Cultivation of Mung Bean: गर्मी में मूंग की खेती के लिए टॉप 10 किस्में

Cultivation of moong in summer जानें, मूंग की जल्द तैयार होने वाली किस्मों की विशेषताएं

Cultivation of Mung Bean: गेहूं की कटाई के बाद खेत खाली हो जाएंगे। ऐसे में किसान खाली खेत में मूंग की बुवाई करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। गर्मी के सीजन में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है। इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं जैसे– बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, बाढ़, सूखा आदि की संभावना कम रहती है। ऐसे में किसान मूंग की खेती कर अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मूंग की बाजार में मांग भी अच्छी बनी रहती है, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं।

गर्मी में मूंग की खेती के लिए टॉप 10 किस्में

गर्मी के मौसम में मूंग की अधिक पैदावार के लिए किसानों को उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए ताकि कीट–रोग आदि का प्रकोप कम हो और उत्पादन बेहतर मिल सके। ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई का उचित समय 10 अप्रैल तक होता है।

  • 70 से 80 दिनों में तैयार होने वाली किस्में: जो किसान समय से मूंग की बुवाई करना चाहते हैं, वे इन किस्मों का चयन कर सकते हैं।
  • 60–65 दिनों में तैयार होने वाली किस्में: देरी से बुवाई करने वाले किसानों के लिए ये किस्में उपयुक्त होती हैं।

मूंग की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं

1. मूंग की पूसा 1431 किस्म

  • प्रति हेक्टेयर 12–14 क्विंटल तक पैदावार।
  • बीज बड़े, गोल और काले रंग के।
  • 56 से 66 दिन में पककर तैयार।

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2. मूंग की पूसा 9531 किस्म

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) द्वारा विकसित।
  • पीत चित्ती रोग के प्रति प्रतिरोधी।
  • 60 दिन में तैयार।
  • औसत उपज 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

3. मूंग की पूसा रत्न किस्म

  • पीला मोजेक वायरस के प्रति सहनशील।
  • 65 से 70 दिन में तैयार।
  • प्रति हेक्टेयर 12–13 क्विंटल पैदावार।
  • पंजाब व दिल्ली एनसीआर के लिए उपयुक्त।

4. मूंग की पूसा 672 किस्म

  • 60 से 80 दिन की अवधि में तैयार।
  • प्रति हेक्टेयर 8–10 क्विंटल पैदावार।

5. मूंग की पूसा विशाल किस्म

  • पीला मोजेक वायरस के प्रति प्रतिरोधी।
  • 60–65 दिन में तैयार।
  • प्रति हेक्टेयर 12–13 क्विंटल पैदावार।

6. मूंग की KPM 409-4 (हीरा) किस्म

  • वसंत और ग्रीष्म दोनों मौसम के लिए उपयुक्त।
  • कई रोगों के प्रति प्रतिरोधी।
  • 65–70 दिन में तैयार।
  • प्रति हेक्टेयर 8–10 क्विंटल पैदावार।

7. मूंग की वसुधा (आई.पी.एम. 312-20) किस्म

  • सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट, लीफ क्रिंकल और लीफ कर्ल रोगों के प्रति प्रतिरोधी।
  • 65 से 80 दिन में तैयार।
  • प्रति हेक्टेयर 8–10 क्विंटल पैदावार।

8. मूंग की सूर्या (आई.पी.एम. 512-1) किस्म

  • सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट और एन्थ्रेक्नोज रोग के प्रति प्रतिरोधी।
  • 60 से 65 दिन में तैयार।
  • प्रति हेक्टेयर 12–13 क्विंटल उपज।
  • विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त।

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9. मूंग की कनिका (आई.पी.एम. 302-2) किस्म

  • पीला मोजेक रोग के प्रति प्रतिरोधी।
  • बड़े, आकर्षक, हरे और चमकदार बीज।
  • प्रति हेक्टेयर 12–14 क्विंटल उपज।

10. मूंग की आईपीएम 205–7 (विराट) किस्म

  • पीला मोजेक वायरस के प्रति प्रतिरोधी।
  • 52 से 56 दिन में तैयार।
  • प्रति हेक्टेयर 10–11 क्विंटल पैदावार।
  • पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु व कर्नाटक के लिए उपयुक्त।

मूंग की खेती गर्मी के मौसम में किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। सही समय पर सही किस्म का चयन करने से पैदावार और लाभ दोनों ही बढ़ाए जा सकते हैं। किसानों को मौसम, जलवायु और भूमि की उर्वरता को ध्यान में रखते हुए मूंग की उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके।


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