नीम का जैविक खेती में उपयोग एवं महत्व…
नीम पदार्थ से पूरी की पूरी दवा घोलकर बाहर निकालने के लिए निम्न तरिके...
नीम का वृक्ष प्रकृति का अनुपम उपहार हैं। नीम से तैयार किये गए उत्पादों का कीट नियंत्रण अनोखा हैं, इस कारण नीम से बनाई गई दवा विश्व में सबसे अच्छी कीट नियंत्रण दवा मानी जाती हैं। लेकिन इसके उपयोग को लोग अब भूल रहे हैं। इसका फायदा अब बड़ी-बड़ी कम्पनिया उठा रही हैं ये कम्पनिया इसकी निम्बोलियों व पत्तियों से बनाई गई कीटनाशक दवाये महंगे दामों पर बेचती हैं।
कीटों को दूर भगाना
इसकी कड़वी गन्ध से सभी जिव दूर भागते हैं। वे कीट जिनकी सुगंध क्षमता बहुत विकसित हो गयी हैं, वे इसको छोड़कर दूर चले जाते हैं जिन पर नीम के रसायन छिड़के गए हों।
जहर के रूप मे
इसके संपर्क में मुलायम त्वचा वाले कीट जैसे चेंपा, तैला, थ्रिप्स, सफेद मक्खी आदि आने पर मर जाते हैं। नीम का मनुष्य जीवन पर जहरीला प्रभाव नहीं पड़ना ही इसको दवाओं के रूप में उच्च स्थान दिलाता हैं। नीम की निम्बोलिया जून से अगस्त तक पक कर गिरती हैं निम्बोली का स्वाद हल्का मीठा होता हैं। पकी निम्बोली में औसतन 23.8% छिलका, 47.5% गूदा, 18.6% कवच, 10.6% गिरी होती हैं। इसकी निम्बोली गिरने पर सड़कर समाप्त हो जाती हैं परन्तु गिरी सफेद गुठली से ढकी होने के कारण लम्बे समय तक सुरक्षित रहती हैं। निम्बोली को तोड़ने पर 55% भाग गुठली के रूप में अलग हो जाता हैं। तथा 45% गिरी के रूप में प्राप्त होता हैं। अच्छे ढंग से संग्रहित की गई गिरी हरे भूरे रंग की होती हैं।
निम्बोली के उपयोगी रसायन
1. एजाडिरेक्टिन
आज कल पुरे विश्व में नीम प्रचलित हैं। भारतीय नीम के एक किलो गिरी में लगभग 5 ग्राम एजाडिरेक्टिन मिलता हैं। यह नीम तेल के रूप में एक प्राकृतिक कीटनाशक है, जो नीम के पेड़ के बीजों से बनाया जाता है। इस जैविक कीटनाशक में पौधों में कई तरह के कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करने की क्षमता होती है।
2. मेलेन्ट्रियाल एवं सेलेनिनि
यह कीटों को पत्ती खाने से रोक देता हैं।
3. निम्बिडीन और निम्बिन
निम्बोली के गूदे में 2% निम्बिन होता हैं। इसमें जीवाणु रोधक गुण होते हैं।
कृषि में नीम तेल के फायदे
1. भूमि में केंचुए के लिए सुरक्षित है नीम तेल
केंचुआ मिट्टी को भुरभुरी बनाकर ऑक्सीजन और पोषकतत्वों के गतिविधियों को बढ़ाता है जो पौधे के लिए अति आवश्यक है। रासायनिक खाद और किटनासक के प्रयोग से मिट्टी में केंचुआ बिलिन होते जा रहे हैं और जमीन धीरे धीरे बंजर हो रहा है।
2. मच्छरों को दूर भगाये
मच्छरों का समस्या ज्यादातर बैकयार्ड फार्मिंग और इंडोर गार्डनिंग करने में दिखाई देता है।
नीम आयल ऑर्गेनिक पेस्टिसाइड का नियमित प्रयोग से मच्छरों से आसानी से छुटकारा मिल जाता है।
3. फसल उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं
- पारंपरिक रासायनिक दवाओं का असर फसल में कुछ अवधि जैसे एक सप्ताह, 10 दिन, 15 दिनों तक रहता है। कुछ अंतप्रवाही रासायनिक दवाओं का असर एक से डेढ़ महीने तक रहता है।
- अर्थात इन दवाओं के प्रयोग से बताये गए अवधि के भीतर किसी भी फसल का उत्पादन लेना नहीं चाहिए।
- परंतु निम आयल पेस्टिसाइड से फसल के ऊपर कोई भी दुस्प्रभाब नही पड़ता है। अतः आप अपने फसल में किसी भी समय निम आयल पेस्टिसाइड का प्रयोग कर सकते हैं तथा फसल का उत्पादन भी सुरक्षित रूप से ले सकते हैं।
4. पर्यावरण और वातावरण के दृष्टिकोण से सुरक्षित
- रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग करने के पश्चात इनका अपघटन(Degradation) पूर्ण रूप से नही हो पाता है या होने में काफी समय लगता है, जिसके कारण हमारे फसल में इन रसायनों का अवशेष बच जाता है।
- यह बाद में मिट्टी, हवा, पानी को प्रदूषित करने में अहम भूमिका निभाता है।
- जबकि निम आयल आधारित जैविक कीटनाशक प्रकाश और पानी के संपर्क में आने पर 100 घंटों के भीतर अपघटित होकर वातावरण में घुल जाता है।
- जो चीज़ अपघटित होकर बातावरण में मिल जाता है, वह पर्यावरण के प्रति बिल्कुल सुरक्षित होता है उसका कोई दुस्प्रभाब दिखाई नहीं देता है।
5. औषधीय फसलों की खेती में लाभदायक
- औषधीय पौधों की खेती जैसे तुलसी, सतावर, अश्वगंधा,स्टीविया, मुलेठी, चंदन इत्यादि में रासायनिक कीटनाशक दवा और उर्वरक प्रयोग का काफी दुष्प्रभाव देखा गया है। यह फसल के औषधीय गुण और गुणवत्ता में प्रभाव डालता है।
- इसी कारण से औषधीय फसलों की खेती में कीट नियंत्रण के लिए नीम ऑयल का प्रयोग होता है। क्योंकि यह बायोडिग्रेडेबल होने के कारण फसल में इसका कोई अवशेष बचता नहीं है।
नीम पदार्थ से पूरी की पूरी दवा घोलकर बाहर निकालने के लिए निम्न तरिके अपनाये-
- बीज, गिरी को बहुत महीन पीसकर रात भर पानी में भीगने दे। अगले दिन सुबह इसको खूब मथकर पतले कपडे से छान ले। छानने से बचे पदार्थ में फिर पानी मिलाकर मथकर पुनः छानें। ऐसा करने से पदार्थ में उपस्थित पूरा का पूरा कीटनाशक बाहर निकल आता हैं।
- इसका दूसरा तरीका यह है की बीज की गिरी या खली भिगोयें। इसको कपडे के झोले में भरकर एक बड़े पानी से भरे बर्तन में बार- बार १५ मिनट तक खूब झकझोरें और निचोड़े, इससे पूरी दवा पानी में आ जाएगी।
पत्ती को पीसकर
यदि नीम का तेल, बीज, गिरी या खली न उपलब्ध हो तो नीम की 3-4 किलो ताजी पत्तियों को पीसकर 10 लीटर पानी में घोल कर छान लें। यह घोल फसल पर छिड़कने से फसल की अनेक प्रकार के कीड़ो से रक्षा होती हैं।
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