Improved Variety Of Soybean 2022 | सोयाबीन की इन 10 किस्मों की करें बुवाई, होगी अधिक पैदावार

Improved Variety Of Soybean 2022 | सोयाबीन की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है। सोयाबीन की नई किस्म 2021-22 शामिल होंगे।

Improved Variety Of Soybean 2022 | मानसून नजदीक आने के साथ ही सोयाबीन की बुवाई का समय आने वाला है। भारत में इसकी बुवाई का समय 15 जून से शुरू हो जाती है। ऐसे में किसान भाइयों के मन में कई सवाल आ रहे है होंगे जैसे सोयाबीन की सबसे अच्छी किस्म कौन सी हैसोयाबीन की नई किस्म 2021-22 शामिल होंगे। इन्ही सवालों को देखते हुए किसानों को सोयाबीन की अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों की जानकारी होनी जरूरी है ताकि वे इन किस्मों में से अपने क्षेत्र के अनुकूल किस्म का चयन करके समय पर Soybean sowing कर सकें।

ये भी पढ़े- Khad ki Price – खाद पर सब्सिडी होगी दुगनी

सोयाबीन की उन्नत किस्म 2022 एवं उनकी विशेषताएं

गौरतलब है की भारत में सोयाबीन खरीफ की फसल के अंतर्गत आती है। देश में सबसे ज्यादा सोयाबीन की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में होती है। मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में 45 प्रतिशत है। जबकि सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र का 40 प्रतिशत हिस्सा है। बता दें कि भारत में सोयाबीन का 12 मिलियन टन उत्पादन होता है। आज हम आपको soyabean ki kheti kaise hota hai, सोयाबीन की खेती इन हिंदी, soyabean ki kheti kaise hoti hai, soybean kheti

1. सोयाबीन की नई किस्म 1407

सबसे ज्यादा उपज देने वाली सोयाबीन कौन सी है? सोयाबीन की एमएसीएस 1407 नाम की यह नई विकसित किस्म असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है और इसके बीज वर्ष 2022 के खरीफ के मौसम के दौरान किसानों को बुवाई के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे।

यह किस्म प्रति हेक्टेयर में 39 क्विंटल का पैदावार देती है और यह गर्डल बीटल, लीफ माइनर, लीफ रोलर, स्टेम फ्लाई, एफिड्स, व्हाइट फ्लाई और डिफोलिएटर जैसे प्रमुख कीट-पतंगों के लिए प्रतिरोधी किस्म है। इसका मोटा तना, जमीन से ऊपर (7 सेमी) फली सम्मिलन और फली बिखरने का प्रतिरोधी होना इसे यांत्रिक कटाई के लिए भी उपयुक्त बनाता है।

यह किस्म पूर्वोत्तर भारत की वर्षा आधारित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है। Soybean की यह किस्म बिना किसी उपज हानि के 20 जून से 5 जुलाई के दौरान बुआई के लिए अत्यधिक अनुकूल है। यह इसे अन्य किस्मों की तुलना में मानसून की अनिश्चितताओं का अधिक प्रतिरोधी बनाता है।

इस किस्म को तैयार होने में बुआई की तारीख से 104 दिन लगते हैं। इसमें सफेद रंग के फूल, पीले रंग के बीज और काले हिलम होते हैं। इसके बीजों में 19.81 प्रतिशत तेल की मात्रा, 41 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है।

ये भी पढ़े- पीएम किसान सम्मान निधि योजना में आया नया अपडेट

2. सोयाबीन की नई किस्म प्रताप सोया-45 (आरकेएस-45 )

ये किस्म 30 से 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार देती है। सोयाबीन की इस किस्म में तेल की मात्रा 21 प्रतिशत है तथा प्रोटीन की मात्रा 40-41 प्रतिशत होती है। सोयाबीन की इस वैरायटी की बढ़वार काफी अच्छी होती है। इसके फूल सफेद होते हैं। इसके बीज का रंग पीला होता और भूरे रंग का हिलम होता है।

यह किस्म राजस्थान के लिए अनुशंसित है। यह किस्म 90-98 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म पानी की कमी को कुछ हद तक सहन कर सकती है। वहीं सिंचित क्षेत्र में उर्वरकों के साथ अच्छी प्रतिक्रिया देती है। यह किस्त यलो मोजेक वाइरस के प्रति कुछ हद तक प्रतिरोधी है।

3. सोयाबीन की नई किस्म एमएयूएस 81 (शक्ति)

Improved variety of soybean 93-97 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से 33 से 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म में तेल की मात्रा 20.53 प्रतिशत होती है तथा 41.50 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। इस किस्म के पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। फूलों का रंग बैंगनी होता है तथा इसके बीज पीले आयताकार होते हैं। यह किस्म मध्य क्षेत्र के लिए उपयुक्त पाई गई है।

4. सोयाबीन की नई किस्म जेएस 2034

इस किस्म की बुवाई का उचित समय 15 जून से 30 जून तक का होता हैं। सोयाबीन की इस किस्म में दाने का रंग पीला, फूल का रंग सफेद तथा फलिया फ्लैट होती है। यह किस्म कम वर्षा होने पर भी अच्छा उत्पादन देती है। सोयाबीन जेएस 2034 किस्म का उत्पादन करीब एक हेक्टेयर में 24-25 क्विंटल तक होता हैं। फसल की कटाई 80-85 दिन में हो जाती हैं। इस किस्म की बुवाई के लिए बीज मात्रा 30-35 किलों बीज प्रति एकड़ पर्याप्त हैं।

