crop management and production | कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने के उपाय

किसान भाई crop management and production के जरिए अपनी खेती में कम लागत लगाकर बंपर उत्पादन प्राप्त कर सकते है

crop management and production | भारत कृषि प्रधान देश है, हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसान भाइयों के पास कृषि मात्र आय का साधन है। कुल मिलकर किसान भाइयों परिवार पूरी तरह से कृषि पर ही आश्रित है। विश्व के अन्य देशों के मुकाबले अनाज का अधिक उत्पादन होता है।

हमारे देश की मिटटी बहुत उपजाऊ है, जिसके कारण यहां पर खेती करना बहुत ही आसान है। पिछले कुछ सालों से कृषि का अर्थ बहुत बदल गया है। आज के समय में यही सही खेती है, जिसमें लागत कम है और उत्पादन अधिक है।

इसे प्राप्त करने के लिए नर्सरी में पौध संरक्षण से लेकर उर्वरक और बेहतर सिंचाई प्रणाली की उचित व्यवस्था करना बहुत जरूरी है। किसान भाइयों को खेती के जरिये अधिक मुनाफा कमाना है, तो फसल प्रबंधन और उत्पादन (Crop Management) को महत्व देना होगा।

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Crop Management के लिए करें यह उपाए

जैसा की हम सभी को पता है की हमारे देश में कृषि का इतिहास बहुत पुराना है। आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत तरीकों के साथ खेती-बाड़ी की जा रही है। लेकिन अब वक्त है बदलाव और विकास का।

इसलिए हमारे किसान भाइयों को फसल प्रबंधन को ध्यान में रख कर खेती करनी चाहिए। आज हम आपको crop management and production के कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में बताने जा रहे है।

उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग करें

अक्सर समय की कमी या आलस्य के कारण किसान बाजार से बीज खरीदकर खेती करते हैं और कभी-कभी जल्दबाजी में वे बीज खरीद लेते हैं जो प्रमाणित नहीं होते हैं। इससे उत्पादन कम होता है और लागत भी बढ़ती है।

लेकिन किसान भाइयों को वैज्ञानिकों द्वारा तैयार प्रमाणित बीज ही खरीदना चाहिए। इन बीजों में अन्य बीजों की तुलना में अधिक उत्पादन क्षमता होती है।

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आवश्यकता अनुसार खाद का प्रयोग

भारत में अधिकांश किसान अभी भी पारंपरिक खेती करते हैं, जिसके कारण उन्हें यह नहीं पता होता है कि कितनी खाद का उपयोग किया जाना चाहिए।

लेकिन खाद के उपयोग के संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि फसल पर लगने वाले उर्वरक का केवल 38 प्रतिशत ही पौधों द्वारा पोषित किया जाता है और शेष सिंचाई के दौरान बह जाता है।

कुछ नमी की कमी के कारण वातावरण में अवशोषित हो जाता है। ऐसे में किसान खाद का सही मात्रा में प्रयोग करें। सही मात्रा का पता लगाने के लिए मृदा परीक्षण आवश्यक है।

जैविक खाद का प्रयोग करें 

भारत में हरित क्रांति के दौरान यूरिया और अन्य रासायनिक उर्वरकों की शुरुआत हुई, जिसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में किसानों द्वारा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है और खेती रासायनिक युक्त हो जाती है।

लेकिन आज के समय में वैज्ञानिक रासायनिक उर्वरकों के दुष्परिणामों को समझ चुके हैं और किसानों को रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग करने की सलाह देते हैं।

इसके अलावा जैविक खाद के उपयोग के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि खेत की तैयारी के समय से ही जैविक खाद जैसे कम्पोस्ट केंचुआ खाद और गोबर की खाद को मिट्टी में मिला देना चाहिए, ताकि मिट्टी की उर्वरता बढ़ सके और उत्पादन अच्छा हो सकता है।

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कीट और रोग निदान करें 

खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए फसल को सभी प्रकार के कीटों और बीमारियों से बचाना बहुत जरूरी है, इसलिए कीटनाशकों और कीटनाशकों का छिड़काव करना आवश्यक है। ध्यान रहे कि कीटनाशक की मात्रा जरूरत के हिसाब से ही हो, क्योंकि ज्यादा होने पर ये फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।

इसके साथ ही वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि दवाओं का छिड़काव जैविक होना चाहिए, क्योंकि खतरनाक रसायन ज्यादा असरदार नहीं होते और फसल को काफी नुकसान भी पहुंचाते हैं।

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फसल कटाई के बाद प्रबंधन जरूरी

आज के समय में फसल की कटाई अक्सर मशीनों से की जाती है। ऐसे में खेत में कटाई के बाद अवशेषों को बचाना जरूरी है और किसानों ने खेत को जल्दी साफ करने के लिए इन अवशेषों में आग लगा दी जाती है, जिससे वायु प्रदूषण होता है।

उदाहरण के लिए दिल्ली हमारे सामने है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस अवशेष को नष्ट करने के लिए जो कुछ भी कटाई के बाद बचता है उसे जुताई के दौरान खेत की मिट्टी में मिला देना चाहिए या इसे खेत से बाहर निकालकर खाद बनाना चाहिए।

किसान भाइयों अगर आप लोगों को crop management and production के बारे में समझ में आय तो आप जरूर इन उपायों को आजमाए और अपनी फसल का उत्पादन बढ़ाये।


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