किसानो को नकली बीजों से नहीं होगा फसलों को नुकसान, मिनटों में मालूम हो जाएगा बीज नकली है या असली 

सरकार ने शुरू किया पोर्टल एवं मोबाइल ऐप

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा -कृष‍ि क्षेत्र की ग्रोथ को प्रभाव‍ित करते हैं नकली बीज, किसानों का होता है नुकसान। देश के कृषि उत्पादन में पड़ता है फर्क ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे नकली बीजों की पहचान हो सके, असली बीज  किसान तक पहुंचें।

बीज उत्पादन की चुनौतियों से निपटने, असली-नकली बीजों की पहचान और सीड सर्ट‍िफ‍िकेशन के लिए बनाए गए साथी पोर्टल और मोबाइल ऐप्लीकेशन की मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुरुआत की।

नकली बीज से होता है नुकसान

इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि में बीज, कीटनाशक, उर्वरक और सिंचाई की प्रमुख भूमिका रहती है।  नकली बीज कृषि की ग्रोथ को प्रभावित करता है। इससे किसानों का नुकसान होता है, देश के कृषि उत्पादन में भी बड़ा फर्क आता है। समय-समय पर यह बात आती रही है कि हमें ऐसी व्यवस्था बनाना चाहिए, जिससे नकली बीजों की पहचान हो सके, असली बीज  किसान तक पहुंचें।, इसके लिए साथी पोर्टल लांच हो गया है। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में सामने आ रहे नए प्रकार के कीट फसलों को प्रभावित कर रहे हैं, जिस पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को अपना रिसर्च बढ़ाना चाहिए। यदि हम यह नुकसान बचाने में सफल हो गए तो पूरे कृषि उत्पादन का 20 फीसदी बचा सकते हैं।

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पहला फेज अभी शुरू, जल्‍द दूसरा फेज होगा शुरू

कृषि मंत्री ने कहा कि ‘साथी’ पोर्टल का पहला फेज अभी शुरू किया गया है। उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दूसरे चरण में ज्यादा समय न लगे। उन्होंने कहा कि जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जाएं ताकि किसानों को इसका पूरा लाभ मिल सके।

उन्‍होंने कहा कि भारत के लिए कृषि का बहुत अहम है और बदलते परिदृश्य में इसका महत्व बढ़ गया है। पहले हमारा मकसद केवल कृषि में अपनी जरूरतों को पूरा करना था, लेकिन अब दुनिया की उम्मीदें भी भारत से बढ़ रही हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि दुनिया की तमाम चुनौतियों से निपटते हुए हम पेट भरने में मदद करें। तोमर ने कहा कि बीज, कीटनाशक, उर्वरक और सिंचाई कृषि में अहम रोल निभाते हैं।

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बीज को किया जा सकेगा ट्रेस

इस सिस्टम के अंतर्गत QR code होगा, जिससे बीज को ट्रेस किया जा सकेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि विज्ञान केंद्रों, राज्य सरकारों के माध्यम से इस संबंध में ट्रेनिंग दी जाएगी। कृषि मंत्री ने सीड ट्रेसेबिलिटी सिस्टम से सभी राज्यों को जुड़ने का आग्रह किया।

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क्या करेगा साथी पोर्टल

बीजों की पहचान एवं प्रामाणिकता के लिए तैयार किया गया साथी पोर्टल बीजों की गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली सुनिश्चित करेगा, बीज उत्पादन श्रृंखला में बीज के स्रोत की पहचान करेगा। इस प्रणाली में बीजश्रृंखला के एकीकृत 7 वर्टिकल शामिल होंगे-अनुसंधान संगठन, बीज प्रमाणीकरण, बीज लाइसेंसिंग, बीज सूची, डीलर से किसान को बिक्री, किसान पंजीकरण और बीज डीबीटी। वैध प्रमाणीकरण वाले बीज केवल वैध लाइसेंस प्राप्त डीलरों द्वारा केंद्रीय रूप से पंजीकृत किसानों को बेचे जा सकते हैं जो सीधे अपने पूर्व-मान्य बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।


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