Cumin Cultivation: किसानों के लिए फायदे का सौदा है जीरे की खेती, जानिए खेती का तरीका

किसान जीरे की खेती से एक सीजन में भारी मुनाफा कमा सकते हैं, और यह खेती दिसंबर में भी की जा सकती है। यह खेती कैसे करनी है, ये जाने किसान भाई।

जीरे की खेती (cumin) से अच्छी आय की संभावना है, लेकिन इस विशेष मसाले की फसल के बारे में हमें कितना पता है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। जीरा खाद्य और चिकित्सा में महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम जीरे की खेती के बारे में सब कुछ जानेंगे, जिससे आप इसमें कई लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं।

जीरे के बारे में

उन्नत फसल: जीरा, जिसे जीरा सत्यानाशी भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण मसाला है जो भोजन का स्वाद बढ़ाने में व्यापक रूप से प्रयोग होता है। यह सब्जियों, दाल, और विविध व्यंजनों में उपयोग होता है। भारतीय खाने का आनंद बिना जीरे के अधूरा है। इसके अलावा, जीरा अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए भी प्रसिद्ध है। जीरा में कई औषधीय गुण होते हैं। जीरा पेट की कई समस्याओं के लिए रामबाण औषधि से कम नहीं है।

जीरे की गुणकारी विशेषताएं: जीरे में कई औषधीय गुण होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इसमें ऊर्जा, विटामिन A, C, E, B6, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, साथ ही कई खनिज, प्रोटीन, अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट, आहार फाइबर, और अन्य पोषण सामग्री शामिल होती है।

भारत में जीरे की खेती

भारत में जीरे की खेती सबसे अधिक राजस्थान और गुजरात में की जाती है। यहाँ, जीरे का 80 प्रतिशत उत्पादन होता है, जिसमें से 28 प्रतिशत राजस्थान द्वारा उत्पादित किया जाता है। गुजरात भी इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। आधुनिक जीरे की विविधताओं के साथ उत्पादन क्षमता को बढ़ाने से किसानों को और भी अधिक लाभ हो सकता है।

जीरे की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

जीरे की खेती के लिए शुष्क और मध्यम ठंडी जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। बीजों को पकने के लिए शुष्क और ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है। अच्छी पैदावार के लिए रेतीली मृदा का इस्तेमाल करें और यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में अच्छा जल-निकास हो।

यह भी पढ़े- दिसंबर में करे इन सब्जियों की खेती, अच्छी पैदावार होगी और मुनाफा बढ़ेगा

जीरे की खेती की उन्नत तकनीक

बीजों का चयन और बोना: उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें और उन्हें ध्यानपूर्वक बोयें। पहले बीजों को अच्छे से धोकर सुखा दें, फिर उन्हें बोयें।

बोये गए बीजों की देखभाल: बोये गए बीजों की देखभाल करें, जैसे कि नियमित पानी देना, सही समय पर उर्वरकों का उपयोग करना और विशेषज्ञ किसानों से सलाह लेना।

पोषण: जीरे की फसल को सही मात्रा में पोषण प्रदान करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए उर्वरकों का समय पर सही मात्रा में प्रयोग करें।

रोग और कीट प्रबंधन: जीरे की फसल को रोग और कीटों से बचाने के लिए उपयुक्त रोग-निवारक और कीटनाशक प्रयोग करें।

यह भी पढ़े- बेहतर उपज और अधिक लाभ के लिए दिसंबर माह में करें ये कृषि कार्य

जीरे की फसल की पूरी तकनीक

बीजों का चयन और बोना: जीरे की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें। इन्हें बोने से पहले अच्छे से धोकर सुखा लें। बोने का समय ऐसे चुनें जब मौसम शुष्क और ठंडा हो।

बुआई का समय: जीरे की बुआई अक्टूबर से फरवरी के बीच की जा सकती है, जब मौसम ठंडा होता है। पूर्वी और पश्चिमी तटों पर जीरे की खेती: जीरे की खेती के लिए पूर्वी और पश्चिमी तटों के अलावा राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों में भी उपयुक्त भूमि होती है।

स्थानीय उपायों का अनुसरण: जल संचार, उर्वरक प्रबंधन, और कीट प्रबंधन जैसे स्थानीय उपायों का पालन करें। सिंचाई: जीरे की फसल के लिए सही सिंचाई का ध्यान रखें। मौसम के अनुसार सिंचाई का समय और मात्रा तय करें।

जीरे की खेती के प्रमुख प्रदेश

भारत में राजस्थान और गुजरात में जीरे की खेती सबसे अधिक होती है। राजस्थान एकमात्र राज्य है जहां 28% जीरा उत्पादित होता है। जीरे की खेती के लिए शुष्क और साधारित ठंडी जलवायु सबसे उपयुक्त होती है।

जीरे की उत्तम किस्में

जीरे की खेती के लिए उन्नत किस्में जैसे आर जेड-19, आरजेड-209, जीसी-4, आरजेड-223 उपयुक्त हैं। विभिन्न जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त उन्नत किस्मों का चयन करें।

जीरे की खेती में खाद और उर्वरक

खेत को तैयार करने के लिए कम्पोस्ट या गोबर की खाद डालें। बुआई के समय और सिंचाई के दौरान उर्वरक का सही समय पर इस्तेमाल करें।

जीरे की सुरक्षा

जीरे के पौधों को दीमक, चेंपा, और छाछया रोगों से बचाने के लिए उपयुक्त उर्वरकों का प्रयोग करें। बुआई के तुरंत बाद खेत में क्लोरीपायरीफॉस का स्प्रे करें।

यह भी पढ़े- कृषि मशीनरी को सुधारने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त करें- अभी करें आवेदन, अंतिम तिथि 31 दिसंबर

जीरे की प्राकृतिक सिंचाई

जीरे की पौधों को प्राकृतिक सिंचाई प्रदान करने के लिए कुंडल या ट्राडिशनल नल सिस्टम का इस्तेमाल करें। इससे पौधों को समर्थन मिलता है और उच्च उत्पादकता होती है। जीरे की खेती एक लाभकारी और सुरक्षित किसानी व्यापार हो सकती है, अगर इसे ध्यानपूर्वक और विज्ञान के साथ किया जाए। उपयुक्त तकनीक, खेती तंतु, और विशेषज्ञ सलाह से जीरे की खेती से आप लाखों रुपए कमा सकते हैं।

जीरे की कटाई

जब बीज एवं पौधा भूरे रंग का हो जाएं तथा फसल पूरी पक जाए तो तुरंत इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। पौधों को अच्छी प्रकार से सुखाकर थ्रेसर से मंढाई कर दाना अलग कर लेना चाहिए। दाने को अच्छे प्रकार से सुखाकर ही साफ बोरों में इसका भंडारण करना चाहिए।


जुड़िये KrishiBiz से – ऐसे ही कृषि उपयोगी ज्ञानवर्धक, उपयोगी, आधुनिक तकनीक और कृषि योजनाओं आदि कृषि सम्बंधित जानकारियों के अपडेट सबसे पहले पाने के लिए हमारे WhatsApp Group या हमारे Telegram ग्रुप ज्वाइन करें हमार को Facebook पेज को like करें और अपने साथियो-मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

KrishiBiz Team

KrishiBiz में आपका स्वागत हैं, हमारी टीम में एग्रीकल्चर एक्सपर्ट, तकीनीकी एवं पशुपालन विशेषज्ञ एवं योजनाओ के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। जय हिन्द! जय किसान!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button