. क्योंकि यह इस समय शुद्ध होकर सूर्यास्त के समय नशा में बदल जाता है।
ताड़गोला के पेड़ एक लेकिन लाभ अनेक
छोटे और बढे दोनों किसान ताड़गोला की खेती कर सकते है। ताड़गोला एक बेहतर अवसर लेकर आया है। दरअसल, ज्यादातर लोग ऐसे मॉर्निंग ड्रिंक की तलाश में रहते हैं, जिसके कई फायदे हों, ऐसे में आप ताड़गोला के जूस की प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और पैकेजिंग करके अपनी आमदनी काफी बढ़ा सकते हैं।
हालांकि इसकी खेती के लिए मजदूरों की जरूरत होती है, जो इसमें सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन आने वाले समय में अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसकी लोकप्रियता चीते की तरह बढ़ सकती है।
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