गेहूं के भाव में तूफानी उछाल, मंडी भाव 2500 पार

विदेश निर्यात पर प्रतिबंध से गेहूं के भाव में आसमानी बढ़त, गेंहूं के भाव आगे कहा तक जायेंगे

केंद्र सरकार ने गेहूं के भाव पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए विदेश में निर्यात होने वाले गेहूं पर प्रतिबंध लगाया हुआ है केंद्र सरकार सिर्फ उन्हीं देशों को गेहूं निर्यात कर रही है जिन्हें वह आवश्यक समझ रही है इतना ही नहीं केंद्र सरकार अपने स्तर पर गेहूं निर्यात कर रही है। निर्यात प्रतिबंध के लगभग 2 महीने के पश्चात अब एक बार फिर से गेहूं के भाव में बढ़ोतरी होने लगी है। इंदौर एवं उज्जैन में गेहूं के भाव में बढ़ोतरी दिखाई दी, यहां पर गेहूं के भाव 2500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए।

क्यों बढ़ें गेहूं के भाव

केंद्र सरकार ने गेहूं की 25 किलो से अधिक की पैकिंग से जीएसटी हटा दिया है, जिससे मंडी कारोबारियों को काफी राहत मिली है। व्यापार में आने वाली दिक्कतों से भी मुक्ति मिल गई है। नतीजतन बीते तीन दिनों में गेहूं के भाव में जबरदस्त उछाल देखा गया। मंडी नीलामी में 2500 रुपये तक गेहूं के भाव पहुंच चुके हैं। यही कारण है कि मंडियों में अब गेहूं की आवक बढ़ने लगी है। जिन व्यापारियों ने ऊंचे दाम पर गेहूं निर्यात के दौरान गेहूं खरीदा था वह भी अब मंडियों में बेचने लगे हैं।

गेहूं एवं आटा के व्यापार में तेजी आई

बीते माह जीएसटी समिति की बैठक में अनेक जिंसों पर पांच फीसद जीएसटी लगा दिया था, जिसमें गेहूं को भी शामिल किया था। कारोबारियों के विरोध के चलते सरकार ने गेहूं को जीएसटी से मुक्त कर दिया है, जिसके बाद गेहूं के व्यापार ने गति पकड़ ली है।

आटा प्लांटों की मांग के चलते गेहूं में करीब 150 रुपये क्विंटल की तेजी आ गई है। नीलामी में सुपर लोकवन गेहूं 2500 रु. से भी अधिक भाव बिकने लगा है। मिल क्वालिटी में भी भाव सुधरकर 2150 से 2200 रुपये क्विंटल पहुंच गए हैं। पोषक व मालव राज के भाव में भी तेजी बन गई है। 1900 के आस-पास बिकने वाला अब 1975 से 2050 के भाव नीलाम हो रहा है।

गेहूं के भाव में तेजी आने से बढ़ी आवक

गेहूं में आई तेजी का असर आवक पर दिखाई दिया। खरीफ की बोवनी से फ्री होकर अब किसान गेहूं (Gehu Bhav 2022) को बेचने लग गया है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंदौर एवं उज्जैन मंडी में बीते 3 दिनों के दौरान अच्छी मात्रा में किसान गेहूं को बेचने के लिए पहुंचे। बीते दिनों से मंडी नीलामी में करीब 5000 बोरी गेहूं रोजाना बिक्री हेतु आ रहा है, जिसमें 75 फीसद मालव राज व पोषक होता है। गेहूं कारोबारी सतीश राजवानी बताते हैं कि सरकार के स्टाक में गेहूं की भारी कमी है।

खुले मार्केट में नहीं बिकेगा गेंहूं

गौरतलब है कि भारतीय खाद्य निगम खुले मार्केट में गेहूं नहीं बचेगी। भारतीय खाद्य निगम ने आगामी आदेश तक खुली बिक्री के तहत गेहूं नीलामी पर प्रतिबंध लगा देने के बाद आटा मिल वालों को गेहूं की जबरदस्त मांग है, जिससे भाव में सुधार आ गया है। बता दें भाखानि जुलाई से खुली बिक्री के तहत हर सप्ताह कारोबारी व आटा मिलर्स को बड़ी मात्रा में गेहूं बिक्री करती है, लेकिन इस बार समर्थन मूल्य पर सरकार को काफी कम गेहूं मिलने से बिक्री पर रोक लगा दी है।

गेहूं के इन किस्मों की पैदावार भी अच्छी होती है, लेकिन इसका उपयोग रवा, मैदा में होने से आटा रोटी में फेल हो जाता है। वर्तमान में आटा रवा मैदा के निर्यात होने से इन किस्मों का भाव भी बढ़ गया है। मंडी में हल्की क्वालिटी का गेहूं नहीं मिलने से भाव में तेजी बताई जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इंदौर मंडी में लोकवन गेहूं 1901 से 2559, मालवराज 1930 से 2103, पूर्णा 1896 से 2376 के भाव बिका।

आटा, रवा, मैदा पर निर्यात प्रतिबंध नहीं

बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने आटा, रवा, मैदा के निर्यात पर लगाए प्रतिबंध में से रवा व मैदा पर से प्रतिबंध हटा लिया गया है, जिससे पोषक व मालव राज गेहूं में काफी तेजी आ गई है। आटे के निर्यात के मामले में अभी स्पष्ट निर्देश जारी नहीं हुए हैं। बता दें 13 मई से गेहूं निर्यात प्रतिबंध के बाद 18 जुलाई से आटे के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

बाजार में लोकवन, गज्जर की कमी के चलते मालवराज का प्रयोग किया जा रहा था। गेहूं जल्दी ही 50 रुपए भाव में तेज हो गया। केटल फीड मिल और खाने वालों की डिमांड आने से तेजी वाले भावों पर व्यापार चलने लगा है। मंडी में रोज गेहूं की किसानी आवक बढ़ती जा रही है। इसमें 80 फीसदी गेहूं मालवराज पोषक बिकने आ रहा है। ज्यादा पैदावार के लिए किसानों ने तेजस मालवराज पोषक को चुना।

रूस और उक्रेन हैं सबसे ज्यादा गेंहू के उत्पादक

रूस और उक्रेन ये जो दो देश हैं युद्ध की वजह से इन दोनों पर एक्सपोर्ट पर बैन लग गया हैं, गेंहू का प्राइस इंटरनेशनल मार्केट में 33% बढ़ गया हैं  रूस और उक्रेन के बॉर्डर पर एक घास का मैदान हैं इस घास को स्टेपी घास (Stepi grass) का मैदान कहते हैं।

ये मैदान यूरोप और एशिया दोनों की बॉर्डर (यूरेशिया) पर आता हैं। इस घास के मैदान की विशेषता हैं की इसे विक्ष रहित मैदान कहते हैं, इसमें पेड़ नहीं पाए जाते। ये उष्णकटिबंधीय न होकर शीतोष्णकटिबन्धीय होता हैं ये जलवायु गेंहू की फसल के लिए सबसे अच्छा होता हैं, इसे Bread Baket (रोटी का कटोरा) कहा जाता है। इसीलिए रूस और उक्रेन में सबसे ज्यादा गेंहू का उत्पादन होता हैं। इस वजह से गेंहू का व्यापर इंटरनेशनल मार्किट में ठप्प पड़ गया हैं

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