Green Fodder: भीषण गर्मी में भी पशुओं को मिलेगा हरा चारा, मार्च में करें चार फसलों की तैयारी
डेयरी विशेषज्ञों के मुताबिक दूध का महंगा या सस्ता होना पूरी तरह से चारे पर निर्भर करता है। फिर चाहे वह हरा चारा हो या सूखा चारा और खनिज।

Green Fodder: पशुओं को सस्ता चारा खिलाकर दूध की कीमतों को कम किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि हरा चारा सस्ता और भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो। इसी बात को ध्यान में रखते हुए चारा विशेषज्ञ मार्च में खास तौर पर गर्मियों के लिए चार तरह की हरी चारा फसलें उगाने की सलाह देते हैं।
गर्मियों में दूध की कीमतें और हरे चारे की अहमियत
डेयरी विशेषज्ञों के मुताबिक दूध का महंगा या सस्ता होना पूरी तरह से चारे पर निर्भर करता है। फिर चाहे वह हरा चारा हो या सूखा चारा और खनिज। सूखे चारे में भूसे की अहम भूमिका होती है। लेकिन अगर अप्रैल से जून तक की गर्मियों की बात करें तो इस दौरान हरे चारे की सबसे ज्यादा कमी होती है। वैसे तो गर्मियों में गाय-भैंसों के कम दूध उत्पादन के पीछे कई कारण हैं, लेकिन एक अहम कारण हरे चारे की कमी भी है।
हालांकि कृषि वैज्ञानिकों ने अब हरे चारे की ऐसी किस्म तैयार कर ली है जिसे मार्च में उगाने के बाद मई-जून में पशुओं को आसानी से खिलाया जा सकता है। पशुओं के लिए यह न केवल बहुत पौष्टिक है, बल्कि स्वादिष्ट भी है। हालांकि चारा विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि बरसीम, जई और चरी जैसी पतले तने वाली चारा फसलों से साइलेज और घास बनाकर गर्मियों में चारे की कमी को दूर किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें- कृषि कार्यों के लिए लोन: कृषि कार्यों के लिए 5% ब्याज पर मिलेगा लोन
बरसीम, जई और रिजका के बीजों से होगी आमदनी
मई-जून में पशुओं के लिए हरे चारे की कमी न हो, इसके लिए मार्च में ही चारे की बुवाई शुरू कर दें। खास तौर पर ज्वार, बाजरा, लोबिया और मक्का की बुवाई करके अच्छा पौष्टिक चारा प्राप्त किया जा सकता है। मार्च में बुवाई करके मई में फसल की कटाई की जा सकती है। इतना ही नहीं, किसान चारा फसलों के बीज बेचकर भी अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। अगर बरसीम, जई और रिजका फसलों से बीज तैयार किए जाएं, तो अच्छी आमदनी होगी।
यह भी पढ़ें- PM Kisan 19th Installment: जानिए कब आएगी किसानों के खाते में 19वीं किस्त?
साइलेज बनाकर भी चारे की कमी को दूर किया जा सकता है
चारा विशेषज्ञों का कहना है कि घर पर ही हरे चारे से भूसा और साइलेज बनाकर गर्मियों में हरे चारे की कमी को दूर किया जा सकता है। बस साइलेज और भूसा बनाते समय कुछ बातों का खास ख्याल रखें। जैसे, पतले तने वाली चारे की फसल को पकने से पहले ही काट लें। इसके बाद नीचे के हिस्से को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इन्हें तब तक सुखाएं जब तक इनमें 15 से 18 फीसदी नमी न रह जाए। भूसा और साइलेज के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल ही चुनें।
क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूख जाएगी। कई बार लंबे समय तक सूखने की वजह से चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है। यानी चारे का तना टूटने लगता है, इसके बाद इसे अच्छे से पैक करके इस तरह रखें कि चारा बाहर की हवा के संपर्क में न आए।
जुड़िये KrishiBiz से – ऐसे ही कृषि उपयोगी ज्ञानवर्धक, उपयोगी, आधुनिक तकनीक और कृषि योजनाओं आदि कृषि सम्बंधित जानकारियों के अपडेट सबसे पहले पाने के लिए हमारे WhatsApp Group या हमारे Telegram ग्रुप ज्वाइन करें हमारे को Facebook पेज को like करें और अपने साथियो-मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।