गेहूं की बिजाई: अधिकतम उपज के लिए गेहूं की अगेती किस्मों की बुआई का सर्वोत्तम समय

जाने गेहूं बोने का सबसे अच्छा समय कब है?

गेहूं की बिजाई: गेहूं एक खाद्यान्न फसल है, जो भार के साथ-साथ दुनिया भर में भोजन की आपूर्ति करती है। भारत को गेहूं का बड़ा उत्पादक देश कहा जाता है। यहाँ गेहूँ की खेती के साथ-साथ गेहूँ का निर्यात भी किया जाता है। यही कारण है कि किसानों को इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए अगेती खेती करने की सलाह दी जाती है।

गेहूं की अगेती किस्मों की बुआई

गेहूं की अगेती किस्मों की बुआई के लिए अब यह सही मौसम है और किसान इस समय सीमा के दौरान बुआई करके भरपूर फसल की उम्मीद कर सकते हैं। हालाँकि, सफलता के लिए बुआई से पहले बीज उपचार भी उतना ही महत्वपूर्ण है। गेहूं की अधिक उपज प्राप्त करना सही बीज का चयन करने और उन्हें सही समय पर बोने पर निर्भर करता है। अनुकूल मौसम की स्थिति और उचित बुआई तकनीक भी गेहूं उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

गेहूं बोने का सबसे अच्छा समय कब है?

किसानों की सुविधा के लिए कृषि विशेषज्ञों ने गेहूं की बुआई प्रक्रिया को तीन चरणों में वर्गीकृत किया है। इनमें से प्रत्येक चरण के दौरान उचित बीज उपचार के साथ बुआई करने की सलाह दी जाती है। रोपण के समय मिट्टी में पर्याप्त नमी सुनिश्चित करना और तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास बनाए रखना अनिवार्य है। बुआई के तीन चरण इस प्रकार हैं: पहला चरण 25 अक्टूबर से 10 नवंबर तक, दूसरा चरण 11 नवंबर से 25 नवंबर तक और तीसरा चरण 26 नवंबर से 25 दिसंबर तक।

गेहूं की बुआई आमतौर पर अक्टूबर में शुरू होती है और नवंबर तक चलती है। सावधानीपूर्वक सही बीज का चयन करके, खेतों को पर्याप्त रूप से तैयार करके और उचित रोपण तकनीकों का पालन करके, किसान पर्याप्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं। बीज चयन के अलावा, रोपण के समय पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

बुआई से पहले बीजोपचार आवश्यक, बीज उपचार महत्वपूर्ण है

इस अवधि के दौरान गेहूं की अगेती किस्मों की बुआई करने से उत्कृष्ट पैदावार की संभावना होती है। फिर भी बुआई से पहले बीजोपचार आवश्यक है। गेहूं की सफल फसल प्राप्त करने के लिए उपयुक्त बीज का चयन करना और सही समय पर रोपण करना मौलिक है। आदर्श मौसम की स्थिति और सटीक बुआई पद्धतियों से गेहूं का उत्पादन बढ़ता है। किसानों की सहायता के लिए, कृषि विशेषज्ञों ने गेहूं रोपण प्रक्रिया को तीन अलग-अलग चरणों में विभाजित किया है। इनमें से प्रत्येक चरण के दौरान उचित बीज उपचार लागू करने की सिफारिश की जाती है। मिट्टी में पर्याप्त नमी और 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान आवश्यक है।

बोआई से पहले गेहूं के बीज का उपचार करने के महत्व पर जोर देते हैं। बीज जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों को बावस्टिन एवं बीटावैक्स 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करना आवश्यक है। इसके अलावा, दीमक से बचाव के लिए बीजों को 1.5 मिली प्रति किलोग्राम की दर से क्लोरपाइरीफोस से उपचारित करना चाहिए।

प्रभावी क्षेत्र की तैयारी

गेहूं की सफल बुआई के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना प्रारंभिक कदम है। बीज का अंकुरण इष्टतम तापमान स्थितियों में होता है। हैप्पी सीडर और सुपर सीडर जैसे आधुनिक कृषि उपकरण किसानों को गेहूं बोने में काफी मदद कर सकते हैं। ये मशीनें सुनिश्चित करती हैं कि बीज सही गहराई पर सही मात्रा में वितरित हों, जो उचित अंकुरण के लिए महत्वपूर्ण है।

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