बारिश का असर, मध्य प्रदेश में सड़ने लगी सोयाबीन की फसल

सोयाबीन की फसल भी पीला मोजेक और जड़ सड़न की चपेट में आ रही है। मक्का को भी हो रहा नुकसान

मध्य प्रदेश में भारी बारिश का असर सोयाबीन की फसल पर पड़ने लगा है। कई जिलों में लगातार वर्षा होने के कारण खरीफ सीजन की फसलों पर संकट मंडराने लगा है। मक्का की फसल में अपेक्षाकृत बाढ़ न होने से पैदावार प्रभावित होने की आशंका से किसान चिंतित हो रहे हैं। सोयाबीन की फसल भी पीला मोजेक और जड़ सड़न की चपेट में आ रही है।

ये भी पढ़े सोयाबीन की फसल के प्रमुख कीट तथा नियंत्रण की विधि

प्रशासन द्वारा प्लांट क्लीनिकों के माध्यम से फसलों को सुरक्षित करने की जानकारी तो दी जा रही है लेकिन वर्षा का दौर फिर से प्रारंभ हो जाने से किसान कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस बार सोयाबीन के दाम अच्छे होने के कारण जिले में करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर रकबे में किसानों के द्वारा सोयाबीन की फसल की बुवाई अपने खेतों में की है।

दो लाख हेक्टेयर मक्का की खेती

मक्का की खेती भी दो लाख हेक्टेयर में किसानों के द्वारा की जा रही है। तय समय पर मानसून की दस्तक हो गई थी और किसानों के द्वारा फसल की बुवाई भी कर दी और उसके बाद मौसम अनुकूल होने से फसलों की स्थिति बेहद अच्छी थी। अगस्त माह में लगातार प्रारंभ हुई वर्षा से फसलों की बाढ़ थम कई और किसान न तो खरपतवार को नष्ट करने के लिए दवा का छिड़काव या फिर कोई अन्य उपाय तक नहीं कर पाए।

ये भी पढ़े-किसानों के लिए वरदान बनेगा पूर्वानुमान उपकरण, मिलेगी जरुरी जानकारी

नहीं हो रही पोषक तत्वों की पूर्ति

इसके अलावा फसलों में खाद और पोषक तत्वों की पूर्ति भी नहीं कर सके। इस कारण से मक्का के पौधे बेहद छोटे रह गए और उनमें उसी अवस्था में फूल आ गए हैं। कृषक अरविंद पटेल ने बताया कि मक्का के पौधे बेहद छोटे हैं और फूल आ जाने से उसमें फल भी अपेक्षाकृत छोटा ही आएगा। इससे पैदावार पर 50 से 60 प्रतिशत तक अंतर आ जाएगा।

मुरझा रही सोयाबीन की फसल

ग्राम हनोतिया के किसान और जल उपभोक्ता संथा के पूर्व अध्यक्ष राजेश पटेल ने बताया कि काली जमीन वाले क्षेत्र में तो मक्का, सोयाबीन, धान की फसल की पैदावार बेहद प्रभावित हो जाएगी। वर्तमान में लगातार वर्षा का दौर तो थम गया है लेकिन जड़ सड़न, पीला मोजेक, तना छेदक इल्ली का प्रकोप बेहद तेजी से बढ़ रहा है। कई खेतों में तो लगातार अलग-अलग हिस्से में सोयाबीन के पौधे मुरझा रहे हैं। वर्तमान में खेतों में जमीन दलदली हो गई है इस कारण से चलना भी मुश्किल हो रहा है।इस कारण से किसान कीटनाशक का छिड़काव भी नहीं कर पा रहे हैं।

ये भी पढ़े- पशुओं में लम्पी स्किन डिजीज रोग की पहचान एवं उसका नियंत्रण 2022

मक्का की फसल में लगा रोग

उन्होंने बताया कि लगातार वर्षा के कारण मक्का की फसल पर भी कीट के साथ अन्य रोगों का प्रकोप प्रारंभ हो गया है। वैसे ही मक्का के पौधे अधिक वर्षा के कारण मजबूत नहीं हैं और उस पर कीट प्रकोप से पैदावार खासी प्रभावित हो जाएगी। किसान छोटू वर्मा ने बताया कि उन्होंने तो अतिवर्षा की आशंका को देखते हुए सोयाबीन की बुवाई बेड बनाकर की थी। इसके बाद भी अत्यधिक वर्षा से खेत में लगातार पानी भरा रहा और सोयाबीन में जड़ सड़न प्रारंभ हो गया।

कीटनाशक के साथ अन्य उपाय भी किए गए लेकिन पिछले सप्ताह हुई वर्षा के बाद अब खेत में पौधे मुरझाने लगे हैं। कुछ ही दिन में पूरे आठ एकड़ खेत में फसल पीली हो जाने की आशंका है। किसान संदीप चौधरी ने बताया कि लगातार वर्षा के कारण गन्नो की फसल पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। गन्नो की बढ़वार थम गई है और जमीन तेज वर्षा के कारण ठोस हो गई है। ऐसे में पौधे की जड़ों का विस्तार नहीं हो रहा है।

ये भी पढ़े-सोयाबीन पर सरकार दे रही 2000 की सब्सिडी सीधे खाते में आएगे रूपए

प्लांट क्लीनिक में भी किसान बता रहे समस्या

जिले में किसानों को कृषि विज्ञानी की सटीक सलाह गांव में ही देने के लिए कलेक्टर द्वारा प्रारंभ किए गए प्लांट क्लीनिक में भी किसान फसलों के खराब होने की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं। कृषि विज्ञानी आरडी बारपेटे ने बताया कि जल भराव वाले खेतों में मक्का, धान समेत अन्य फसलों में कहीं जड़ सड़न तो कहीं पर तना छेदक का प्रकोप सामने आ रहा है। मक्का के पौधों की बढ़वार न होने से पैदावार पर भी असर होगा। किसानों को फसलों को सुरक्षित करने के लिए उपाय तो बताए जा रहे हैं लेकिन सही समय पर उपचार न होने से स्थिति सुधर नहीं रही है।


जुड़िये KrishiBiz से – ऐसे ही कृषि उपयोगी ज्ञानवर्धक, उपयोगी, आधुनिक तकनीक और कृषि योजनाओं आदि कृषि सम्बंधित जानकारियों के अपडेट सबसे पहले पाने के लिए हमारे WhatsApp के Group 01Group 2Group 3 को या हमारे Telegram ग्रुप ज्वाइन करें हमारे को Facebook पेज को like करें और अपने साथियो-मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

KrishiBiz Team

KrishiBiz में आपका स्वागत हैं, हमारी टीम में एग्रीकल्चर एक्सपर्ट, तकीनीकी एवं पशुपालन विशेषज्ञ एवं योजनाओ के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। जय हिन्द! जय किसान!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button