कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी सलाह – बुवाई से पहले जरूर जानें ये बातें
कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि बुवाई का सही समय आ चुका है।

कपास की खेती: देश के कई किसान कपास की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाते हैं। ऐसे किसानों की मदद के लिए राज्य और केंद्र सरकार कई योजनाएं चलाती हैं। कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि बुवाई का सही समय आ चुका है। किसानों को कुछ जरूरी सलाह के लिए , जिससे वे फसल की बेहतर पैदावार ले सकें। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि किसान बीटी कपास की बुवाई अप्रैल के पहले पखवाड़े में करें, तो वे दो कतार कपास के साथ दो कतार मूंग भी बो सकते हैं।
इससे भूमि का बेहतर उपयोग होता है और अतिरिक्त आय का स्रोत भी बनता है। रेतीली भूमि वाले क्षेत्रों में किसान ड्रिप इरिगेशन यानी टपका सिंचाई विधि अपनाएं, जिससे पौधों को जरूरत के अनुसार नमी मिलती है और पानी की भी बचत होती है। जिन इलाकों में पानी की गुणवत्ता खराब है या फसल के जमाव में समस्या आती है, वहां पर कपास की बुवाई मेड़ बनाकर करने की सलाह दी गई है, जिससे नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण और उत्पादन वृद्धि में मदद मिलती है।
बीज की गुणवत्ता और मिट्टी परीक्षण पर दें खास ध्यान
कृषि विश्वविद्यालय ने यह भी कहा है कि किसान केवल विश्वविद्यालय द्वारा अनुशंसित प्रमाणित बीटी कपास बीज का ही उपयोग करें और बीज खरीदते समय अधिकृत विक्रेता से पक्का बिल जरूर लें। इससे बीज की गुणवत्ता की गारंटी बनी रहती है और धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। इसके साथ ही किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने खेत की मिट्टी की जांच जरूर कराएं ताकि यह पता चल सके कि खेत में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है और उर्वरकों का सही उपयोग किया जा सके। मिट्टी की जांच से न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि अनावश्यक खर्चों से भी बचा जा सकता है। किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग से संपर्क कर इन सुझावों को और विस्तार से जान सकते हैं।
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कपास की बुवाई का सही समय
कपास की बुवाई का समय आ गया है, खासतौर पर अप्रैल का पहला पखवाड़ा सबसे उपयुक्त माना जाता है।
इस समय बीटी कपास के साथ मूंग की दो कतार और कपास की दो कतार लगाई जा सकती है। इससे भूमि का बेहतर उपयोग होता है और उत्पादन में वृद्धि होती है।
सूखे या रेतीले इलाकों के लिए सुझाव
जहां मिट्टी रेतीली हो या पानी की समस्या हो, वहां किसान ड्रिप सिंचाई प्रणाली (टपका विधि) अपनाएं। इससे पानी की बचत भी होती है और फसल को सही नमी मिलती है।
ऐसे क्षेत्र जहां पानी खारा हो या बीज अंकुरण में समस्या हो, वहां किसान मेढ़ बनाकर बुवाई करें। इससे नमी बनी रहती है, खरपतवार नियंत्रण होता है और उत्पादन बढ़ता है।
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बीज का चयन और खरीद
बीटी कपास के लिए केवल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सिफारिश किए गए बीज ही खरीदें।
बीज सत्यापित संस्था या अधिकृत विक्रेता से लें और बिल जरूर लें, ताकि बीज की गुणवत्ता की गारंटी मिल सके।
बीज की जानकारी के लिए किसान अपने जिले के कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।
सिफारिश किए गए बीजों की लिस्ट विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।
खेत की मिट्टी की जांच कराएं
बुवाई से पहले मिट्टी की जांच जरूर कराएं।
इससे किसान यह जान सकते हैं कि खेत में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी या अधिकता है, जिससे उर्वरक का सही मात्रा में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
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