पशु हेल्थ टिप्स: पशुओं में बीमारियों की पहचान कैसे करें, जानें बचाव के तरीके

बीमारी को पहचानने और रोकने के लिए सबसे जरूरी है बीमार पशु की पहचान करना।

पशु हेल्थ टिप्स: बीमारी को पहचानने और रोकने के लिए सबसे जरूरी है बीमार पशु की पहचान करना। यदि आप अपने पशुओं में बीमारियों की पहचान नहीं कर पा रहे हैं तो घबराएं नहीं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपके लिए पशुओं में होने वाली कुछ बीमारियों की पहचान और उनसे बचाव के तरीकों की जानकारी लेकर आए हैं।

आज के समय में ज्यादातर किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी कर रहे हैं, लेकिन देखा जाए तो इस बदलते मौसम में पशुओं में बीमारियों (animal health) का खतरा अधिक होता है। पशुपालक के पास अगर एक स्वस्थ पशु होगा, तो वह उसे अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकता है। पशुपालकों की लाख कोशिशों के बाद भी पशुओं में कई तरह की बीमारी हो जाती हैं और उस बीमारी को पशुपालक सही से समझ नहीं पाते हैं और जब तक पशु उन बीमारियों को समझ पाते हैं काफी देर हो जाती है।

बीमार पशुओं को कैसे पहचानें

  • सबसे पहले आप पशुओं की चाल यानी की उनकी गति पर ध्यान दें, अगर आपका पशु सामान्य से अलग गति में चल रहा हैं, तो ऐसे में आपका पशु बीमार है।
  • पशु के दूध की मात्रा में कमी आने का कारण है कि पशु बीमार है।
  • अगर पशु बीमार है तो सबसे पहले दूध उत्पादन पर असर पड़ता है।
  • पशु गोबर पतला या फिर कड़ा करने लगता है।
  • बीमार पशु के कान सीधे तने हुए न हो कर लटक जाते है।
  • पशु अगर सही तरीके से चारा नहीं खा रहा है और जुगाली नहीं कर रहे हैं, तो ऐसे में भी आपका पशु बीमार है।
  • पशु पूरे दिन सुस्त रहता है और त्वचा पर सूखापन देखने को मिलता है, तो यह पशु के बीमारी के लक्षण होते हैं।
  • पशु को उठने-बैठने में व पानी पीने के लिए झुकने में दर्द का अहसास होना भी बीमारी के लक्षण होते हैं।
  • अगर पशु का शारीरिक तापमान अधिक व कम है और सांस लेने में परेशानी आ रही है, तो समझ जाएं कि पशु बीमार है।
  • पशु की आँख की परत (झिली) को देख के बीमारी का पता लगाया जा सकता है। पशु में खून की कमी मे आँख की झिली का रंग फीका पड़ जाता है।

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  • पशु के नाक, कान और आंखों से पानी आना भी पशु के बीमारी के लक्षण होते हैं।
  • अक्सर देखा गया है कि कुछ पशु लंगड़ाकर चलते हैं, तो यह भी पशु में एक बीमारी के लक्षण है।
  • पशु को ज्यादा ठंडा पसीना आना भी बताता है कि वह दर्द में है और इसके साथ किसान देखते है कि पशु बार-बार उठक-बैठक करेगा। पसीने का गर्म होना भी यह बताता है कि पशु को बुखार है।
  • इसके अलावा पशु का अचानक वजन कम होना, सूखी हुई थुके करना भी पशु में बीमारी के लक्षण होते हैं।

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पशुओं को बीमारियों से बचाव के तरीके

  • यदि किसी पशु में बीमारी होती है, तो उसे अन्य पशुओं से अलग करना चाहिए ताकि बीमारी फैलने का खतरा कम हो।
  • पालकों को दूध निकालने के बाद हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए।
  • अच्छी स्वच्छता रखना पशुओं को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। साफ पानी, स्वच्छ आवास, और स्थानों का उचित सफाई रखना जरूरी है।
  • प्रभावित क्षेत्र को सोडियम कार्बोनेट घोल पानी मिलाकर धोना चाहिए।

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  • सही पोषण पशुओं की मजबूत स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। उन्हें उचित मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स प्रदान करने वाला आहार देना चाहिए।
  • पशुओं को सही समय पर टीकाएं देना बहुत महत्वपूर्ण है। टीकाएं पशुओं को विभिन्न जीवाणुओं और बीमारियों से बचाव करने में मदद करती हैं।
  • जिस जगह पर ग्रस्त पशु को रखते हों, वहां ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर दें।

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