Soyabean Ki Kheti: सोयाबीन की खेती करने वाले किसान 20 अगस्त तक करें यह काम, विशेषज्ञ सलाह
किसान सोयाबीन की अच्छी पैदावार प्राप्त कर अधिक मुनाफा कमा सके इसके लिए सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा किसानों के लिए साप्ताहिक सलाह जारी की गई है। किसान इसका अनुसरण करके कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
Soyabean Ki Kheti इस वर्ष देश में सोयाबीन की बुआई के एकड़ में वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि विभाग द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार 11 अगस्त तक 123.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल लगाई गई है। ऐसे में किसान सोयाबीन की अच्छी पैदावार प्राप्त कर अधिक मुनाफा कमा सके इसके लिए सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा किसानों के लिए साप्ताहिक सलाह जारी की गई है। किसान इसका अनुसरण करके कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (Soybean Research Institute) के द्वारा जारी सलाह में किसानों को अपनी फसल की निरंतर निगरानी करने तथा किसी भी कीट या बीमारी के लक्षण दिखने पर अनुशंसित उपाय अपनाने को कहा गया है, ताकि किसान समय पर फसलों को कीट रोगों से बचाकर फसल को होने वाले नुक़सान से बचा सके। जारी सलाह में कहा गया है कि कुछ क्षेत्रों में फफूंदजनित रोगों के साथ–साथ इल्लियों द्वारा फूलों को खाने के समाचार प्राप्त हुए हैं, अत: कीट एवं रोगों से फसल की सुरक्षा हेतु अनुशंसित कीटनाशकों/ फफूंदनाशकों का छिड़काव करें। भले ही सोयाबीन फसल फूल आने की अवस्था में हो।
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जाने सोयाबीन फसल को चूहे से कैसे बचाएँ?
जहां पर कम समयावधि में पकने वाली किस्में लगी हैं, कृषकों को सलाह दी गई है कि चूहों द्वारा फलियों के अंदर दाने खाने से होने वाले नुकसान से बचाने हेतु प्रबंधन के उपाय अपनायें। इसके लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005% रसायन से बने प्रति हेक्टेयर 15 से 20 बेट/हे. बनाकर चूहों के छेदों के पास रखें।
ऐसे किसान जो अगले वर्ष के लिए उपयोगी सोयाबीन बीज का बीजोत्पादन कर रहे हैं, शुद्धता बनाए रखने के लिए फूलों के रंग एवं पौधों/पत्तियों/तने पर पाए जाने वाले रोये के अधर पर भिन्न किस्मों के पौधों को अपने खेत से बहार कर दें।
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पत्ती खाने वाले कीटों और तना मक्खी का नियंत्रण कैसे करें?
मध्य प्रदेश (Madhy pradesh) के कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन फसल पर इस वर्ष “कॉटन ग्रे वीविल” नामक कीट का प्रकोप देखा जा रहा है, जो पत्तियों को किनारों से कुतर कर खाता हैं, इसी प्रकार इस वर्ष टस्क मोथ नामक कीट का भी प्रकोप देखा जा रहा है, यह भी एक पर्णभक्षी कीट है, जो पत्तियों को खाता है।
कुछ जिले (धार, इंदौर, शाजापुर, देवास) में सोयाबीन का रस चूसने वाले “जेवेल बग” नामक कीड़े को कुछ क्षेत्रों में देखा जा रहा है, जो कि कभी–कभार ही देखा जाता है। अधिक प्रकोप होने पर इसके नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि पुर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली./हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.88 ई.सी.(333 मि.ली.) का छिड़काव करें। तना मक्खी के नियंत्रण के लिए भी इन्हीं रसायनों का उपयोग करें।
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इस तरह करें चक्र भृंग कीट का नियंत्रण
चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि प्रारंभिक अवस्था में ही आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/W.DC (10% W/V) DC (600 मिली./हे.) या एसीटेमीप्रिड 25% + बायफेंथ्रिन 25% WG (250 ग्राम/हे.) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250–300 मिली/हे.) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी.(750 मिली./हे.) या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1 ली./हे.) या इमामेकटीन बेंजोएट (425 मिली/है) या क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. 18.50% SC का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।
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सोयाबीन की पत्ती खाने वाली इल्लियों का नियंत्रण ऐसे करें
जहां पर तीनों प्रकार की पत्ती खाने वाली इल्लियाँ हो, इनके एक साथ नियंत्रण के लिए निम्नलिखित में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें। क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30% + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60% ZC (200 मिली/हे सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) का छिड़काव करें इनसे पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ साथ फूल खाने वाली इल्लियों का नियंत्रण हो सकेगा।
जहाँ पर एक साथ पत्ती खाने वाले इल्लियों (सेमीलूपर / तम्बाकू / चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी / एफिड एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी / चक्र भृंग) प्रकोप हो, इनके नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड. सी. या थायोमीथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड. सी. (125 मिली./हे) या बीटासायफलुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे) का छिड़काव करें।
फफूँदजनित रोगों का नियंत्रण ऐसे करें
किसानों को सलाह दी गई है कि फफूंदजनित रोगों के प्रकोप से सुरक्षा हेतु अपनी फसल पर सुरक्षात्मक रूप से टेबुकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे) या टेबुकोनाझोल 10% + सल्फर 65 % WG (1250 ग्राम/हे) या कार्बेनडाजिम + मेन्कोजेब 63% WP (1250 ग्राम/हे) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% w/w SC (400 मिली/हे) या फ्लुक्सापयोक्साड 167 g/l + पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC (300 ग्राम/हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l + इपिक्साकोनाजोल 50 g/l SE (750 मिली/हे) या में से किसी एक अनुशंसित फफूंदनाशकों का तुरंत छिडकाव करें। इससे एंथ्राक्रोज, रायजोक्तोनिया एरियल ब्लाईट जैसे फफूंदजनित रोगों का नियंत्रण हो सकेगा।
किसान इस तरह से भी कीट रोगों पर नियंत्रण कर सकते हैं
- अपने खेत की नियमित निगरानी करें एवं खेत में जाकर 3 से 4 स्थानों के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली-कीट का प्रकोप हुआ है या नहीं और यदि हैं तो कीड़ों की अवस्था क्या है? तदनुसार उनके नियंत्रण के उपाय अपनायें।
- सोयाबीन की फसल घनी होने पर चक्र भृंग का प्रकोप अधिक होने की सम्भावना होती है, इसके लिए प्रारंभिक अवस्था में ही एक (एक सप्ताह के अंदर) दो रिंग दिखाई देने वाली एसी मुरझाई / लटकी हुई ग्रसित पत्तियों को तने से तोड़कर जला दें या खेत से बाहर करें।
- अपने खेत की नियमित निगरानी करें एवं खेत में जाकर 3 से 4 स्थानों के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली /कीट का प्रकोप हुआ है या नहीं और यदि हैं तो कीड़ों की अवस्था क्या है? तदनुसार उनके नियंत्रण के उपाय अपनायें।
- जिन रसायनों (कीटनाशकों/ खरपतवारनाशक/ फफूंदनाशक) के मिश्रित उपयोग की वैज्ञानिक अनुशंसा का पूर्व अनुभव नहीं है, ऐसे मिश्रण का उपयोग कदापि नहीं करें, इससे फसल को नुकसान हो सकता है।
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