Cultivation Of Medicinal Plants: औषधीय पौधों की खेती कर बने मालामाल, जानें खेती का तरीका

वर्तमान में औषधीय पौधों की बाजार में बहुत मांग है, ऐसे में आप इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा पा सकते हो। यदि आप पारंपरिक खेती में लगे हुए हैं और औषधीय पौधों की खेती में बदलाव पर विचार कर रहे हैं, तो यह आपके लिए एक अच्छा मौका है

Cultivation Of Medicinal Plants: वर्तमान में औषधीय पौधों की बाजार में बहुत मांग है, ऐसे में आप इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा पा सकते हो। यदि आप पारंपरिक खेती में लगे हुए हैं और औषधीय पौधों की खेती में बदलाव पर विचार कर रहे हैं, तो यह आपके लिए एक अच्छा मौका है। कम खेती लागत और अधिक फायदा के कारण औषधीय पौधों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में कदम रखकर आप अपनी कमाई में काफी बढ़ोतरी कर सकते हैं। आइए इस लेख के माध्यम से जानें कुछ ऐसे औषधीय पौधों के बारे में जो आपको मालामाल बना सकते है।

जानिए औषधीय पौधों के बारे में

लेमनग्रास की खेती: (Cultivation Of Lemongrass) 
इसे लेमन ग्रास के नाम से भी जाना जाता है, इस पौधे की खेती के लिए न्यूनतम प्रयास की आवश्यकता होती है। इसे साल में केवल एक बार निराई-गुड़ाई की जरूरत होती है और आप इसे सालाना 5 से 6 बार सिंचाई कर सकते हैं। एक बार स्थापित होने के बाद, लेमनग्रास 5 से 6 वर्षों तक लगातार पैदावार देता है। इससे उत्पादित आवश्यक तेल की भारतीय बाजार में कीमत 1200 रुपये प्रति लीटर तक हो सकती है।

यह भी पढ़ें- PM Kisan 15th Installment Date: जानिए कब आएगी किसानों के खाते में 15वीं किस्त ?

अश्वगंधा की खेती: (Cultivation Of Ashwagandha) 
अश्वगंधा एक मूल्यवान औषधीय पौधा है जिसका उपयोग विभिन्न फार्मास्यूटिकल्स में किया जाता है। भारतीय चिकित्सा में इसका एक समृद्ध इतिहास है, इसकी जड़ों, तने और पत्तियों का उपयोग विभिन्न उपचारों में किया जाता है। अश्वगंधा की खेती करने में 6 से 8 महीने का समय लगता है और वर्तमान में बाजार में इसकी कीमत 30,000 से 35,000 रुपये प्रति क्विंटल तक है।

यह भी पढ़ें- गोबर धन योजना क्या हैं जानिए किसान कैसे ले सकते हैं गोबर धन योजना का फायदा

सतावर की खेती: (Cultivation Of Satavar) 
शतावरी के नाम से भी जाना जाने वाला यह पौधा कई दवाओं के उत्पादन का अभिन्न अंग है। इसकी टहनियों और पत्तियों का उपयोग औषधि निर्माण में किया जाता है। सतावर की खेती के लिए एक एकड़ जमीन समर्पित करके आप आसानी से लगभग 6 से 8 लाख रुपये कमा सकते हैं।

यह भी पढ़ें- Big News For Farmers: अब इस रेट पर मिलेगा यूरिया एवं डीएपी खाद, जानिए ताजा भाव

ब्राह्मी की खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा (Cultivation Of Brahmi) 
ब्राह्मी की फसल अच्छी पैदावार दे, इसके लिए खर-पतवार नियंत्रण जरूरी है। खेत की निराई समय से नहीं होने पर पौधों की बढ़वार प्रभावित होती है। आम तौर पर ब्राह्मी के खेत की दो बार निराई की जाती है। पहली बार निराई करने का उपयुक्त समय होता है फसल लगाने के 15 दिन बाद और दूसरी बार आप दो महीने के बाद निराई कर सकते हैं। ब्राह्मी की कटाई पौध लगाने के 4 महीने बाद की जाती है ब्राह्मी के पौधे (Cultivation Of Brahmi) नाहर तालाब नदी आदि के किनारे जंगली रूप में उग आते हैं। इसकी खेती में अधिक मुनाफा होने की वजह से ज्यादातर किसान इसकी खेती कर रहे हैं। दलदलयुक्त मिट्टी इसकी खेती के लिए बेहतर माना जाता है, तथा मिट्टी का pH मान 5 से 7 के बीच होना चाहिए। इसके अलावा इसकी खेती के लिए मिट्टी का भुरभुरा और समतल होना जरुरी है।

यह भी पढ़ें- पशुओं का आहार: पशुपालक पशुओं के आहार पर विशेष ध्यान दे

जेरेनियम की खेती: (Cultivation Of Geraniumi) 
अपने सुगंधित गुणों के लिए प्रसिद्ध, जेरेनियम का उपयोग दवाओं, तेल, साबुन और सौंदर्य उत्पादों के उत्पादन में किया जाता है। यह भारत के तटीय राज्यों में फलता-फूलता है और पर्याप्त लाभ मार्जिन प्रदान करता है। जेरेनियम तेल का मौजूदा बाजार मूल्य 20,000 से 22,000 रुपये प्रति लीटर है, जो इसे आपके भाग्य को बदलने का एक आशाजनक अवसर बनाता है।

औषधीय पौधों की खेती को अपनाकर बाजार में बढ़ती मांग का फायदा उठा सकते हैं। कम खेती लागत और अधिक फायदा के कारण औषधीय पौधों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में कदम रखकर आप अपनी कमाई में काफी बढ़ोतरी कर सकते हैं।


जुड़िये KrishiBiz से – ऐसे ही कृषि उपयोगी ज्ञानवर्धक, उपयोगी, आधुनिक तकनीक और कृषि योजनाओं आदि कृषि सम्बंधित जानकारियों के अपडेट सबसे पहले पाने के लिए हमारे WhatsApp Group या हमारे Telegram ग्रुप ज्वाइन करें हमारे को Facebook पेज को like करें और अपने साथियो-मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

KrishiBiz Team

KrishiBiz में आपका स्वागत हैं, हमारी टीम में एग्रीकल्चर एक्सपर्ट, तकीनीकी एवं पशुपालन विशेषज्ञ एवं योजनाओ के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। जय हिन्द! जय किसान!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button