धान की खेती कैसे करे, कैसे पाए लाखो का मुनाफा – जानिए धान की खेती की आधुनिक तकनीक

धान के लिए खेत को कैसे तैयार करे,बीज का चुनाव कैसे करे, धान में लगने वाले कीट एवं रोग को कैसे बचे  इसकी पूरी जानकारी होना बहुत जरुरी है।

हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की लगभग एक तिहाई जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है। भारत में अनेक प्रकार की फसलें बोई जाती हैं। अगर आप एक किसान है और आप धान की अच्छी एवं आधुनिक खेती करना करना चाहते है तब आपको  खेती के तरीके जरूर मालूम होना चाहिए।

धान के लिए खेत को कैसे तैयार करे, बीज का चुनाव कैसे करे, धान में लगने वाले कीट एवं रोग को कैसे बचे  इसकी पूरी जानकारी होना बहुत जरुरी है। एक किसान के लिए धान उगाने से लेकर फसल काटने तक क्या क्या सावधानी रखना होती है ये जानकारी होना जरुरी है।

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धान की खेती में सबसे महत्वपूर्ण काम 

  • धान, भारत ही नहीं पूरी दुनिया की मुख्य खाद्य फसल है। इतना ही नहीं दुनिया में मक्का के बाद जो फसल सबसे ज्यादा बोई और उगाई जाती है वो धान ही है। करोड़ों किसान धान की खेती पर निर्भर रहते है। खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान लगभग पूरे भारत में लगाई जाती है।
  • अगर कुछ बातों का शुरु से ही ध्यान रखा जाए तो धान की फसल ख़राब भी नहीं होगी और ज्यादा मुनाफा होगा। धान की खेती की शुरुआत नर्सरी से होती है, इसलिए बीजों का चयन होना जरुरी है। कई बार किसान महंगे बीज खरीदने के बावजूद भी अच्छी फसल नहीं उगा पता।
  • धान की खेती में सबसे महत्वपूर्ण कार्य है अच्छे बीज का चयन करना। इसका मुख्य कारण है उसके द्वारा एक स्वस्थ बीज का चयन ना कर पाना। इसके कारण चुना गया बीज महंगा नहीं बल्कि वहां की जलवायु के अनुरूप होना चाहिए।
  • भूमि की तैयारी से खरपतवार नियंत्रण में मदद मिलती है।मिट्टी में पानी तथा पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है।इससे फसल में उर्वरक का एक समान वितरण होता है जिससे उत्पादन बढ़ता है। पानी के बहाव और वायु संचरण में मदद मिलती है।

धान की खेती के लिए उत्तम जलवायु और मिट्टी 

धान की फसल को एक गर्म और नम जलवायु की जरूरत है। यह सबसे अच्छा उच्च नमी,लंबे समय तक धूप और पानी की एक आश्वस्त आपूर्ति वाले क्षेत्रों के लिए अनुकूल है।धान की फसल के लिए समशीतोषण जलवायु की आवश्यकता होती हैं इसके पौधों को जीवनकाल में औसतन 20 डिग्री सेंटीग्रेट से 37 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती हैं। 

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धान की खेती के लिए मटियार एवं दोमट भूमि उपयुक्त मानी जाती हैं। किसी भी सुगंधित धान की पैदावार के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। हम जानते हैं कि धान की खेती हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में की जाती है। विभिन्न हिस्सों की जलवायु भी अलग -अलग होती है इसके लिए किसानों को वहां की जलवायु के हिसाब से उन्नत बीजों का चयन करना चाहिए। 

धान बीज की मात्रा

एक बीघा में 16 से 18 कविंटल धान की उपज होगी यदि मौसम साथ दे और वैसे तो धान की प्रति कविंटल सरकारी कीमत 1400-1500 रुपए कहने को होती है लेकिन गाँव में किसान 1000 से 1100 रुपए के बीच ही बेचता है।

धान बीज की बुवाई, पौधों की रोपाई 

बीजों की बुवाई के लिए सबसे पहले जमीन को बीजों की बुवाई के योग्य बनाया जाता है। इसके लिए किसान एक नर्सरी तैयार करें और मुख्य खेत में रोपाई करें। सबसे पहले किसान पौधों को नर्सरी में तैयार करें इसके बाद उसे जड़ से उखाड़ कर खेत में ले जाकर उसकी रोपाई करें रोपाई में पौधों की बीच की दूरी का ध्यान रखना चाहिए। एक जगह पर एक से दो पौधों की ही रोपाई की जाए।

जिस खेत में पानी ना भरता हो उस खेत में धान की रोपाई श्रीविधि से करें। इस विधि में खेत में पानी ना भरने दें इसमें खेत की समय-समय पर सिंचाई करते रहें इस विधि में सिंचाई करने के लिए गेहूं के जैसे ही सिंचाई करें और धान का प्रबंधन सभी धान की तरह करें।

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धान फसल सुरक्षा

खरपतवार नियंत्रण- धान में पाए जाने वाले खरपतवारों में मुख्य रूप से कनकौवा, कांटेदार चौलाई, पत्थरचट्टा, भंगरया, महकुआ आदि खरपतवार पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त मोथा (भादा) की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। धान के खेत में रोपाई के 20 दिन बाद एवं 40 दिन बाद हाथ एवं खुरपी की सहायता से होने वाले खरपतवारों को निकाल देने से काफी नियंत्रण हो जाता है।

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