Green Manure In Summer: गर्मी में मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का प्राकृतिक उपाय
गेहूं और अन्य रबी फसलों की कटाई के बाद मई-जून में खेत खाली रहते हैं। इस दौरान हरी खाद वाली फसलें उगाने से मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व बढ़ते हैं।

Green Manure In Summer: गर्मी के मौसम में खेतों की उर्वरता बढ़ाने के लिए किसान 14 प्रकार की फसलें उगा सकते हैं, जिससे मिट्टी को प्राकृतिक पोषण मिलता है और खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार होती है। इस विधि से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है और मिट्टी का जैविक संतुलन बना रहता है।
हरी खाद क्यों आवश्यक है?
गेहूं और अन्य रबी फसलों की कटाई के बाद मई-जून में खेत खाली रहते हैं। इस दौरान हरी खाद वाली फसलें उगाने से मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व बढ़ते हैं। लगभग 50-60 दिनों के बाद इन फसलों को मिट्टी में मिला देने से खेत उपजाऊ बनता है और आगामी फसल के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार होता है।
हरी खाद के लिए 14 फसलें और उनकी बीज मात्रा (प्रति एकड़):
- सनई – 1 किग्रा
- ढैंचा – 2 किग्रा
- ग्वार – 2 किग्रा
- लोबिया – 1 किग्रा
- मूंग – 1 किग्रा
- उड़द – 1 किग्रा
- देशी ज्वार – 1 किग्रा
- देशी बाजरा – 250 ग्राम
- काला तिल – 200 ग्राम
- अरंडी – 500 ग्राम
- कचरी – 200 ग्राम
- गेंदा – 10 ग्राम
- रामा तुलसी – 10 ग्राम
- श्यामा तुलसी – 10 ग्राम
कुल बीज मात्रा: 10 किलो 180 ग्राम
इन सभी बीजों को खेत में समान रूप से छिड़ककर हल्की जुताई करनी चाहिए, जिससे ये अच्छी तरह मिट्टी में मिल सकें और उचित रूप से अंकुरित हो सकें।
हरी खाद से मिलने वाले पोषक तत्व:
हरी खाद के माध्यम से मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और आयरन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है। तुलसी और गेंदा मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारते हैं और फसल को रोगों से बचाने में सहायक होते हैं।
हरी खाद के प्रमुख लाभ:
- मिट्टी की उर्वरता में सुधार – जैविक पोषक तत्वों की वृद्धि होती है।
- रासायनिक खादों की आवश्यकता कम होती है – जिससे खेती की लागत घटती है।
- फसलें अधिक स्वस्थ और रोगमुक्त होती हैं – जैविक खाद के कारण मिट्टी में लाभकारी जीवाणु सक्रिय रहते हैं।
- उत्पादन लागत कम और पैदावार अधिक होती है – कम लागत में किसानों को बेहतर उत्पादन प्राप्त होता है।
यह विधि किसानों के लिए कम लागत में अधिक उपज प्राप्त करने का सर्वोत्तम तरीका है। हरी खाद का उपयोग करके वे अपनी मिट्टी को अधिक उर्वर, स्वस्थ और टिकाऊ बना सकते हैं।
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