ये भी पढ़े- 9 मिनट में किसान ड्रोन 1 एकड़ खेत के छिड़क देगा दवा- सरकार दे रही 75% तक सब्सिडी

5. सोयाबीन की किस्म फुले संगम/केडीएस 726

फुले संगम केडीएस 726 यह किस्म 2016 में महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय महाराष्ट्र द्वारा अनुशंसित सोयाबीन की किस्म है। इसका पौधा अन्य पौधे के मुकाबले ज्यादा बड़ा और मजबूत है। 3 दानों की फली है इसमें 350 तक के फलिया लगती है। इसका दाना काफी मोटा है, जिसके कारण इससे उत्पादन में दोगुना फायदा होगा।

यह किस्म महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में अधिकतर लगाई जाती है। इस किस्म को तांबरा रोग के लिए कम संवेदनशील किस्म के रूप में अनुशंसित किया जाता है, यह किस्म लीफ स्पॉट और स्कैब के लिए भी अपेक्षाकृत प्रतिरोधी है। पांच राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस किस्म की खेती के लिए सिफारिश की जाती है।

यह किस्म पत्ती खाने वाले लार्वा के प्रति कुछ हद तक सहिष्णु, लेकिन तांबरा रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। सोयाबीन की इस किस्म की परिपक्वता अवधि 100 से 105 दिनों की होती है। इस किस्म की उत्पादन 35-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और फुले संगम केडीएस 726 की हाईटेक तरीके से खेती करने पर 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देखी गई है। इस किस्म की तेल की मात्रा 18.42 प्रतिशत है।

6. सोयाबीन की नई किस्म बीएस 6124

सोयाबीन की इस किस्म की बुवाई का उचित समय 15 जून से 30 जून तक का होता हैं। इस किस्म की बुवाई के लिए बीज की मात्रा 35-40 किलों बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होती है। बात करें इसके उत्पादन की तो इस किस्म से एक हेक्टेयर में करीब 20-25 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म से सोयाबीन की फसल 90-95 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म में फूल बैंगनी रंग के और पत्ते लंबे होते हैं।

7. सोयाबीन की नई किस्मजेएस 9560

सोयाबीन की इस किसम की बुवाई का उचित समय 17 जून से 25 जून तक का होता हैं। इसकी बुवाई के लिए करीब एक एकड़ में 40 किलों बीज की आवश्यकता होती है। इस किस्म से एक हेक्टेयर में करीब 25-28 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म का दाना पीले रंग का होता है, मजबूत दाना होता है। इसके फूल बैंगनी रंग के होते हैं। इस किस्म से सोयाबीन की फसल 80-85 दिन में कटाई क लिए तैयार हो जाती हैं।

ये भी पढ़े- आधुनिक खेती के लिए वरदान NANO UREA Liquid फायदा और सावधानियां

8. सोयाबीन की नई किस्म जेएस 2069

सोयाबीन की जेएस 2069 किस्म की बुवाई का उचित समय 15 जून से 22 जून तक का होता हैं। इस किस्म से सोयाबीन की बुवाई करने के लिए 40 किलों बीज प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। इस किस्म से एक हेक्टेयर में करीब 22 -26 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म से सोयाबीन की फसल 85 -86 दिनों में तैयार हो जाती हैं।

9. सोयाबीन की नई किस्म जेएस 2029 Improved Variety Of Soybean 2022

सोयाबीन की जेएस 2029 किस्म की बुवाई का उचित समय 15 जून से 30 जून तक का होता हैं। इस किस्म की बुवाई करने के लिए प्रति एकड़ 40 किलों बीज की आवश्यकता होती है। सोयाबीन जेएस 2029 किस्म का उत्पादन करीब एक हेक्टेयर में 25-26 क्विंटल तक होता हैं।

इस किस्म से सोयाबीन की बुवाई करने पर फसल 90 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म में पत्ती नुकली अंडाकर और गहरी हरी होती हैं। शाखाएं तीन से चार रहती हैं, बैंगनी रंग के फूल आते हैं, पीले रंग का दाना होता है, पौधों की ऊंचाई 100 सेमी रहती है।

10. सोयाबीन की नई किस्म प्रताप सोया-1 (आरएयूएस 5)

सोयाबीन की ये किस्म Improved Variety Of Soybean 2022 90 से 104 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से करीब 30-35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म में तेल की मात्रा 20 प्रतिशत पाई जाती है। इसमें 40.7 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है। सोयाबीन की इस किस्म के फूल बैंगनी होते हैं। जबकि बीज पीले होते हैं। ये किस्म गर्डल बीटल, स्टेम फ्लाई तथा डिफोलीएटर के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। यह किस्म उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए अच्छी बताई गई है।


जुड़िये KrishiBiz से – ऐसे ही कृषि उपयोगी Farming Tips, ज्ञानवर्धक, उपयोगी, आधुनिक तकनीक और कृषि योजनाओं आदि कृषि सम्बंधित जानकारियों के अपडेट सबसे पहले पाने के लिए हमारे WhatsApp के Group 01Group 2Group 3 को या हमारे Telegram ग्रुप ज्वाइन करें हमारे को Facebook पेज को like करें और अपने साथियो-मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

KrishiBiz Team

KrishiBiz में आपका स्वागत हैं, हमारी टीम में एग्रीकल्चर एक्सपर्ट, तकीनीकी एवं पशुपालन विशेषज्ञ एवं योजनाओ के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। जय हिन्द! जय किसान!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button