बेहतर उपज और अधिक लाभ के लिए दिसंबर माह में करें ये कृषि कार्य
किसानों को हर महीने किए जाने वाले कृषि कार्यों की जानकारी होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सही समय पर सही कार्य कर सकें। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए आज हम दिसंबर में किए जाने वाले कृषि कार्यों पर चर्चा करेंगे, जिससे किसानों को फायदा होगा।
दिसंबर माह में करें ये कृषि कार्य: बेहतर फसल पैदावार के लिए समय पर देखभाल महत्वपूर्ण है। तभी किसान अपनी फसलों से अच्छी पैदावार और उच्च गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं। आवश्यकतानुसार सिंचाई, निराई-गुड़ाई एवं फसलों को रोगों से बचाना आवश्यक है। किसानों के लिए सही समय पर सही कार्य करने के लिए मासिक कृषि कार्यों की जानकारी होना महत्वपूर्ण है। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए आज हम दिसंबर में होने वाले उन कृषि कार्यों पर चर्चा करेंगे जिनसे किसानों को फायदा होगा।
गेहूँ
- अधिकतम उत्पादन के लिए गेहूं की बची हुई बुआई इसी माह पूरी करें। देर से बुआई करने से विकास एवं कल्ले निकलने में कमी आती है। यूपी-2425 किस्म के लिए 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या 150 किलोग्राम बीज दर का प्रयोग करें। हल के पीछे कतारों में बुआई के लिए नाली या उर्वरक ड्रिल का प्रयोग करें।
- व्हीटग्रास और जंगली जई को नियंत्रित करने के लिए पहली सिंचाई के बाद सल्फोसल्फ्यूरॉन या सल्फ्यूरॉन मिथाइल के मिश्रण का छिड़काव करें। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए दो, चार, डी. सोडियम नमक लगभग 625 ग्राम प्रति हेक्टेयर को 500-600 लीटर पानी में घोलकर, बुआई के 20-25 दिन बाद फ्लैट फैन नोजल का उपयोग करके प्रयोग करें।
चना
- चने की फसल में बुआई के 45 से 60 दिन बाद तथा उसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। नियमित रूप से खरपतवार को ट्रॉवेल से हटाया या गाड़ दें। मैंकोजेब का छिड़काव कर झुलसा रोग की रोकथाम करें। समय-समय पर खर-पतवारों को ट्रॉवेल से या गाड़कर हटाते रहें।
- चने में झुलसा रोग की रोकथाम के लिए 2.0 किलोग्राम मैंकोजेब (मैन्कोजेब 75 प्रतिशत 50 डब्ल्यूपी) को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.
- इन उपायों से बेहतर फसल प्रबंधन और गेहूं और चने की फसल की अधिक पैदावार में मदद मिलेगी।
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आलू
- आलू की हर 10-15 दिन में सिंचाई करें और पाले से बचाएं। मैकोजेब और फॉस्फामिडान का छिड़काव करके झुलसा और एफिड रोग पर नियंत्रण रखें। पाले से बचाने के लिए खेत में धुआं कर दें।
- आलू में झुलसा एवं माहू रोग का प्रकोप दिखाई दें तो इसके नियंत्रण के लिए मैकोजेब 2 ग्राम तथा फास्फेमिडान 0.6 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10-12 दिन के अंतर पर 2-3 छिडक़ाव करें।
मटर
सब्जी मटर में फूल आने से पहले हल्की सिंचाई करें। फली बनते समय दूसरी सिंचाई करें।
प्याज
प्याज की रोपाई का समय हो गया है। रोपाई के लिए 7-8 सप्ताह पुरानी प्याज की पौध का उपयोग करें और रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
टमाटर
इस अवधि के दौरान ग्रीष्मकालीन टमाटर की फसल के लिए नर्सरी तैयार करें और बीज बोएं। झुलसा रोग के प्रकोप की स्थिति में मैकोजेब 0.2 प्रतिशत या 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर प्रभावित टमाटर की फसल पर छिड़काव करें।
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मिर्च
- मिर्च की खेती में खरपतवार नियंत्रण और मल्चिंग के लिए डोरा कोलपा का प्रयोग करें।
- मिर्च में वायरस वाहक कीटों थ्रिप्स एफिड माइट्स सफेद मक्खी का समय पर नियंत्रण करें। इसके लिए कीट की सतत निगरानी कर तथा संख्या के आधार पर डाईमिथएट की 2 मि.ली. मात्रा 1 पानी मिलकर छिडक़ाव करें। अधिक प्रकोप की स्थिति में थायमेथाइसम 25 डब्लू जी की 5 ग्राम मात्रा 15 ली. पानी में मिलकर छिडक़ाव करें।
- टमाटर की तरह ही मिर्च में भी झुलसा रोग का प्रकोप रहता है। इससे बचाव के लिए मैकोजेब 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) का छिडक़ाव करें।
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