सरसों की फसल में मरगोजा रोग- समय पर करें उपाय, नहीं हो सकती है फसल बर्बाद
सरसों की फसल में पिछले काफी समय से मरगोजा जैसी खतरनाक बीमारी बढ़ रही है। समय पर सही उपचार न करने पर आपकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो सकती है। जाने क्या हो सकता है समाधान
सरसों की फसल में मरगोजा रोग से बचने के लिए फसल चक्र का अपनाना बहुत जरूरी है। इससे इस रोग फसल को बचाया जा सकता है। सरसों की फसल में पिछले काफी समय से मरगोजा जैसी खतरनाक बीमारी बढ़ रही है। समय पर सही उपचार न करने पर आपकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो सकती है। जाने क्या हो सकता है समाधान
बता दे की रेतीली मिट्टी में यह बीमारी का ज्यादा प्रकोप देखने को मिलता है। क्योंकि वहां पर नमी की प्रचुर मात्रा नहीं होती है। इस समय सरसों की फसल में मरगोजा से निपटना किसानों के लिए चुनौती बनी हुई है।
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रबी फसल के सीजन में किसानों को सरसों की फसल बुआई के साथ ही मरगोजा का डर सताने लगता है, क्योंकि मरगोजा नामक यह परजीवी सरसों की पैदावार को काफी हद तक कम कर देता है। सरसों की फसल अक्टूबर माह में बोई जाती है जबकि रुखड़ी (मरगोजा) का पता जनवरी में जाकर पता चलता है।
तब तक काफी देर हो चुकी होती है तथा मरगोजा सरसों के पौधे को पूरी तरह से अपने आगोश में लेकर उसकी वृद्धि को रोक देता है। इस कारण किसान की मेहनत पर न सिर्फ पानी फिर जाता है बल्कि फसल की बुआई से कटाई तक लेकर आर्थिक तौर पर किसान को नुकसान झेलना पड़ता है।
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15 मन तक गिर जाती है पैदावार
आमतौर पर यह माना जाता है कि मौसम फसल के माफिक हो तो सरसों की पैदावार 20 मन प्रति एकड़ होती है। लेकिन जब सरसों की फसल मरगोजा की चपेट में आती है तो पैदावार गिरकर पांच मन तक आ जाती है। बहल क्षेत्र में करीब छह-सात साल पहले इस बीमारी का पता चला था। तब से यह किसानों के लिए नासूर बनी हुई थी। इससे पहले किसानों को यही सलाह दी जाती कि फसल चक्र को बदलकर ही इससे पीछा छुड़वाया जा सकता है। कुछ किसानों ने इसे खेत से उखाड़ने तथा इसके बीजों को चुन चुनकर खेतों से दूर ले जाकर जलाने की कोशिश की परंतु उन्हें कामयाबी नहीं मिली।
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केवल दो स्प्रे में पूरा निदान
- पहला स्प्रे सरसों की बिजाई के 25 से 30 दिन बाद 25 एमएल गलाइफोसेट दवा को 120 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें।
- दूसरा स्प्रे तब किया जाना चाहिए जब सरसों की फसल 55 से 60 दिन की हो जाए। तब 50 एमएल गलाइफोसेट दवा को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। स्प्रे लेटफैन नोजल से किया जाना चाहिए तथा स्प्रे के समय मौसम बिल्कुल साफ होना चाहिए। इसके अलावा खेत में नमी तो हो परंतु पौधे सूखे होने चाहिए। इस पर किसी प्रकार की नमी या ओस की बूंद नहीं हो। वैज्ञानिकों का दावा है कि लगातार दो सीजन के इन दो स्प्रे में मरगोजा की समस्या से 90 प्रतिशत तक छुटकारा मिल सकता है।
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