फूलों की खेती किसानो के लिए फायदे का सौदा , किसान कर सकते है लाखों की कमाई 

किसान यदि फूलो की खेती करते हैं तो वे वार्षिक आमदनी 1 से 2 लाख तक बढ़ा सकते हैं।

खुबसूरत साज सज्जा में इस्तेमाल किये जाने वाले फूलों की खेती करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है। इतना ही नहीं किसान फूलों की खेती करने के साथ फूलों के पौधों की नर्सरी लगाकर भी लाखो रूपये कमा सकते है। 

बढ़ती मॅहगाई और पारम्परिक खेती के इस चलन में कृषकों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा की उम्मीद एक सपने जैसा बनता जा रहा है। खासतौर से कम पानी और कम बारिश होने वाले राज्यों में आय दोगुनी होने की संभावना न के बराबर होती जा रही है। खुबसूरत साज सज्जा में इस्तेमाल किये जाने वाले फूलों की खेती करना लाभ का सौदा साबित हो सकता है। 

फूलों के पौधों को तैयार करने की तरीका

मौसमी फूलों के पौधों को अलग-अलग तरीकों से तैयार किया जाता है, कुछ किस्मों को पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है और फिर कई किस्मों के बीजों को सीधे क्यारियों में लगाए जाते हैं। उनके बीज बहुत छोटे हैं। पौधों को उनकी पर्याप्त देखभाल करने के बाद तैयार किया जाता है।

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उपयुक्त भूमि का चुनाव और उसकी तैयारी

फूलों वाले पौधों की रोपाई या बुआई से पहले मिट्टी की भली भांति जुताई कर लें। जुताई के बात खेत को 7 से 10 दिनों तक खुला छोड़ दें।

ऐसी भूमि का चयन करें जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश हों। सिंचाई और जल निकासी के लिए उचित सुविधाएं होनी चाहिए। फूलों की खेती के लिए रेतीली दोमट भूमि सबसे अच्छी है। भूमि लगभग 30 सेमी की गहराई तक खोदें, गोबर की खाद, उर्वरक, आकार के अनुसार मिश्रित करें (1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में 25-30 क्विंटल गोबर की खाद ) और अन्य मौसमों की तुलना में बरसात के मौसम में नर्सरी का ख्याल रखें।

बीजाकरण और रोपाई का विधि 

क्यारियों को आकार के अनुसार समतल कर 5 सेमी की दूरी पर गहरी पंक्तियाँ बनाकर उनमें 1 सेमी की दूरी पर बीज बोयें। बीज बोते समय इस बात का ध्यान रखें कि बीज 1 सेमी से अधिक गहरा नहीं जाना चाहिए । बाद में हल्की परत से ढकें। सुबह शाम हजारे से पानी दें। जब पौध लगभग 15 सेमी ऊँचे हो जायें तब रोपाई करें।

क्यारियों में रोपाई निर्धारित दूरी पर करें। सबसे आगे बौने पौधे 30 सेमी तक ऊँचाई वाले 15-30 सेमी दूरी पर, मध्यम ऊँचाई 30 से 75 सेमी वाले पौधे, 35 सेमी से 45 सेमी तथा लंबे 75 सेमी से अधिक ऊँचाई रखने वाले पौधे 45 सेमी से 50 सेमी की दूरी पर रोपाई करें।

पौधों की देखभाल

  1. वर्षा ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है यदि काफूी समय तक वर्षा न हो तो उस स्थिति में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें । शरद ऋतु में 7-10 दिन एवं ग्रीष्म ऋतु में 4-5 दिन के अंतर पर सिंचाई करें। 
  2. खरपतवार भूमि से नमी और पोषक तत्व लेते रहते हैं जिसके कारण पौधों के विकास और वृद्धि दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अत: उनकी रोकथाम के लिये खुरपी की सहायता से घास-फूस निकालते रहें।
  3. पोषक तत्वों की उचित मात्रा, भूमि, जलवायु और पौधों की किस्म पर निर्भर करता है। सामान्यत: यूरिया- 100 किलोग्राम, सिंगल सुपरफॉस्फेट 200 किलो ग्राम एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 75 किलोग्राम का मिश्रण बनाकर 10 किलोग्राम प्रति 1000 वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिला दें। उर्वरक देते समय ध्यान रहे कि भूमि में पर्याप्त नमी हो।
  4. मौसमी फूलों की उचित बढ़वार और अच्छे फूलों के उत्पादन के लिये तरल खाद बहुत उपयोगी मानी गयी है । गोबर की खाद और पानी का मिश्रण उसमें थोड़ी मात्रा में नाईट्रोजन वाला उर्वरक मिलाकर देने से लाभ होता है।  

