मछली पालन: मछली पालन करने वाले किसान जनवरी माह में करे ये काम

देश में अभी तेज ठंड पड़ रही है, जिसका असर पशु पक्षियों के साथ ही मछली पर भी पड़ता है। ऐसे में जो किसान मछली पालन का कार्य कर रहे हैं उन किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए

मछली पालन: देश में अभी तेज ठंड पड़ रही है, जिसका असर पशु पक्षियों के साथ ही मछली पर भी पड़ता है। ऐसे में जो किसान मछली पालन का कार्य कर रहे हैं उन किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि तेज ठंड के बावजूद भी मछली उत्पादन पर असर ना हो। तेज ठंड में यानि की जब तापमान औसतन 15 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है, इसका सामना मछलियों को करना पडता है। ठण्ड में मछली पालन अक्सर नहीं होता ठण्ड में मछलियों को सिर्फ जिन्दा रखने के लिए ही तालाब में रखते है। ठण्ड में मछलियों की भोजन लेने की दर घट जाती है। मछली की पाचन शक्ति कम हो जाती है।

अगर आप भी मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हैं तो ठंड के मौसम में इनकी देखभाल से जुड़ी जानकारियां होना आवश्यक

ठंड के मौसम में मछली पलकों को कई बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। ठंड के मौसम में मछलियां तैरना कम कर देती हैं। कई बार मछलियां पानी की सतह के नीचे या कीचड़ में छिप जाती हैं। ऐसे में मछलियों के मरने की संभावना अधिक हो जाती है।

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  • तालाब में पानी की मात्रा कम न होने दें।
  • अन्य मौसम में तालाब में यदि 4-5 फिट पानी रहता है तो ठंड के मौसम में पानी 7 से 8 फिट तक रखें।
  • पानी के तापमान को ठंडा होने से बचाने के लिए प्रति दिन बोरिंग के पानी को तालाब में डालने का प्रयास करें।
  • ठंड के मौसम में मछलियों को सामान्य से कम मात्रा में भोजन देना चाहिए।
  • प्रति किलोग्राम मछली को केवल 20 ग्राम हो भोजन देना चाहिए।
  • पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रति एकड़ तालाब में बालू में 400 ग्राम मृदा प्रोबायोटिक्स एवं 10 किलोग्राम सेजियोलाइट मिला कर प्रयोग करें।
  • 15 दिनों के अंतराल पर तालाब में चूने का प्रयोग करें।
  • मृत एवं बीमार मछलियों को तालाब से बाहर निकालें। इससे अन्य मछलियां प्रभावित नहीं होंगी।

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मछलियों को बीमारी से बचाने के लिए क्या करें

ठंड के मौसम में मछलियों में कई तरह के संक्रमण हो सकते हैं। इसमें मछलियों को पारासाइटिक संक्रमण एवं फफूंद से होने वाले संक्रमण आम है। मछली पालक मछलियों को इन संक्रमण से बचाव के लिए तालाब में 40-50 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक का घोल बनाकर छिड़काव करें। अथवा वी.के.सी. 80 दवा 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से घोलकर छिड़काव करें।

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ठंड के मौसम में मछली पालकों को क्या नहीं करना चाहिए

जो किसान तालाब में मछली पालन कर रहे हैं उन किसानों को तापमान अधिक गिरने एवं अधिक कोहरा होने की स्थिति में तालाब में किसी तरह का काम यानि की पूरक आहार, चूना, खाद, गोबर, दवा इत्यादि का छिड़काव नहीं करना चाहिए।

जब सामान्य ठंड की स्थिति हो यानि की बहुत अधिक ठंड ना पड़ रही हो उस समय मछली पालकों को तालाब में प्राकृतिक आहार की उपलब्धता तालाब में बढ़ाने के लिए प्रति एकड़ प्रत्येक 10 से 15 दिनों के अंतराल पर 15 किलोग्राम चुना, 15 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 5 किलोग्राम मिनरल मिक्सचर एवं 50 किलोग्राम सरसों या राई की खली (पानी में फूला कर) घोलकर तालाब मे छिड़काव करना चाहिए।


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