चने की बुआई से पहले तैयारी: किसान करें ये काम, नहीं आएगी सूखने और मुरझाने की समस्या

चना फसल में मुरझाने और सूखने की समस्या को रोकने के लिए बीजोपचार (Seed Treatment) सबसे जरूरी कदम है। इससे पौधे मजबूत बनते हैं और फसल का उत्पादन बढ़ता है।

चने की बुआई से पहले तैयारी: रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही किसान चना बोने की तैयारी में जुट गए हैं। चना एक प्रमुख दाल फसल है, लेकिन इसमें मुरझाने और बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान बुआई से पहले बीजों का सही तरीके से उपचार कर लें, तो फसल को इन समस्याओं से बचाया जा सकता है और उपज भी बढ़ाई जा सकती है।

बीजोपचार क्यों जरूरी है?

चना की फसल में विल्ट (मुरझाना) और सूखना जैसी समस्याएं बहुत आम हैं। यह ज्यादातर फफूंद और मिट्टी जनित रोगों की वजह से होती हैं। अगर बीजों को बुआई से पहले फफूंदनाशक और कीटनाशक से उपचारित किया जाए, तो पौधे स्वस्थ रहते हैं और जड़ों से लेकर फलियों तक फसल बेहतर विकसित होती है।

बीजोपचार से मिलने वाले प्रमुख लाभ

  • फसल को मिट्टी और बीज जनित रोगों से सुरक्षा मिलती है।

  • स्कोकाइटा ब्लाइट, बोट्रीटिस ग्रे मोल्ड और फ्यूजेरियम विल्ट जैसी बीमारियों से बचाव होता है।

  • एफिड्स, थ्रिप्स और लीफ माइनर जैसे कीटों का प्रकोप कम होता है।

  • पौधों की जड़ें मजबूत बनती हैं और उपज में बढ़ोतरी होती है।

  • मुरझाने और सूखने की समस्या लगभग खत्म हो जाती है।

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कब और कैसे करें बीजोपचार?

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि बुआई से कम से कम 24 घंटे पहले बीजों का उपचार करें, ताकि दवा अच्छी तरह सूख जाए और बीज पर चिपक जाए। बीजोपचार के लिए किसानों को निम्नलिखित सामग्री का उपयोग करना चाहिए:

बीजोपचार के लिए आवश्यक सामग्री

  1. कार्बोक्सिन – 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज

  2. ट्राइकोडर्मा पाउडर – 5 ग्राम प्रति किलो बीज

  3. अमोनियम मोलिब्डेट – 1 ग्राम प्रति किलो बीज

  4. रायजोबियम कल्चर – 5 ग्राम प्रति किलो बीज

  5. पीएसबी (फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया) कल्चर – 5 ग्राम प्रति किलो बीज

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इनसे होता है फायदा

  • कार्बोक्सिन और ट्राइकोडर्मा – मिट्टी जनित रोगों से बचाते हैं और जड़ों को सड़ने से रोकते हैं।

  • अमोनियम मोलिब्डेट – पौधों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण बढ़ाता है जिससे फसल की बढ़वार तेज होती है।

  • रायजोबियम और पीएसबी कल्चर – मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और पौधों को पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण करने में मदद करते हैं।

अगर किसान बुआई से पहले बीजों का सही तरह से उपचार कर लें, तो चने की फसल मुरझाने, सूखने और कीटों से पूरी तरह सुरक्षित रहती है। यह न केवल फसल की गुणवत्ता बढ़ाता है बल्कि उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि करता है। बीजोपचार अपनाकर किसान कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं।


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