Ginger Cultivation: मार्च में शुरू करें अदरक की खेती, विशेष उर्वरकों का प्रयोग कर बढ़ाएं पैदावार

बाजार में अदरक की मांग हमेशा बनी रहती है, ऐसे में अदरक की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होती है।

Ginger Cultivation: विशेष उर्वरकों का प्रयोग करके पैदावार बढ़ाने के लिए मार्च में अदरक की खेती शुरू करें। एक ही जमीन पर लगातार अदरक की खेती करने से बचें। अदरक की रोपाई को सिंचित क्षेत्रों में फरवरी-मार्च में और असिंचित क्षेत्रों में मई-जून में करना चाहिए। अदरक की फसल को पकने में आमतौर पर 8 से 9 महीने लगते हैं। खेत की तैयारी के दौरान 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक सड़ी हुई गाय का गोबर या कम्पोस्ट डालें।

भारत में किसान पारंपरिक से व्यावसायिक फसलों की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं, अदरक की खेती लोकप्रियता हासिल कर रही है। वर्तमान बाजार अदरक के लिए अनुकूल कीमतें प्रदान करता है, जिसका उपयोग चाय से लेकर विभिन्न पाक अनुप्रयोगों में व्यापक रूप से किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सूखी अदरक की कीमत कच्ची अदरक की तुलना में अधिक होती है। अदरक की लगातार मांग इसकी खेती को किसानों के लिए लाभदायक उद्यम बनाती है।

अदरक में कौन सा उर्वरक डालना चाहिए?

अदरक एक लम्बी अवधि की फसल हैं । जिसे अधिक पोषक तत्चों की आवश्यकता होती है । अदरक की खेती में उर्वरक प्रयोग पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण के बाद करना चाहिए । खेत तैयार करते समय 250-300 कुन्टल हेक्टेयर के हिसाब से सड़ी हई गोबर या कम्पोस्ट की खाद खेत में सामन्य रूप से फैलाकर मिला देना चाहिए।

यह भी पढ़िए- तरबूज की खेती: जानिए तरबूज की खेती करने का सही समय और खेती का तरीका

कैसी होनी चाहिए जलवायु

अदरक की खेती गर्म और आर्द्रता वाले स्थानों में की जाती है । मध्यम वर्षा बुवाई के समय अदरक की गाँठों (राइजोम) के जमाने के लिये आवश्यक होती है । इसके बाद थोडा ज्यादा वर्षा पौधों को वृद्धि के लिये तथा इसकी खुदाई के एक माह पूर्व सूखे मौसम की आवश्यकता होती हैं । अगेती वुवाई या रोपण अदरक की सफल खेती के लिये अति आवश्यक हैं । 1500-1800 मि .मी .वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती अच्छी उपज के साथ की जा सकती हैं । परन्तु उचित जल निकास रहित स्थानों पर खेती को भारी नुकसान होता हैं । औसत तापमान 25 डिग्री सेन्टीग्रेड, गर्मीयों में 35 डिग्रीसेन्टीग्रेड तापमान वाले स्थानो पर इसकी खेती बागों में अन्तरवर्तीय फसल के रूप मे की जा सकती हैं ।

भूमि का चयन

अदरक की खेती बलुई दोमट जिसमें अधिक मात्रा में जीवाशं या कार्बनिक पदार्थ की मात्रा हो वो भूमि सबसे ज्यादा उपयुक्त रहती है । मृदा का पी.एस. मान 5-6 ये 6 . 5 अच्छे जल निकास वाली भूमि सबसे अच्छी अदरक की अधिक उपज के लिऐ रहती हैं। एक ही भूमि पर बार-बार फसल उगाने से मृदा जनित रोगों और कीटों में वृद्धि होती है। अतः फसल चक्र अपनाना चाहिए। उचित जल निकासी न होने के कारण कंदों का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है।

खेत की तैयारी 

मार्च-अप्रैल में, हल का उपयोग करके गहरी जुताई करें और खेत को धूप में सुखाएं। मई में, डिस्क हैरो या रोटावेटर से मिट्टी को खुरदरा बनाएं। रोटा गोबर या कम्पोस्ट और नीम केक को मिश्रित करें, फिर 2-3 बार कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करें। सिचाई और बोने की विधि के अनुसार, छोटे क्षेत्रों में बाँटें और उर्वरकों का उपयोग करें। शेष उर्वरकों को सुरक्षित रखें जो खड़ी फसल के लिए उपयोग हों।

यह भी पढ़िए- पीएम किसान मानधन योजना 2024 (PM Kisan Mandhan Yojana 2024)

बीज (कन्द) की मात्रा और बुवाई का समय 

अदरक के कन्दों का चयन बीज हेतु 6-8 माह की अवधि वाली फसल में करें। अच्छे प्रकार के 2.5-5 सेंटीमीटर लंबे कन्दों को चिन्हित करके काटें, जिनमें कम से कम तीन गाँठे हों और वजन 20-25 ग्राम हो। बीज का उपचार मैंकोजेव फफूँदी से करने के बाद ही प्रवर्धन हेतु उपयोग करें। बुआई के समय दक्षिण भारत में अप्रैल-मई में की जाती है, जबकि मध्य और उत्तर भारत में बोए जाने के लिए सबसे उपयुक्त समय 15 मई से 30 मई है।


जुड़िये KrishiBiz से – ऐसे ही कृषि उपयोगी ज्ञानवर्धक, उपयोगी, आधुनिक तकनीक और कृषि योजनाओं आदि कृषि सम्बंधित जानकारियों के अपडेट सबसे पहले पाने के लिए हमारे WhatsApp Group या हमारे Telegram ग्रुप ज्वाइन करें हमारे को Facebook पेज को like करें और अपने साथियो-मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

KrishiBiz Team

KrishiBiz में आपका स्वागत हैं, हमारी टीम में एग्रीकल्चर एक्सपर्ट, तकीनीकी एवं पशुपालन विशेषज्ञ एवं योजनाओ के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। जय हिन्द! जय किसान!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button