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कीटों से सुरक्षा 

जितना पसंद फूल हमे आते है उतना ही कीटो को भी। इस में इन फूलों पर कीट अपना घर बना लेते है और भोजन भी। वो धीरे धीरे सभी पतियों और फुलों को खाना शुरू कर देते है। इस कारण फूल मुरझा जाते है और पोधा भी। इस बचाव के लिए आप कीटनाशक का प्रति सप्ताह 3 से 4 बार याद से छिड़काव करे।इससे कीट जल्दी से फूलों और पोधें से दूर चले जायेंगे।

मौसमी फूलों को उगाने की तकनीक प्रबन्ध

जब हम आर्थिक लाभ के लिए मौसमी फूलों की खेती को लेकर जो भी प्रयोजन करते हैं तो सर्वप्रथम उत्तम कोटि के बीच के साथ-साथ नर्सरी और रोपण-सिंचन के प्रबन्धन पर ध्यान देना उचित और आवश्यक होता है। यही मिट्टी और खाद की गुणवत्ता पर कोई समझौता स्वीकृत नहीं होती। कहने का आशय यह है कि फूलों की खेती के लिए उत्तम बीज, लायक मिट्टी समुचित खाद, नर्सरी गठन, सिंचन की समुचित व्यवस्था और कीटनाशक छिड़काव पर ध्यान देना आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य है। तभी हम फूलों की लाभदायी खेती कर सकेंगे।

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ठण्ड,गर्मी और बारिश में लगाए जाने वाले पौधे

ठण्ड में लगाए जाने पौधे – इन पौधों के बीजों को अगस्त-सितम्बर या पौधशाला में बोयें एवं अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में गमलों या क्यारियों में रोपाई करें। इन पर फूल फरवरी मार्च तक लगते हैं। मुख्य रूप से एस्टर, कार्नफ्लावर, स्वीट सुल्तान, वार्षिक गुलदाउदी, क्लाकिया, लार्कस्पर, कारनेशन, लूपिन, स्टाक, पिटुनिया, फ्लॉक्स, वरवीना, पैंजी आदि के पौधे लगायें ।

बारिश में लगाए जाने पौधे-इन पौधों के बीजों को अप्रैल-मई में पौधशाला में बुवाई करें और जून-जुलाई में इसकी पौध को क्यारियों या गमलों में लगावें । मुख्य रूप से डहेलिया, वॉलसम, जीनिया, वरवीना आदि के पौध रोपित करें।

गर्मी में लगाए जाने पौधे- इन पौधों के बीज दिसम्बर-जनवरी में बोयें एवं फरवरी में लगायें इन पर अप्रैल से जून तक फूल रहते हैं। मुख्य रूप से जीनिया, कोचिया, ग्रोमफ्रीना, एस्टर, गैलार्डिया, वार्षिक गुलदाउदी लगायें।

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कौन सा पौधा कैसे लगाए ?

  1. क्यारियों में लगाने वाला पौधा – एस्टर, वरवीना, फ्लॉस्क, सालविया, पैंजी, स्वीट विलयम, जीनिया।
  2. गमले में लगाने वाला पौधा- गेंदा, कार्नेशन, वरवीना, जीनिया, पैंजी आदि ।
  3. शैल उद्यानों लगाने वाला पौधा- अजरेटम, लाइनेरिया, वरबीना, डाइमार्फोतिका, स्वीट एलाइसम आदि ।
  4. पट्टी, सड़क या रास्ते लगाने वाला पौधा- पिटुनिया, डहेलिया, केंडी टफ्ट आदि ।
  5. लटकाने वाली टोकरियों में लगाने वाला पौधा- स्वीट,लाइसम, वरवीना, पिटुनिया, नस्टरशियम, पोर्तुलाका, टोरोन्सिया
  6. सुगंध के लिये पौधे- स्वीट पी, स्वीट सुल्तान, पिटुनिया, स्टॉक, वरबीना, बॉल फ्लॉक्स ।
  7. बाड़ के लिये पौधे- गुलदाउदी, गेंदा।

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