ग्रास हॉपर कीट का प्रकोप, किसान इस तरह करें फसलों का बचाव

ग्रास हॉपर कीट का प्रकोप, निदान नियंतरण, कीटनाशक का छिड़काव और सावधानियां

खरीफ फसल की बुवाई करके निपटे किसानों के लिए एक बुरी खबर आ रही है। दरअसल, इस बार मक्का, ज्वार और बाजार की खरीफ फसलों में ग्रास हॉपर कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है। टिड्डी कीट को ग्रास हॉपर भी कहा जाता है।यदि इसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो इससे किसानों को फसल का नुकसान हो सकता है।

जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। राजस्थान के कई जिलों में इस Grass hopper कीट का प्रकोप खरीफ फसल के शुरुआती चरण में देखने को मिल रहा है। इससे सरकार और किसानों की चिंता बढ़ गई है।

बता दें कि यह कीट फसल की पत्तियों पर हमला करता है और उसे चाटता है, जो पौधे को विकसित होने से पहले ही नष्ट कर देता है। अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो पूरी फसल बर्बाद हो जाती है।

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टिड्डी किस प्रकार का जीव है?

यह कीट हरे से भूरे रंग का कीट है। इसमें एंटीना की एक छोटी जोड़ी होती है। इसकी वयस्क लंबाई एक से सात सेंटीमीटर तक होती है। इसकी मादा पूरे मौसम में दो सौ अंडे देती है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो अंडों की संख्या 400 तक पहुंच सकती है।

वयस्क मादा मिट्टी के दो इंच के भीतर अंडे देती है। ये कीट तेजी से गुणा करते हैं जो किसानों की फसल के लिए हानिकारक है। यह कीट रात में अधिक सक्रिय होता है और फसल की पत्तियों पर हमला करता है।

यह पत्तियों के किनारों को खाता है और उन्हें खाता है। इसके प्रकोप से फसल को भारी नुकसान होता है और कभी-कभी पूरी फसल नष्ट हो जाती है। ग्रास हॉपर कीट को हॉपर रोग के रूप में जाना जाता है।

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किसान ग्रास हॉपर और टिड्डे के बीच अंतर कैसे करते हैं?

ग्रास हॉपर एक ऐसा कीट है जो टिड्डे की तरह दिखता है। किसान कभी-कभी इसे टिड्डी समझकर घबरा जाते हैं। लेकिन इन दोनों में एक अंतर है। ग्रास हॉपर एंटेना की एक छोटी जोड़ी के साथ टिड्डे की तुलना में आकार में बड़े होते हैं।

जबकि टिड्डा आकार में ग्रास हॉपर से छोटा होता है, इसमें एंटीना की एक बहुत लंबी जोड़ी होती है। वे शरीर के रंग में भी भिन्न होते हैं। आमतौर पर टिड्डे चमकीले हरे रंग के होते हैं, जबकि टिड्डे हरे से भूरे रंग के होते हैं।

हालांकि, दोनों एक ही प्रजाति के कीड़े हैं। लेकिन इन दोनों के बीच मुख्य अंतर उनके शरीर के आकार, एंटीना की लंबाई और रंग के कारण है।

शिशु अवस्था में ही इसे नियंत्रित करना आवश्यक है

टिड्डी कीट के बच्चे किनारे से पत्तियों को खाने लगते हैं जबकि वयस्क कीट सीधे फसल को नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए इसे शैशवावस्था में नियंत्रित करना आवश्यक है। किसान रासायनिक दवाओं का उपयोग करके इस कीट को नियंत्रित कर सकते हैं। इन कीटनाशकों की खरीद पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है।

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किसान इस तरह करें ग्रास हॉपर कीट का नियंत्रण

राजस्थान कृषि विभाग ने राज्य में खरीफ फसल को फड़का कीट से बचाने के लिए किसानों को एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि फसलों को अधिक आर्थिक नुकसान होने पर या कीट अधिक होने पर किसान रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं।

खड़ी फसल में सुबह या शाम के समय कीटनाशक का प्रयोग करें। फड़का कीट के नियंत्रण के लिए क्विनालफॉस 1.5% (चूर्ण) 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, क्विनालफॉस 25% (ईसी) 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या मैलाथियान 5% (चूर्ण) 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा किसान के खेतों के किनारे कचरा, अलाव या पुराने टायर जलाने से भी कीट के प्रकोप को कम किया जा सकता है। कीट नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में एक लाइट ट्रैप लगाना चाहिए।

ग्रास हॉपर कीट को नियंत्रित के उपाय

  • इस कीट को नियंत्रित करने के लिए टिड्डी दल के प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
  • ब्लिस्टर बिटिल, रोवर फ्लाई, ग्राउंड बिटिल बर्ड, छिपकली, मेंढक, मकड़ी आदि को खेतों में संरक्षित किया जाना चाहिए।
  • खेत की जुताई, लंबी घास, खरपतवार साफ करके और पक्षियों को जगह-जगह बैठाकर इसकी संख्या को कम किया जा सकता है।

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कीटनाशक की खरीद पर सब्सिडी देगी राज्य सरकार

राज्य में ग्रास हॉपर कीट के प्रकोप को देखते हुए राजस्थान के कृषि आयुक्त कानाराम ने निर्देश दिया है कि फड़का (ग्रास हॉपर) कीट रोग का सर्वेक्षण या रैपिड रोविंग सर्वे रिपोर्ट पूर्ण कर बिना ही संयुक्त निदेशक कृषि (पौधे संरक्षण) को भिजवाएं।

ताकि किसानों को सरकारी अनुदान दिया जा सके। लेकिन कीटनाशक रसायन उपलब्ध कराने के लिए भौतिक और वित्तीय लक्ष्य आवंटित किए जा सकते हैं। कृषि आयुक्त ने कहा कि अब किसान किसी भी अधिकृत डीलर से कीटनाशक खरीद सकते हैं,

साथ ही डीलर से अपनी मर्जी से सौदेबाजी भी कर सकते हैं। कीटों का समय पर नियंत्रण कर किसानों की फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है।

कीटनाशक का छिड़काव इन बातों का ध्यान

किसानों को कीटनाशकों का छिड़काव करते समय कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए। ये सावधानियां इस प्रकार हैं-

  • शाम के समय ही कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए।
  • कीटनाशक का पाउडर के रूप में छिड़काव करते समय डस्टर का प्रयोग करना चाहिए।
  • कीटनाशक का छिड़काव करते समय मुंह पर कपड़ा या मास्क लगाना चाहिए।
  • हवा की दिशा में कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। यदि आप कीटनाशक का छिड़काव हवा की विपरीत दिशा में करते हैं तो कीट पर इसका प्रभाव बहुत कम पड़ेगा।

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