बारिश के मौसम में खेती: कम बजट में बंपर पैदावार के लिए खेती के लिए 5 लाभदायक फसलें
मानसून की बारिश का दौर जारी है। ऐसे में किसान कम लागत पर फसलों की खेती (बारिश के मौसम में खेती) करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जिन किसानों के खेत में तालाब है वे इस समय बारिश का जल संचय करके इससे अच्छा लाभ उठा सकते हैं।
मानसून की बारिश का दौर जारी है। ऐसे में किसान कम लागत पर फसलों की खेती (बारिश के मौसम में खेती) करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जिन किसानों के खेत में तालाब है वे इस समय बारिश का जल संचय करके इससे अच्छा लाभ उठा सकते हैं। बारिश के मौसम में कई प्रकार की फसलों का उत्पादन करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। बारिश के मौसम में कई फलदार पौधे भी लगाए जाते हैं जिसमें अनार, अमरूद, आंवला, लीची, कटहल, अंगूर सहित नींबू वर्गीय पौधों का रोपण किया जा सकता है। लेकिन हम यहां केवल 5 ऐसे चुनिंदा फसलों की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिनसे आप कम लागत में भी काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। आइए जानते हैं इस लेख के माध्यम से इन 5 लाभकारी फसलों की खेती के बारे में।
कमल ककड़ी की खेती
कमल के फूल के बारे में आप लोग जानते ही होंगे। इस पौधे के तने को ही कमल ककड़ी कहा जाता है। भारत में इसकी सब्जी बनाकर तो खाई जाती ही है साथ ही इसका अचार भी बनाया जाता है। इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी हैं। Kamal Kakdi की खेती साल में तीन बार की जाती है, बहुत सारे किसान अपने खेत में तालाब बनाकर इसके बीज की बुआई करते है। कमल ककड़ी की पैदावार की बात की जाए तो, एक एकड़ में तकरीबन 50 – 60 क्विंटल कमल ककड़ी का उत्पादन आसानी से संभव है।इसमें बरसात में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है, क्योंकि कमल ककड़ी को भी अधिक पानी की आवश्यकता होती है। किसान अपने खेत में तालाब बनाकर इसके बीज की बुआई कर सकते है।
जामुन की खेती
जामुन के नए बाग लगाने के लिए जून, जुलाई और अगस्त का महीना सबसे अच्छा होता है। कई औषधीय गुणों से भरपूर इसके फल गहरे बैंगनी रंग के होते हैं। आजकल बाजार में जामुन (Blackberry) की अच्छी कीमत मिलने के कारण कृषि वैज्ञानिक इसकी खेती के लिए किसानों को सलाह दे रहे हैं। इन दिनों जामुन का दाम सेब, संतरा और आम से अधिक मिल रहा है। इसकी कीमत 200 रुपये प्रति किलो तक मिल रही है, इसलिए इसका बागान लगाने पर किसानों को फायदा हो सकता है। वरिष्ठ फल वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह ने टीवी-9 डिजिटल के जरिए किसानों को इसकी खेती का तरीका बताया। जामुन न सिर्फ खाने वालों की सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है बल्कि इसकी खेती करने वालों की आर्थिक सेहत भी सुधार देता है, हालांकि जामुन के पेड़ में करीब 8 साल पूर्ण होने पर फल आने शुरू हो जाते हैं। इसके एक पौधे से 80 से 90 किलो तक जामुन प्राप्त हो जाते हैं। जबकि एक हेक्टेयर में इसके करीब 250 से अधिक पौधों का रोपण किया जा सकता है।
सिंघाड़ा की खेती
इस फसल के लिए पानी की आवश्यकता रहती है इसलिए मानसून के समय इसके लिए एकदम बेहतर समय माना जाता है। मॉनसून की बारिश के साथ ही सिघाड़े की बुआई शुरू हो जाती है। जून-जुलाई में सिंघाड़ा बोया जाता है। आमतौर पर छोटे तालाबों, पोखरों में सिंघाड़े का बीच बोया जाता है लेकिन मिट्टी के खेतों में गड्ढे बनाकर उसमें पानी भरके भी पौधों की रोपाई की जाती है। जून से दिसंबर यानी 6 महीने की सिंघाड़े की फसल से बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है। जून से दिसंबर यानी 6 महीने की सिंघाड़े की फसल से काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। आप इसकी पौध सरकारी या प्राइवेट नर्सरी से भी लेकर आ सकते हैं। बाजार में सिंघाड़े के अच्छे भाव मिल जाते हैं। इसके अलावा सूखे सिंघाड़े का आटा भी बाजार में बेचा जाता है।
मशरूम की खेती
आपने बरसात के मौसम में जगह-जगह पर छतरीनुमा छत्रक की आकृति के पौधे देखें होंगे जिसे बच्चे सांप की छतरी भी कहते हैं। ये छत्रक मशरूम कहलाते हैं। इनकी कई प्रजातियां जहरीली होने के कारण खाने लायक नहीं होती है, जबकि इनकी कुछ प्रजातियां खाने के काम आती है। जिनमें बटन मशरूम, दूधिया मशरूम आदि है। किसान इन मशरूम की खेती करके भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। बारिश के मौसम में मशरूम तेजी से उगता है। इस मौसम में चावल के पुआल पर इसे उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए किसी बड़ी जगह की जरूरत नहीं पड़ती है। इसे छह बाई छह के एक कमरे में भी उगाया जा सकता है। बेशर्त हैं कि कमरे में सूर्य का प्रकाश आना चाहिए। इसके लिए 15 से 22 डिग्री सेल्सियम तापमान की आवश्यकता होती है। भारतीय बाजार में मशरूम की खेती से लगभग 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक शुरू करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। बड़े-बडे माल्स और बाजार में मशरूम की कीमत करीब 250 से 300 रुपए किलो तक है। बता दें मशरूम को सब्जी बनाकर खाने के अलावा इसका उपयोग बॉडी बिल्डिंग के उत्पाद (पाउडर) बनाने के काम में भी आता है।
अनार की खेती
बारिश में किसान अनार का बाग भी लगा सकते हैं। इसके रोपण के लिए बरसात का मौसम अच्छा रहता है। अनार की खेती के लिए गहरी बलुई दोमट भूमि सबसे अच्छी मानी जाती है। लेकिन क्षारीय भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है। इतना ही नहीं लवणीय पानी से सिंचाई करके भी अनार की अच्छी पैदावार ली जा सकती है। इसके पौधों के लिए बूंद-बूंद सिंचाई का उपयोग करना अच्छा माना जाता है। अनार का पौधे 120 से 130 दिनों बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। बाजार में इसके अच्छे भाव मिल जाते हैं। अनार को कच्चा तो खाया ही जाता है। इसका ज्यूस भी सेहत के लिए काफी अच्छा होता है।
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