दलहन, तिलहन के बीज को लेकर सरकार का बड़ा फैसला

11 राज्यों को 4.54 लाख दाल और उड़द के बीज के पैकेट और 4.04 लाख दाल के बीज के पैकेट आवंटित किए हैं

केंद्र सरकार कम बारिश वाले राज्यों में दलहन और तिलहन के बीज के पैकेट बांटेगी। इन राज्यों में कम और अनिश्चित बारिश के कारण सर्दियों की फसल की जल्दी बुवाई की उम्मीद के बीच यह निर्णय लिया गया है। आमतौर पर खरीफ फसलों की कटाई के बाद रबी (शीतकालीन) फसल अक्टूबर से नवंबर के पहले पखवाड़े तक बोई जाती है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, खरीफ सीजन के दौरान कुछ राज्यों में अनियमित और कम बारिश के कारण रबी फसलों, विशेष रूप से दलहन और तिलहन की जल्दी बुवाई करना आवश्यक हो गया है।

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किसानों को मिलेगी बीज मिनीकिट

बयान के मुताबिक, सरकार का फोकस राज्यों में मानसून की कमी वाले इलाकों में दलहन और तिलहन के बीज के पैकेट (मिनीकिट) उपलब्ध कराने पर है. राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) और NAFED जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बीज पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। बीज वितरण की लागत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है।

ये राज्य रबी फसलों की बुवाई में तेजी लाएंगे

सरकार ने दलहन की बुवाई को बढ़ावा देने के लिए 11 राज्यों को 4.54 लाख दाल और उड़द के बीज के पैकेट और 4.04 लाख दाल के बीज के पैकेट आवंटित किए हैं। इसका उद्देश्य रबी सीजन 2022-23 में विशेष रूप से कम वर्षा प्रभावित उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार में फसलों की बुवाई में तेजी लाना है।

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बीज वितरण का लक्ष्य निर्धारित

सरकार 2022-23 तक एक विशेष कार्यक्रम ‘तूअर, मसूर, उड़द-370’ भी लागू कर रही है। इसके तहत 120 जिलों में मसूर और 150 जिलों में उड़द का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

लगभग 8.3 लाख पैकेट बीजों का वितरण कर तिलहन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, कुसुम और अलसी जैसी विभिन्न फसलों के किसानों को 39.22 करोड़ रुपये के बीज दिए जा रहे हैं।

बीज मिनीकिट वितरण के उद्देश्य

सरकार ने किसानों के लिए हाल में जारी की गई अधिक उपज देने वाली किस्मों के बीज के वितरण के लिए बड़े पैमाने पर बीज मिनीकिट कार्यक्रम को मंजूरी दी है। इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:

  • उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों के बीच नवीनतम फसल किस्मों को लोकप्रिय बनाना।
  • खरीफ, 2022 के दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के उन हिस्सों में दलहन और तिलहन का बीज मिनीकिट वितरित करना जहां अल्प वर्षा/ कम वर्षा हो रही है।
  • महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में रेपसीड और सरसों (आर एंड एम) के गैर-पारंपरिक क्षेत्र को कवर करना।
  • तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों के लिए मूंगफली के रूप में प्रमुख रबी तिलहन और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान में अलसी जैसे छोटे तिलहन और महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में कुसुम वितरित करना।

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दलहन को बढ़ावा देने के लिए बीज मिनीकिट

सरकार ने 2022-23 के दौरान दलहन को बढ़ावा देने के लिए, 11 राज्यों के लिए मसूर और उड़द के 4.54 लाख बीज मिनीकिट और मसूर के 4.04 लाख बीज मिनीकिट आवंटित किए हैं। इसका उद्देश्य विशेष रूप से बारिश की कमी वाले क्षेत्रों में जल्दी बुवाई के को लेकर उत्तर प्रदेश (1,11,563 नग), झारखंड (12,500 नग) और बिहार (12,500 नग) का वितरण करना है।

यह वर्षा की कमी वाले इन तीन राज्यों के लिए कुल आवंटन का 33.8 प्रतिशत और पिछले वर्ष की तुलना में 39.4 प्रतिशत अधिक है। सरकार 2022-23 तक एक विशेष कार्यक्रम (टीएमयू 370) ‘तूर मसूर उड़द – 370’ भी लागू कर रही है, जिसके माध्यम से मसूर के तहत 120 जिलों और उड़द के तहत 150 जिलों को अधिकतम कवर प्रदान करके इन लक्षित जिलों में दलहनी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करने का लक्ष्य रखा जा रहा है।

तिलहन को बढ़ावा देने के लिए बीज मिनीकिट

तिलहन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 8.3 लाख बीज मिनीकिट वितरित की जा रही है। विभिन्न फसलों पर 39.22 करोड़ रुपए की लागत है। इनमें सरसों (10.93 करोड़ रुपये मूल्य की 575000 मिनीकिट), मूंगफली (16.07 करोड़ रुपये मूल्य की 70500 मिनीकिट), सोयाबीन (11.00 करोड़ रुपये मूल्य की 125000 मिनीकिट), कुसुम (0.65 करोड़ रुपये मूल्य की 32500 मिनीकिट)

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अलसी (0.57 करोड़ रुपए मूल्य की 26000 मिनीकिट) शामिल हैं, जो किसानों को मुफ्त दी जाएगी। सरकार ने रबी 2021-22 के विशेष सरसों मिशन को लागू किया। इसके परिणामस्वरूप इसकी खेती के रकबे में 20 प्रतिशत और उत्पादन में 15 प्रतिशत वृद्धि हुई। इस वर्ष (2022-23), विशेष कार्यक्रम के तहत 18 राज्यों के 301 जिलों में रेपसीड और सरसों के 2653183 बीज मिनीकिट के वितरण के लिए 50.41 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

खेती का रकबा बढ़ाना उद्देश्य

सरकार की प्राथमिकता तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाना और इस प्रकार आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को पूरा करना है। इन रणनीतियों का लक्ष्य इन फसलों की खेती का रकबा बढ़ाना,, अधिक पैदावार वाली किस्मों के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाना, एमएसपी समर्थन और खरीद के माध्यम से उत्पादन बढ़ाना है।


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