Paan Ki Kheti: पान की खेती से बंपर पैदावार पाने के लिए रखें इन बातों का ध्यान, जाने पूरी जानकारी
पान की खेती का काम जनवरी महीने में शुरू होता है और फरवरी महीने तक पूरा हो जाता है।
Paan Ki Kheti: भारत देश में पान की खेती लंबे समय से होती आ रही है। पान को खाने के साथ-साथ पान का उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है। पान में कई औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं। देश के कई इलाकों में पान की खेती का बहुत महत्व है। अगर आप भी पान की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि पान की खेती कब और कैसे करनी चाहिए।
पान की खेती के कार्य 15 जनवरी के बाद प्रारम्भ होती है। पान की अच्छी खेती के लिये जमीन की गहरी जुताई कर भूमि को खुला छोड देते हैं। उसके बाद उसकी दो उथली जुताई करते हैं, फिर बरेजा का निर्माण किया जाता है। यह प्रक्रिया 15-20 फरवरी तक पूर्ण कर ली जाती है। अलग-अलग क्षेत्रों में पान की खेती अलग-अलग तरीकों से की जाती है। आज हम इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि किसान अपने खेत में पान की खेती किस तरह से करें, ताकि वह कम समय व कम लागत के साथ अधिक पैदावार और मुनाफा प्राप्त कर सके।
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जाने पान की खेती के लिए जरूरी बातें
- पान की खेती के लिए वातावरण अनुकूल होना चाहिए, इसकी खेती उन इलाकों में सही तरीके से होती है, तो जहां पर बारिश से नमी बनी रहती है।
- रोपाई के समय की बात करें तो यह सुबह 11 बजे से पहले और दोपहर 3 बजे के बाद करनी चाहिए।
- पान की खेती के लिए न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, इसलिए किसान को इसकी खेती के लिए नमी और छायादार वाले स्थान का चयन करना चाहिए।
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- पान की खेती से अच्छी पैदावार के लिए किसान को खेत की अच्छे से जुताई करनी चाहिए और साथ ही ध्यान रहे कि खेत में पुरानी फसल के अवशेष न बचें, फिर किसान को खेत में खाद डालकर खुला छोड़ देना चाहिए। इसके बाद किसान को बरेजा बनाने से पहले ही खेत की जुताई करनी चाहिए, ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
- बरेजा के लिए सबसे पहले खेत में 1-1 मीटर की दूरी पर बांस के डंडे गाढ़ दें, जिसके बाद इनके ऊपर पिंचियों को बांधकर छप्पर जैसा बना लें और फिर उन्हें अच्छे से बांध लें, ताकि तेज हवा से पौधे को नुकसान न पहुंच सके।
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- इसके बाद किसान को पान की बेल की रोपाई पर ध्यान देना चाहिए। पान की बेल की रोपाई पंक्तियों में की जाती है, इसके लिए पंक्तियों के बेलों को अलग कर करीब 15-20 सेंटीमीटर की दूर हर बेल के बीच होना चाहिए। रोपाई के बाद खेत में तराई के लिए पानी डालें। पान की बेल की रोपाई का अच्छा समय शाम का माना गया है, इस समय बेल खराब होने की संभावना कम होती है।
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