तरबूज की खेती: जानिए तरबूज की खेती करने का सही समय और खेती का तरीका
तरबूज की खेती से किसान लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं। नई तकनीकों का उपयोग करके तरबूज की खेती से कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।
तरबूज की खेती (farming of watermelon) कर किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा सकता है। तरबूज की खेती की खास बात यह है कि इसे कम पानी, कम उर्वरक और कम लागत में उगाया जा सकता है। बाजार में इसकी मांग के कारण इसके दाम अच्छे मिलते हैं। रबी और खरीफ के बीच की अवधि के दौरान किसान अपने खेतों में तरबूज की खेती करके 3.25 लाख रुपये तक कमा सकते हैं, तरबूज कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली एक फसल है।
तरबूज की खेती का सही समय Right time for watermelon cultivation
तरबूज की बुवाई करने का समय फरवरी और मार्च है। इस समय की बिजाई से आप गर्मी में फल पैदा कर सकते है। अन्य फलों के फसलों के मुकाबले इस फल में कम समय, कम खाद और कम पानी की आवश्यकता पड़ती है। बता दें कि गर्मियों में लोग खुद को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए तरबूज के फल को भरपूर सेवन करते है, ऐसा होने से किसानों का मुनाफा अपने आप लाखों के पार पहुंच जाता है।
तरबूज की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी Suitable climate and soil
तरबूजे की खेती के लिए अधिक तापमान वाली जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। अधिक तापमान से फलों की वृद्धि अधिक होती है। बीजों के अंकुरण के लिए 24-27 डिग्री सेटीग्रेड तापमान अच्छा रहता है। अब बात करें इसकी खेती के लिए मिट्टी की तो मध्यम काली जल निकासी वाली मिट्टी तरबूज के लिए उपयुक्त होती है तरबूज की फसल को गर्म और शुष्क मौसम और भरपूर धूप की आवश्यकता होती है वहीं मिट्टी का पी. एच. मान 5.5-7.0 के बीच होना चाहिए। इसकी खेती अनुपजाऊ या बंजर भूमि में भी की जा सकती है।
तरबूज की उन्नत किस्में Improved varieties of watermelon
तरबूज की कई किस्में होती हैं। लेकिन, कुछ ऐसी किस्में भी हैं जो कम समय में अच्छे फल देती हैं और उत्पादन भी काफी ज्यादा होता है। इनमें शुगर बेबी, अर्का ज्योति, पूसा बेदाना जैसी किस्में शामिल हैं। तरबूज की इन उन्नत किस्मों के बीज किसानों को बाजार में आसानी से उपलब्ध होंगे।
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सिंचाई का सही समय Right time for irrigation
तरबूज की खेती में बुआई के लगभग 10-15 दिन बाद सिंचाई करनी चाहिए। वहीं अगर आप इसकी खेती नदियों के किनारे कर रहे हैं तो सिंचाई की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां की मिट्टी में पहले से ही नमी है।
फसलों को बीमारियों और कीटों से कैसे बचाएं?
हर फसल की तरह तरबूज को भी रोग और कीट से बचाए रखने की जरूरत है। तरबूज में अमूमन रोग पत्तियों से शुरू होता है। बाद में यही कवक पत्ती के नीचे की तरफ बढ़ते हैं। इसके बाद पत्तियों की सतह पर पहुंच जाता है। इस स्थिति में पत्तियां सफेद दिखने लगती हैं बाद में रोग अधिक बढ़ने पर पत्तियां पीली होकर गिर जाती हैं। दवा छिड़काव कर तरबूज को कीटों से बचाना चाहिए।
उपाय – कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार डिनोकैप या कार्बेन्डाजिम को 10 लीटर 90 लीटर पानी में मिलाकर हर 15 दिन में 2-3 बार स्प्रे करें, फिर हर 15 दिन में 2-3 बार स्प्रे करना चाहिए।
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तरबूज की तुड़ाई
तरबूज की खेती में फलो की तुड़ाई आप 3 से लेकर 3.5 महीने बाद जब फल अच्छे से बड़े हो जाए और पक जाए तब इन की तुड़ाई कर लेनी चाहिए। फल तुड़ाई के लिए आप चाकू का इस्तेमाल कर सकते है। फलों को डंठल से अलग करने के लिए तेज चाकू का इस्तेमाल करें, ताकि फल को नुकसान न पहुंचे।
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