जाने ठण्ड में कौन सी फसल को फायदा ,कौन सी फसल को नुकसान और क्या करे उपाय
ठंडा मौसम होने से रबी की फसलों को अच्छा फायदा होता है।
ठंड बढ़ने से रबी की फसल को फायदा
ठंडा मौसम होने से रबी की फसलों को अच्छा फायदा होता है। रबी सीजन की फसलें गेंहूं, जौ, चना, सरसों, मटर, पालक, मेथी, धनिया, मूली, गाजर, गोभी आदि फसलें ठंडे मौसम की फसलें हैं। ठन्डे मौसम व कम तापमान से रबी की फसलों में ज्यादा फुटाव व बढ़त होती है। पिछले कुछ दिनों से ठंडी हवाएं चलने से तापमान में आई गिरावट तथा सर्दी बढ़ने के कारण सभी फसलों पर अनुकूल प्रभाव दिखाई देने लगा है। दिसंबर माह के पहले सप्ताह तक तापमान औसत से ज्यादा होने से कम सर्दी के कारण फसलों में फुटाव कम हो रहा था। अब तापमान गिरने से तथा ठंड बढ़ने से गेंहू, जौ, सरसों तथा तिलहनी फसलें व सब्जियां लहराने लगी हैं।
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कौन-कौन सी फसल पर होता है शीतलहर का प्रभाव ?
अधिक ठंड व पाले कई फसलों को नुकसान की संभावना जताई गई है। पत्ते, टहनियां और तने के नष्ट होने से पौधों में अधिक बीमारियां लगने का खतरा रहता है. सब्जियों, पपीता, आम और अमरूद पर पाले का प्रभाव अधिक पड़ता है। टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों पर पाला पड़ने के दिन में ज्यादा नुकसान की आशंका रहती है।
इसे देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसल को अत्यधिक ठंड व पाले से बचाव करें। कृषि जानकारों के अनुसार पाला से कई फसलों को नुकसान होगा जबकि अत्यधिक ठंड गेहूं के लिए लाभदायक होगी। जबकि अरहर, गन्ना, गेहूं व जौ पर पाले का असर कम दिखाई देता है पाला लगने से आलू के पौधों को गल जाने की संभावना रहती है। वहीं चना, मसूर फसल बर्बाद हो सकता है लेकिन गेहूं फसल को ठंडा तापमान की जरूरत होती है। इसलिए इस मौसम से गेहूं को फायदा पहुंचेगा।
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फसलों को ठण्ड और पाले से बचाने का आसान तरीका
जब पत्तियों पर ओस गिरने लगती है तो वह पत्तियों में ही जम जाता है और क्षति पहुंचाती है पत्तियां ऐसी दिखने लगती हैं मानों वो आग से झुलस गई हों या पत्तिया पिली पड़ गई है जिसमें तना समेत पत्तियां भी सूख जाती हैं।अचानक पारा निचे गिरने की वजह से फसल बर्बाद हो रही है।
जब खेतो में पाले पड़ने की संभावना होती है जब टेम्पेचर 2 डिग्री से भी कम हो जाये। यदि दिन में तेज हवा चल रही हो और शाम को अचानक से हवा बंद हो जाये आसमान साफ हो तो ऐसी स्थति में पाला पड़ने की संभावना ज्यादा होती है तो ऐसी स्थति में आपको क्या करना है ?
सबसे पहले जब सर्दिया अधिक होना शुरू होती है तो हमारी जो खेत की मिट्टी है उसे कभी भी सूखा नहीं रखना चाहिए उसमे प्रॉपर सिचाई करना है क्योकि सुखी मिट्टी का टेम्पचेर है जो काफी निचे चला जाता है जिससे हमारे पौधे को बहुत नुकसान होता है लेकिन जब उसमे सिचाई कर देते है हल्की सिंचाई कर फसलों को पाले से बचाया जा सकता है।और पौधे पर सर्दी का ज्यादा असर देखने को नहीं मिलता। पाले से जो हमारी फसल है वो सुरक्षित रहती है इसके साथ साथ जब भी आपको पाले की सम्भावना लगे तो रात को हवाओ का रुख देखते हुए फसलों के चारो ओर कूड़ा करकट इकठ्टा करके जला कर धुआँ कर देना चाहिए जिससे कि हमारी फसलों के आसपास के टेम्पचेर को 2 डिग्री तक मेंटेन कर सकते है।
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सल्फ्यूरिक एसिड का प्रयोग
सल्फ्यूरिक एसिड से भी फसल को पाले या ठण्ड से बचा सकते है। सल्फ्यूरिक एसिडका स्प्रे भी फसलों के लिए फायदेमंद रहता है यदि हम इसका उचित मात्रा में प्रयोग करे यदि 1 लीटर पानी है तो उसमे 1 ml सल्फ्यूरिक एसिड का प्रयोग करे यदि आपके पास 20 लीटर पानी का केन है तो उसमे 20 ml सल्फ्यूरिक एसिड डाले। मात्रा से अधिक सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग हमारी फसलों को नुकसान पहुचायेगी। सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग सावधानी से करे क्योकि सल्फ्यूरिक एसिड गंभीर त्वचा की जलन पैदा कर सकता है, यह आंखों को जला सकता है नाक और गले में जलन हो सकती है,और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।