किसानों से सरकार खरीदेगी गोमूत्र, जानिए क्या होगी कीमत

किसान और पशुपालकों से ख़रीदा जायेगा गोमूत्र, किस तरह से होगी खरीदी क्या मिलेगा भाव

किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें सरकार की ओर से किसानों से गोबर की खरीद भी की जा रही है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार ने भी राज्य के किसानों से गोबर के बाद गोमूत्र खरीदने का फैसला किया है।

जिससे पशुपालकों को अतिरिक्त आय होगी, साथ ही किसानों को जैविक खाद, जीवामृत और कीटनाशक दवाएं कम दरों पर मिलेंगी। जिससे खेती की लागत कम होगी और आमदनी भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर छत्तीसगढ़ सरकार 28 जुलाई से प्रदेश के गौठानों में हरेली तिहाड़ से गोमूत्र खरीद का कार्य शुरू करने जा रही है।

गोधन न्याय मिशन के प्रबंध निदेशक डॉ. अय्याज तंबोली ने सभी कलेक्टरों को गौठानों में गोमूत्र की खरीद के लिए सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि गोधन न्याय योजना के तहत अपने स्वयं के बैंक खातों में उपलब्ध सर्कुलर फंड ब्याज की राशि से गौठान प्रबंधन समिति गोमूत्र की खरीद करेगी।

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गोमूत्र की कीमत

छत्तीसगढ़ में गौठान प्रबंधन समिति पशुपालन से गोमूत्र की खरीद के लिए स्थानीय स्तर पर रेट तय कर सकेगी। छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विकास एवं किसान कल्याण एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा राज्य में गोमूत्र की खरीद के लिए न्यूनतम 4 रुपये प्रति लीटर की राशि प्रस्तावित की गई है।

इसलिए किसानों को गोमूत्र बेचने पर 4 रुपये प्रति लीटर की दर से कम से कम, इससे ज्यादा मिला सकते हैं, यह गोथन समिति द्वारा तय किया जाएगा। वर्तमान में गोठानों में गाय का गोबर 2 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है।गोमूत्र की खरीद प्रदेश में जैविक खेती के प्रयासों को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।

इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार राज्य में गोमूत्र की खरीद शुरू करने जा रही है। इससे जहां पशुपालकों को गोमूत्र बेचने से अतिरिक्त आय होगी, वहीं महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जीवामृत, गोमूत्र के कीट नियंत्रण उत्पाद तैयार कर समूहों को रोजगार और एक अन्य स्रोत भी मिलेगा।

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गौठानों में होगी गोमूत्र की खरीद

राज्य के सभी कलेक्टरों को अपने-अपने जिलों में दो स्वावलंबी गौठानों, स्वयं सहायता समूहों का चयन करना है, गौठान प्रबंधन समिति और स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को प्रशिक्षण देना है, साथ ही किट और संबंधित उत्पादों के भंडारण की आवश्यक व्यवस्था करना है। गोमूत्र परीक्षण के लिए। करने को कहा गया है।

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गोमूत्र से बनेगा कीटनाशक

महिला स्वयं सहायता समूहों की मदद से किसानों और पशुपालकों से खरीदे गए इस गोमूत्र से जीवामृत और कीट नियंत्रण उत्पाद तैयार किए जाएंगे। चयनित समूहों को पशु चिकित्सा विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से उचित प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

किसान भाई रासायनिक कीटनाशक की जगह जीवामृत और गोमूत्र कीट नियंत्रण उत्पाद का उपयोग कर सकेंगे, जिससे कृषि की लागत कम होगी। फूड प्वाइजनिंग कम होगी।

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2020 से खरीदा जा रहा है गोबर

छत्तीसगढ़ में दो वर्ष पूर्व 20 जुलाई 2020 को प्रदेश में हरेली पर्व के दिन से गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर की खरीद शुरू की गयी थी। तब से अब तक सरकार किसानों से 2 रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीद रही है।

महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा अब तक 20 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर प्लस कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा चुका है, जिससे प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय योजना साबित हुई है।

इस योजना के तहत लगभग दो वर्षों में पशुपालन करने वाले ग्रामीणों से 150 करोड़ से अधिक मूल्य का गोबर खरीदा गया है, जिसका सीधा लाभ ग्रामीण पशुपालकों को हुआ है। खरीदे गए गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण और बिक्री के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों और गौठान समितियों को 143 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान किया गया है।


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